उठे सवाल, चुनाव आयोग चार महीने के सांसद क्यों बनवाना चाहता है ?
उठे सवाल, चुनाव आयोग चार महीने के सांसद क्यों बनवाना चाहता है ?
उठे सवाल, चुनाव आयोग चार महीने के सांसद क्यों बनवाना चाहता है ?
नई दिल्ली, 13 अक्तूबर। केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद चुनाव आयोग पर भाजपा के एजेंट की तरह काम करने के आरोप लगते रहे हैं। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नज़दीक आ रहा है चुनाव आयोग पर संदेह के बादल और गहराते जा रहे हैं। हाल ही में एनडीटीवी के एंकर रवीश कुमार ने सवाल किया था कि क्या चुनाव आयोग भाजपा के पोलिंग एजेंट की तरह काम कर रहा है तो अब वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्ता ने कर्नाटक में लोकसभा उपचुनाव को लेकर सवाल उठाए हैं।
वरिष्ठ पत्रकार और देशबन्धु के कार्यकारी संपादक जयशंकर गुप्ता ने अपनी एफबी टाइमलाइन पर लिखा,
“कई दिनों से एक सवाल मन में घुमड़ रहा है। कुछ लोगों से चर्चा भी की, लेकिन समाधान समझ में नहीं आया। आप भी देखें, समझें और राय बताएं।
पांच राज्य विधानसभाओं के साथ कर्नाटक के तीन लोकसभा क्षेत्रों के उपचुनाव भी हो रहे हैं। नतीजे 11 दिसंबर को आएंगे। यानी अगर लोकसभा के आम चुनाव निर्धारित समय पर अगले साल अप्रैल महीने में होते हैं तो कर्नाटक के उपचुनाव जीतने वाले सदस्यों का कार्यकाल कितने समय-महीने का होगा। पांच महीने से भी कम!
हमने जाना सुना है कि जब छह महीने या उससे कुछ कम या अधिक का समय ही शेष रहता है तो उपचुनाव के बजाय आम चुनाव में ही रिक्त सीटों के चुनाव भी कराए जाते हैं। तो फिर चुनाव आयोग साढ़े चार पांच महीनों के लिए कर्नाटक में तीन लोकसभा सीटों के लिए उपचुनाव क्यों करवा रहा है!”
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