आशा भोंसले का बेहतरीन गायिका बनना सिर्फ ओपी नैयर की वजह से संभव हो पाया वरना…
आशा भोंसले का बेहतरीन गायिका बनना सिर्फ ओपी नैयर की वजह से संभव हो पाया वरना…
यह है ओपी नैयर के संगीत का कमाल कि सुरों और धुनों में जैसे पर लग जाते थे..और मन उड़ने लगता। जब ओपी नैयर कश्मीर के बैक ग्राउंड पर संगीत (OP Nayyar's music on Kashmir's back ground) तैयार करते थे तब उनके हारमोनियम, ढोलक, गिटार और वायलिन के साथ कश्मीर कितना अपना लगता था। तभी तो कश्मीर में फ़िल्म की शूटिंग (Film shooting in kashmir) करने वाले फ़िल्मकार की पहली पसंद ओपी नैयर होते..और फिर ओपी नैयर काफी तेज ऑर्केस्ट्रेशन में अपनी धुनों के जरिये पूरे माहौल को झनझना देते।
आशा भोंसले हिंदी फ़िल्मों को ओपी नैयर की सबसे बड़ी देन
हारमोनियम पर धुनें बनाना और फिर वाद्य संयोजन की कल्पना पियानो पर करना, ओपी नैयर की हिंदी फ़िल्मों को सबसे बड़ी देन हैं आशा भोंसले। उन्होंने ही आशा में यह आत्मविश्वास भरा कि वो खुद में सम्पूर्ण गायिका हैं।
राजू भारतन लिखते हैं कि आशा, बड़ी बहन लता मंगेशकर के प्रभाव से इतना आतंकित रहा करतीं कि उनमें खुद पर से एकल गाने का भरोसा ही उठ गया था, इसलिए वो सहगायिका से आगे बढ़ ही नहीं पा रही थीं। ओपी नैयर बताते हैं कि एक बार उन्होंने आशा से बड़े ग़ुलाम अली खान की एक ठुमरी गवाई और उसे टेप करके आशा को सुनाया तो वो अपनी आवाज़ के हुनर पे हैरान हो गयीं थीं। आशा का बेहतरीन गायिका बनना सिर्फ ओपी नैयर की वजह से संभव हो पाया वरना वो भी लता की छाया में उषा मंगेशकर बनके रह जातीं।
अब इस गाने में आशा और रफ़ी की चमत्कारी आवाज़ को सुनिए, जो हारमोनियम, वायलिन और ढोलक और ओपी नैयर की कमाल की धुन पे निकली और जमाने पर छा गयी।


