नई दिल्ली। “आजादी के 70 साल तक केंद्र सरकार और राज्य सरकारें आदिवासी जनता के मामले में अपने संवैधानिक दायित्वों का पालन न करने की दोषी हैं। सरकार ने देश के दस करोड़ आदिवासियों के साथ ऐतिहासिक अन्याय और अपूरणीय क्षति किया है, और यह भारत को लोकतान्त्रिक राष्ट्र होने पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। सरकार को जवाब देने के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि अब दस करोड़ आदिवासी सरकार से सवाल करेंगे और एक करोड़ की संख्या में संसद का घेराव करने की तैयारी कर चुके हैं।“

“जय आदिवासी युवा शक्ति” (जयस) के संरक्षक डॉ. हीरालाल अलावा ने सरकार को चुनौती देते हुए देश के सभी आदिवासियों से अपने अधिकार और हक़ के लिए एकजुट होने का आह्वान किया।

23 अप्रैल 2017 को दिल्ली के लोधी कॉलोनी स्थित इंडियन सोशल इंस्टिट्यूट में देश के एक दर्जन राज्यों – झारखण्ड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार से जुटे आदिवासी प्रतिनिधियों ने “पांचवी अनुसूची एवं सीएनटी-एसपीटी एक्ट” पर परिचर्चा के दौरान एकजुट होकर संसद घेरने की बात एक स्वर में स्वीकार की।

परिचर्चा में प्रतिनिधियों ने कहा कि – “सरकार भू-अर्जन और सरकारी आदेशों के जरिये आदिवासी का निर्मम दोहन और दमन कर रही है, बावजूद इसके, आदिवासियों के न्याय और अधिकार को सिरे ख़ारिज करते हुए सरकार संसद में आदिवासी विरोधी कानूनों को पास करने पर जोर दे रही है। आदिवासियों के पास अब आर-पार की लड़ाई के सिवा कोई विकल्प नहीं बचा है, अतः अब देश भर से एक करोड़ आदिवासी सन 2018 में संसद का घेराव करेंगे।”

परिचर्चा में जानकारी दी गई कि – “जय आदिवासी युवा शक्ति” (जयस) पूरे देश में अब तक दस लाख से भी अधिक सदस्यों को जोड़ चुका है जो अब तेजी से “मिशन 2018” के तहत संसद के घेराव के लिए देश के सभी आदिवासी संगठनों और आदिवासियों को एकजुट करेंगे।”

कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश के पूर्व मत्री एवं दुद्धी क्षेत्र से लगातार सात बार विधायक रह चुके विजय सिंह गोंड ने की, जबकि संचालन साप्ताहिक “दलित आदिवासी दुनिया” के संपादक मुक्ति तिर्की ने की।

जितेन्द्र कुमार मुखी, राजू मुर्मू, राजन कुमार, अरविंद गोंड, अजित मार्को, कर्रम नरसिम्हा राव, बाबुसिंह डामर, हेमराज भाबर, लक्ष्मण कटारा, दिनेश कनेल, सुनील कटारा, अजय गोर, राहुल अकोले, मनोज मेहर, रितेश मंडलोई, पवन डावर, मिलिता डुंगडुंग, रजनी किरण बा, भगवत घोडाम, रविराज बघेल, ध्रुव चौहान, संजय पहान, रामनारायण टेकाम, कमलेश्वर डोडीयार, आनंद सी तिर्की, बलभद्र बिरुआ, अरविंद गोंड, प्रतिमा मिंज, दिनेश श्याम गोंड, सोपान मरांडी, पंकज बघेल, साहेब सिंह कलम, राजेश पाटिल, जामवंत कुमरे, राकेश रानावत, रामलाल मंडलोई, चंद्रमोहन ध्रुवे, राव वीर, लव वर्मा, जीतेन्द्र पाटिल, मिथिलेश हेम्ब्रोम, रामनाथ गोंड, राहुल सिंह केश्वर, विजय मिंज, डेनिएल मुर्मू, कानसिंह ठाकुर, वीरेंद्र प्रताप सिंह, बाबूलाल कोल ने भी परिचर्चा में अपने विचार रखें।