इतिहास प्रहसन नहीं/ अतीत में जाकर मिटाने से नहीं मिटेगा/ न मसखरों की लीला से पराजित होगा
इतिहास प्रहसन नहीं/ अतीत में जाकर मिटाने से नहीं मिटेगा/ न मसखरों की लीला से पराजित होगा

जसबीर चावला
आजादी के जन नायकों से निबटने के बाद
अब मध्यकाल के इतिहास पुरुषों को छोटा
किया जा रहा है
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इतिहास का प्रहसन
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टीवी में बिछी अतीत की बिछात
रची रणभूमि
कुछ क्लीवों ने हथियार उठाये
जो खुद कभी इतिहास की परीधि में न थे
वे इतिहास पुरूषों को जगाने लगे
हाथों में थमा दी तलवारें उनके
जो बैठते एक जाजम पर
विमर्श करते थे
कभी न लड़े अतीत में
वर्तमान में कठपुतली बनाये गये
भाँजने लगे / वार करने लगे एक दूसरे पर
अख़बार के पन्नों पर
इतिहास तो इतिहास है
स्लेट पर लिखी इबारत नहीं
लाइनें नहीं जो छोटी हो जायेंगी
दूसरी लाईन पास खींचने से
इतिहास प्रहसन नहीं
अतीत में जाकर मिटाने से नहीं मिटेगा
न मसखरों की लीला से पराजित होगा
जसबीर चावला
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