अखिल भारत शिक्षा अधिकार मंच ने जताई लेखकों के साथ एकजुटता
नई दिल्ली। अखिल भारत शिक्षा अधिकार मंच (अभाशिअमं) ने बढ़ती तादाद में राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर के साहित्य और कला अकादमियों से मिले सम्मानों को लौटाते लेखकों और कलाकारों के साथ अपनी गहरी एकजुटता जताई है।
इस संबंध में अभाशिअमं एक वक्तव्य जारी किया है, जो निम्नवत् है।

देश के लेखकों और कलाकारों के साथ अभाशिअमं एकजुटता जताता है
अखिल भारत शिक्षा अधिकार मंच (अभाशिअमं) बढ़ती तादाद में राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर के साहित्य और कला अकादमियों से मिले सम्मानों को लौटाते लेखकों और कलाकारों के साथ अपनी गहरी एकजुटता जताता है। उनके उठाए कदम से पता चलता है कि कि आज भारत में सोचने, कहने और सृजनात्मक अभिव्यक्ति की आज़ादी की जगह खत्म होते जाने के भयानक संकट पर उनका विक्षोभ कितना गहरा है।
वर्तमान राजनैतिक सत्ताधारी अपना वैचारिक प्रभाव इस कदर बढ़ा चुके हैं कि वे हमारी सामाजिक व ऐतिहासिक सच्चाइयों की संकीर्ण व एकांगी समझ का विरोध करने वालों को धमकियाँ देने और चीखने चिल्लाने के अब तक के तरीकों तक नहीं रुक रहे हैं। आज वे इस कदर दबंगई दिखला रहे हैं कि इनकी अलग-अलग शाखाएँ वैज्ञानिक तर्कशीलता, बहुलता और सर्जनात्मक स्वतंत्रता की बात कहने वालों का कत्ल करने के गिरोह बन चुकी हैं। हाल में गोमांस खाने पर प्रतिबंध का विवाद अल्पसंख्यकों पर फ़ासीवादी हमलों तक जा पहुँचा है और लोगों के घर में बैठ कर अपनी पसंद का खाना खाने के अधिकार को चुनौती दी जी रही है।
इन कारनामों पर सरकारी नेताओं और अकादमी के अधिकारियों की चुप्पी से जनता में विक्षोभ फैला है और इसकी अभिव्यक्ति देश भर में लेखकों द्वारा पुरस्कार लौटाने में दिख रही है।
इस विरोध को राजनैतिक हितों से प्रेरित कह कर संघीय वित्तमंत्री ने इस पर हमला करने की जो कोशिश की है, उससे वर्तमान सरकार के स्वभाव की चिंतनीय पहचान सामने आती है।
अध्यक्ष-मंडल, अखिल भारत शिक्षा अधिकार मंच​