इस गाँव में मुसलमान नहीं रहेगा
इस गाँव में मुसलमान नहीं रहेगा
महरुद्दीन खान
दादरी। काफी सोच विचार के बाद तय किया कि जो हमारे परिवार के साथ हो रहा है सब लिख ही दिया जाए। अब लग यही रहा है की गांव छोड़ना ही पड़ेगा क्योंकि गांव के कुछ साम्प्रदायिक और अपराधी तत्वों ने घोषणा कर दी है कि उन्हें इस गांव में मुसलमान का रहना पसंद नहीं। पहले ये लोग छेड़-छाड़ करते रहते थे तो गॉव के लोग इन्हें डांट देते थे। दो साल पहले इनके लीडर संजय ने छोटे भाई पर गोली चला दी। गॉव के लोगों ने ये मामला भी फैसला कर दिया और गारंटी ली कि भविष्य में कुछ नहीं होगा। सब ठीक चल रहा था कि पहली जुलाई को संजय और उसके साथी ने मेरे बड़े भाई के लड़के को दो गोलियां मार दीं जो ग़ाज़िआबाद के यशोदा अस्पताल में ज़िंदगी के लिए संघर्ष कर रहा है। हम तीन भाइयों का परिवार भयभीत हो गया, पुलिस से सुरक्षा मांगी, आश्वासन तो मिला मगर सुरक्षा नहीं मिली।
सात जुलाई को दादरी थाने जाकर सुरक्षा की गुहार लगाई मगर पुलिस ने कुछ नहीं किया तो बदमाशों के हौसले इतने बुलंद हुए कि इसी दिन तीन बजे बड़े भाई की गोली मार कर हत्या कर दी। मैंने कुछ मित्रों को बताया तो वे भी सक्रिय हुए। श्री शम्भू नाथ शुक्ल ने सक्रियता दिखाई और लखनऊ सम्पर्क किया तो पुलिस ने हमारी सुरक्षा का प्रबंध किया। इसके लिए मै शुक्ल जी का आभारी हूँ। इन दोनों घटनाओं की नामजद रपट दर्ज है मगर पुलिस छः नामजद में से किसी को नहीं पकड़ पाई है जिससे परिवार परेशान है। उधर बदमाश धमकी दे रहे हैं की या तो ये लोग गॉव छोड़ छोड़ दें वरना सब को निपटा दिया जायेगा।
गॉव में किसी से हमारी कोई रंजिश कभी नहीं रही। एक पुलिस अधिकारी का कहना है की नौकरी के 15 सालों में ये पहली घटना है कि बिना किसी रंजिश के बदमाश चुपचाप आते हैं और बिना कुछ कहे गोली मार कर चले जाते हैं। छह सात बदमाशों के इस गिरोह से अब गॉव वाले भी डरने लगे हैं। अपना दुःख दोस्तों में बाँटने के लिए ये सब लिख दिया वरना तो किसी काम में मन नहीं लगता। जिस गॉव के लिए बहुत कुछ किया, जिस गॉव के मोह में पड़कर शहर नही गया, जिस गॉव की खातिर कई संकट झेले और जिस गॉव का खमीर यहीं खाक करना था अब पता नहीं कब ये गॉव छोड़ना पड़ जाए वैसे दो भतीजे गॉव से पलायन कर गए हैं। बदमाशों ने अब मेरा और मेरे बेटों का नंबर लगा दिया बताया है।
अंत में आप सभी से अनुरोध है कि इस मामले में जो भी मदद आप कर सकें अवश्य करें। आभारी हूँगा।


