#आरक्षण के विरोध में उतरा #आरएसएस
#आरक्षण के विरोध में उतरा #आरएसएस
नई दिल्ली। चरमपंथी दक्षिणपंथी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कहा है कि आरक्षण की राजनीति और उसके दुरुपयोग के दृष्टिगत इसकी आवश्यकता पर पुनर्विचार करना चाहिए। रविवार को जोधपुर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने यह बात कही। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भागवत का कहना था कि एक समिति बनाई जाए, जो यह तय करे कि कितने लोगों को और कितने दिनों तक आरक्षण की आवश्यकता होनी चाहिए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भागवत का कहना था कि ऐसी समिति में नेताओं से अधिक सेवाभावियों का महत्व होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज आरक्षण को लेकर प्रत्येक समाज खड़ा हो रहा है और आरक्षण पर पुनर्विचार होना चाहिए। उन्होंने दबाव की राजनीति के बारे में कहा कि प्रजातंत्र की कुछ अपेक्षाएं हैं किन्तु दबाव बनाकर दूसरों को दुखी कर इन्हें पूरा नहीं किया जा सकता। सब सुखी हों, ऐसा समग्र भाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के हित में हमारा हित है और यह समझकर चलना समझदारी है। शासन को इतना संवेदनशील होना चाहिए कि आंदोलन हुए बिना समस्याओं को ध्यान में लेकर उनके हल निकालने का प्रयास करे।
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मोहन भागवत का कहना है कि संविधान में सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण नीति की बात है। इसलिए व्यवहार में भी वैसा ही होना चाहिए, जैसा संविधानकार चाहते थे। अगर इसका उसी आधार पर प्रयोग होता, तो आज समस्या नहीं खड़ी होती। आज आरक्षण राजनीति का हथियार बन गया है।


