आ ही गए अमीर "शाहों" के अच्छे दिन, सबसे ईमानदार गरीब मुख्यमंत्री माणिक "सरकार" से बाहर
आ ही गए अमीर "शाहों" के अच्छे दिन, सबसे ईमानदार गरीब मुख्यमंत्री माणिक "सरकार" से बाहर
नई दिल्ली। आखिरकार सबसे ईमानदार गरीब मुख्यमंत्री माणिक सरकार सत्ता से बाहर हो गए हैं। कहा जा सकता है कि अब राजनीति में सच्चे अर्थों में अमीरों के अच्छे दिन आ गए हैं।
त्रिपुरा विधानसभा चुनाव की मतगणना में भाजपा और उसकी गठबंधन पार्टी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा राज्य में सरकार बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। राज्य में बीते 25 वर्षो में सत्तासीन मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व में वाममोर्चा सत्ता से बेदखल होता दिख रहा है।
राज्य की 59 सीटों के ताजा रुझानों के मुताबिक, दो दौर की मतगणना पूरी होने के बाद भाजपा 32 सीटों पर आगे है जबकि जनजातीय पार्टी आठ सीटों पर आगे है।
रुझानों के मुताबिक, भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन 40 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं, जो बहुमत की 31 सीटों से नौ सीटें अधिक हैं।
वाममोर्चा सिर्फ 19 सीटों पर आगे है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भाजपा महासचिव राम माधव ने संवाददताओं को बताया,
"हम त्रिपुरा के रुझानों से खुश हैं, जहां भाजपा 40 से अधिक सीटों से सरकार बनाती दिख रही है।"
उन्होंने स्वीकार किया कि माकपा ने त्रिपुरा में कड़ी टक्कर दी है लेकिन लोगों ने बदलाव के लिए मतदान किया है।
साल 2013 के विधानसभा चुनाव में वाममोर्चे ने 50 सीटें जीती थी। कांग्रेस खाता तक खोलने में असफल रही थी। कई उम्मीदवारों की तो जमानत तक जब्त हो गई थी।
भाजपा के विजेताओं में राज्य इकाई के भाजपा अध्यक्ष बिप्लब कुमार देब (बनामालीपुर), सुदीप रॉय बर्मन (अगरतला), रतनलाल नाथ (मोहनपुर), ए.रामपदा जमातिया (बगमा), दिलीप कुमार दास (बरजाला), दिबा चंद्र रांगकावल (करमचरा), आशीष कुमार साहा (बोरोवाली), रतन चक्रबर्ती (खायेरपुर), अतुल देबबर्मा (कृष्णपुर), सुशांत चौधरी (मजलिसपुर) हैं।
आईपीएफटी की ओर से आगे चल रहे उम्मीदवारों में नरेंद्र चंद्र देबबर्मा (तकराजला), मेवार कुमार जमातिया (आश्रमबाड़ी) और प्रशांत देबबर्मा (रामचंद्रघट) हैं।
दिग्गज वाम उम्मीदवारों में निवर्तमान जनजातीय कल्याण मंत्री अघोर देबबर्मा (आश्रमबाड़ी), वन एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेश चंद्र जमातिया (बगमा), उपसभापति पबित्रा कर (खायेरपुर), विजय लक्ष्मी सिन्हा (कमालपुर), समिरन मलाकर (पबियाचारा), मनोरंजन देबबर्मा (मंडई बाजार), रतन दास (रामनगर), महिंद्रा चंद्र दास (कल्याणपुर-प्रमोदनगर) और मुख्य सचेतक बसुदेब मजूमदार (बेलोनिया) पीछे चल रहे हैं।


