इधर गोहत्या उधर ईशनिन्दा - ये रास्ता पाकिस्तान जाता है हुजूर
इधर गोहत्या उधर ईशनिन्दा - ये रास्ता पाकिस्तान जाता है हुजूर
बीते दो साल में जनतंत्र का हुलिया कैसे बदला ?
पवित्र किताब की छाया में आकार लेता जनतंत्र – 2
भारतीय लोकतंत्र: दशा और दिशा को लेकर चन्द बातें
– सुभाष गाताडे
इधर गोहत्या उधर ईशनिन्दा
ख़बर राजस्थान के चित्तोडगढ़ के पास छोटी सदरी से आयी थी। इस ख़बर के मुताबिक गाय के व्यापारी अल्पसंख्यक समुदाय के चार लोगों का- जो टक से उन्हें कहीं ले जा रहे थे, स्थानीय गोरक्षा दल के सदस्यों ने पीछा किया और कथित तौर पर पुलिस की मौजूदगी में उन्हें मारा पीटा। और बाद में पुलिस ने इन चार व्यापारियों पर ही जानवरों के खिलाफ क्रूरता बरतने के लिए मुकदमे दर्ज किए। / www.indiasamvad.co.in/special-stories/activists-of-cow-protection-group-strip-naked-mercilessly-beat-up-muslim-traders-14009/
चित्तोडगढ की इस ख़बर ने अभी चन्द रोज पहले पंजाब हरियाणा उच्च अदालत के उस हालिया फैसले की याद ताज़ा कर दी थी जिसमें उसने कहा था कि गाय की रक्षा के नाम पर बने समूह एवं संगठन किस तरह कानून की खुलेआम अवहेलना करने में लगे हैं। अदालत का कहना था कि ‘‘गोरक्षा की दुहाई देते हुए बने हुए कथित प्रहरी समूह जिनका गठन राजनीतिक आंकाओं एवं राज्य के वरिष्ठ प्रतिनिधियों की शह पर हो रहा है, जिनमें पुलिस भी शामिल है, वह कानून को अपने हाथ में लेते दिख रहे हैं।’ (http://timesofindia.indiatimes.com/city/chandigarh/Cow-vigilante-groups-bent-on-circumventing-law-HC/articleshow/52197819.cms) मालूम हो अदालत उत्तर प्रदेश के मुस्तैन की कुरूक्षेत्र में हुई अस्वाभाविक मौत के मसले पर उसके पिता ताहिर हुसैन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
इकोनोमिक टाईम्स में लिखे अपने आलेख में /सुमित मित्रा, 2 जून 2016,
logs.economictimes.indiatimes.com/et-commentary/anti-beef-rhetoric-is-being-cooked-over-a-slow-fire-again-but-politics-is-the-main-course/ हरियाणा के गुड़गांव के पास स्थित वजीराबाद इलाके से अल्पसंख्यक समुदाय के तीन व्यक्तियों की गिरफतारी की घटना पर फोकस करते हैं जिन्हें कथित तौर पर बीफ बेचने के नाम पर पकड़ा गया। उनके मुताबिक
‘ हरियाणा सरकार द्वारा बनाए गए नए ‘हरियाणा गोवंश संरक्षण एवं गोसंवर्द्धन अधिनियम, 2015 के तहत - जिसने पंजाब प्रोहिबिशन आफ काउ स्लॉटर एक्ट, 1955 का स्थान ग्रहण किया है, सबइन्स्पेक्टर के ऊपर रैंक का कोईभी पुलिस अधिकारी इस बात को प्रमाणित कर सकता है कि अभियुक्त के पास से बरामद मीट ‘अफीम’ है। वजीराबाद के मामले में स्थानीय गोरक्षा टीम के साथ चल रहे पशुओं के डॉक्टर ने देख कर प्रमाणित किया कि वह मीट बीफ ही है, जबकि अभियुक्तों का कहना है कि वह भैंसे का मीट है। मगर अब अभियुक्तों द्वारा समूचे सबूतों को नष्ट कर दिए जाने के कारण उनके पास अपनी बेगुनाही साबित करने का कोई रास्ता नहीं बचा है।’
ध्यान रखें कि पशुओं के डॉक्टर ने मीट के सैम्पल को प्रयोगशाला में भेजना भी मुनासिब नहीं समझा, उसी ने ‘देख कर’ प्रमाणित कर दिया।
चाहे चित्तोडगढ़ की छोटी सदरी की घटना हो या वजीराबाद का प्रसंग हो या मुस्तैन की हत्या का प्रसंग हो गोरक्षा के नाम पर कानून हाथ में लिए जाने की घटनाएं आए दिन सुनने को मिलती हैं।
पिछले साल के अन्त में हरियाणा के पलवल में मांस ले जा रहे एक टक पर स्वयंभू गोभक्तों की ऐसी ही संगठित भीड़ ने हमला कर दिया , अफवाह फैला दी गयी कि उसमें गोमांस ले जाया जा रहा है। पूरे कस्बे में दंगे जैसी स्थिति बनी। उधर पुलिस पहुंची और उसने चालक एवं मालिक पर कार्रवाई की। ऐसी कार्रवाइयों को अब उपर से किस तरह शह मिलती है, इसका सबूत दूसरे दिन ही दिखाई दिया जब सरकारी स्तर पर यह ऐलान हुआ कि गोभक्तों के नाम पर पहले से दर्ज मुकदमे वापस होंगे।
कानून के राज को ठेंगा दिखा कर की जा रही ऐसी वारदातों ने राष्ट्रव्यापी शक्ल धारण की है।
अक्तूबर 2015 में सहारनपुर के बीस साला व्यक्ति को हिमाचल प्रदेश के नाहन जिले में साराहन गांव के पास लोगों ने पीट कर मार डाला था और उसके साथ चल रहे चार लोगों को पीट दिया था। इन पर आरोप लगाया गया कि यह गायोें की स्मगलिंग करते हैं। अभी पिछले ही माह 29 अप्रैल को जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्राी सुश्री मेहबूबा मुफती ने पंजाब के मुख्यमंत्राी प्रकाश सिंह बादल को लिखा कि राजय मटन बिक्रेता और आयातक को पंजाब में आए दिन प्रताडित किया जा रहा है। (http://timesofindia.indiatimes.com/city/chandigarh/Cow-vigilante-groups-bent-on-circumventing-law-HC/articleshow/52197819.cms
वैसे गाय के नाम पर जनतंत्र के तमाम मूल्यों को ताक पर रख कर फैलायी जा रही यह संगठित हिंसा बरबस पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में ईशनिन्दा के नाम पर फैलायी जा रही संगठित हिंसा की याद ताज़ा करती है। जिस तरह पाकिस्तान में ईशनिन्दा का महज आरोप लगाना ही काफी होता है, बाकी जलाने फूंकने मारने का काम आहत भावनाओं की भरपाई के नाम पर आमादा उग्र इस्लामिस्ट समूह खुद करते हैं या करवाते हैं, वहीं हाल भारत में अब गाय को लेकर हुआ है। यहां भी महज हंगामा करना काफी है।
वह सभी जो गोरक्षा या गोभक्ति के नाम पर अंजाम दी जा रही इस हिंसा को औचित्य प्रदान करते हैं या उसके प्रति अपनी आंखें मूंदे हुए हैं, उन्हें बस यही याद रखना चाहिए कि यह फिसलन भरा रास्ता भारत के ‘दूसरे पाकिस्तान’ बनने में परिणत होता दिखता है।


