आजादी का इतिहास भूलने वाला देश गुलाम बन जाता है- जस्टिस सच्चर
आजादी का इतिहास भूलने वाला देश गुलाम बन जाता है- जस्टिस सच्चर
देश के नौजवान नवसाम्राज्यवादी और सांप्रदायिक ताकतों के गठजोड़ द्वारा
मीडिया की मार्फत थोपी जा रही खोखली बहसों में न पड़ें
बयालीस के शहीदों की याद में समाजवादियों का मार्च
नई दिल्ली। 1942 की अगस्त क्रांति के शहीदों की याद में दिल्ली के समाजवादियों ने हर साल की तरह भारत छोड़ो दिवस 9 अगस्त को राजघाट से आचार्य नरेंद्रदेव वाटिका तक डॉ. राजकुमार जैन की अगुआई में पैदल मार्च किया। बारिश के बावजूद बड़ी संख्या में समाजवादी कार्यकर्ता सुबह राजघाट पर इकठ्ठा हुए और महात्मा गांधी की समाधि पर नवसाम्राज्यवाद को उखाड़ फेंकने और समाजवादी व्यवस्था कायम करने का संकल्प लिया। अगस्त के शहीदों को भूलो मत भूलो मत’ का नारा लगाते हुए समाजवादी कार्यकर्ता नरेंद्र वाटिका पहुंचे जहां जस्टिस राजेंद्र सच्चर ने उनकी अगवानी की। जस्टिस सच्चर ने आचार्य नरेंद्रदेव की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि किसी भी अखबार या टीवी चैनल ने आजादी की लड़ाई के ऐतिहासिक दिन और आंदोलन के बारे में एक पंक्ति भी नहीं दी है। जिस देश के लोग अपनी आजादी के संघर्ष का इतिहास भुला देते हैं वे फिर से गुलाम हो जाने के लिए अभिशप्त हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि आजादी की लड़ाई के मूल्यों और संविधान का उल्लंघन करने वाला भारत का शासक वर्ग निर्लज्जतापूर्वक देशद्रोही की भूमिका में आ गया है। उन्होंने नौजवानों को आगाह किया कि देश पर नवसाम्राज्यवादी और सांप्रदायिक फासीवादी ताकतों का कब्जा मजबूत होता जा रहा है। देश के नौजवान नवसाम्राज्यवादी और सांप्रदायिक ताकतों के गठजोड़ द्वारा मीडिया की मार्फत थोपी जा रही खोखली बहसों में न पड़ें। वे शहीदों की कुर्बानियों को याद करें और देशद्रोही शासक वर्ग को शिकस्त दें।
वरिष्ठ समाजवादी नेता और पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जैन ने दिल्ली में भारत छोड़ो आंदोलन के संघर्ष का ब्यौरा देते हुए कहा कि गांधी के कथन ‘आज से हर भारतीय अपना नेता खुद है’ में स्वतंत्रता और जिम्मेदारी का संदेश था। प्रस्ताव के तुरंत बाद गांधी समेत वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गिरफ्तार कर लिए गए। भारत छोड़ो आंदोलन को जेपी, लोहिया, अरुणा आसफ अली, अच्युत पटवर्द्धन आदि समाजवादी नेताओं ने चलाया। इन नेताओं द्वारा पैदा की गई आजादी की प्रेरणा और शहीदों के बलिदान को हमें भुलाना नहीं चाहिए।
इतिहासविद अनिल नौरिया ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि भारत छोड़ो प्रस्ताव केवल भारत की आजादी के लिए नहीं था। उसमें अफ्रीका समेत सभी देशों से उपनिवेशवादी सत्ता को हटाने का आह्वान था। उस प्रस्ताव में आजाद भारत के निर्माण की भी रूपरेखा थी। उन्होंने सुझाव दिया कि उस प्रस्ताव से प्रेरणा लेकर हमें भारत आने वाले अफ्रीकी व अन्य देशों के नागरिकों के साथ संवाद बनाना चाहिए ताकि वे गांधी के देश में अपने को पराया महसूस न करें। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि पूरे साल कुछ कार्यक्रम अगस्त क्रांति पर केंद्रित करके किए जाने चाहिए।
डॉ. प्रेम सिंह ने कहा कि अंग्रेजों भारत छोड़ो की पुकार देते हुए कहाँ तो गांधी ने कहा था कि आज से हर देशवासी अपना नेता स्वयं है, कहाँ भारत का प्रधानमंत्री अपना नेता खुद नहीं है! भाजपा वाले उन पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का आदेशपालक होने का आरोप लगाते हैं। जबकि ये दोनों और भाजपा नवसाम्राज्यवादी संस्थाओं/ शक्तियों का आदेश का पालन करने वाले हैं। इन दोनों पार्टियों का सहयोग और समर्थन करने वाले क्षेत्रीय दल और नेता भी नवसाम्राज्यवादी गुलामी को देश पर लादने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सच्चे समाजवादी वही हैं जो विषमता की खाई को कई लाख गुना ब़ाने वाले कारपोरेट पूंजीवाद के धुर विरोधी हैं। जो समाजवादी व्यवस्था कायम करने का लक्ष्य लेकर राजनीतिक संघर्ष चला रहे हैं। डॉ. प्रेम सिंह ने एलान किया जिस दिन देश में सच्ची समाजवादी सरकार कायम होगी, नवसाम्राजयवादी गुलामी थोपने वाले नेताओं पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाएगा।
वरिष्ठ समाजवादी डॉ. हरीश खन्ना, पुरुषोत्तम, केदारनाथ, दिल्ली प्रदेश सोशलिस्ट पार्टी की अध्यक्ष रेणु गंभीर, सोशलिस्ट युवजन सभा (एसवाईएस) के महासचिव निरंजन महतो, सदस्य, उपेंद्र सत्यार्थी, राम अकबाल, शिवदत्त, सोशलिस्ट महिला सभा (एसएमएस) की सदस्य अर्चना रानी, रेखा सिंह समेत कई वक्ताओं ने अपने विचार रखे। सभा का संचालन श्याम गंभीर ने किया। कार्यक्रम का आयोजन सोशलिस्ट पार्टी दिल्ली प्रदेश के तत्वावधान में किया गया।


