आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों के इंसाफ के लिये
रिहाई मंच कल करेगा विधानसभा मार्च
खालिद के इंसाफ और निमेष कमीशन रिपोर्ट पर अमल के लिये चल रहे धरने के
कल पूरे होंगे सौ दिन
सुभाषनी अली, सुभाष गताड़े, परमजीत सिंह, अभिषेक श्रीवास्तव, जाहिद खान,
एससी मेहरोल, रियाज आतिश शामिल होंगे कल 29 अगस्त के विधान सभा मार्च में

लखनऊ 28 अगस्त। सपा सरकार के लिये यह कितने शर्म की बात है कि आने वाले 31 अगस्त को जहाँ निमेष आयोग की रिपोर्ट को सरकार के पास कैद हुये एक साल हो जायेगा वहीं दूसरी ओर खालिद के हत्यारे पुलिस और आईबी अधिकारियों की गिरफ्तारी और निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर अमल करने की मांग के साथ चल रहे धरने का भी सौ दिन पूरा हो जायेगा। जिससे साबित होता है कि प्रदेश में एक जनविरोधी फासिस्ट सरकार चल रही है। सरकार मुसलमानों की रहनुमा होने का दावा भले ही करती हो लेकिन निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर चुप्पी साधकर वह प्रदेश में फासीवादी ताकतों को मजबूत कर रही है।

यह आरोप रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने मौलाना खालिद की हिरासत में की गयी हत्या के आरोपी पुलिस और आईबी के अधिकारियों की तत्काल गिरफ्तारी तथा आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों की तुरंत रिहाई की मांग को लेकर चल रहे रिहाई मंच के अनिश्चितकालीन धरने के 99 वें दिन उपस्थित लोगों के समक्ष लगाया।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की सपा सरकार के मुखिया अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव आज साम्प्रदायिक हिंदू वोटों के लिये प्रदेश के अल्पसंख्यक मुसलमानों के साथ विधानसभा चुनाव के वक्त अपने किये गये वादे से न केवल पलट रहे हैं बल्कि सरकार को अपना वादा याद दिलाने वाली जम्हूरियत पसंद ताकतों के खिलाफ बर्बर दमन पर आमादा हैं। यह बात साबित करती है कि अखिलेश यादव की सरकार आज भी मुसलमानों के मुद्दे को अपने वोट बैंक का माध्यम मानती है और उनकी समस्याओं को अपने राजनैतिक हित के लिये हल करने से कतरा रही है। बेगुनाह नौजवानों की रिहाई के सवाल पर सपा सरकार जिस तरह से एक भ्रामक माहौल प्रदेश के अल्पसंख्यक मुसलमान मतदाताओं के सामने बनाने में जुटी है वह इस लोकतंत्र के लिये बेहद शर्मनाक है।

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने बताया कि रिहाई मंच के धरने के सौवें दिन होने वाला मार्च आगामी मानसून सत्र में अखिलेश यादव सरकार को अपने वादे के अनुसार आर डी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर सदन में कार्रवाई रिपोर्ट के साथ रखने की चेतावनी है। उन्होंने बताया कि सपा सरकार जिस तरह आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को रिहा करने के सवाल पर मुकर गयी है बेगुनाह खालिद मुजाहिद की जिस तरह से हत्या करवायी और हत्यारोपी पुलिस व आईबी अधिकारियों को बचाया, उस सरकार के खिलाफ कल आवाम विधान सभा मार्च करेगी। कल होने वाले मार्च में हम आतंकवाद के मामलों की एनआईए से जाँच और सपा सरकार में हुये दंगों की सीबीआई जाँच की माँग को पुरजोर तरीके से उठायेंगे क्योंकि रिहाई मंच मानता है कि आतंकवाद और दंगे के सवाल पर घिरी जो सपा सरकार मानसून स़त्र को महीनों टालती रही है, वो सरकार और उसकी सांप्रदायिक जाँच एजेंसियाँ इन मामलों की विवेचना और अवाम को इंसाफ देने में असक्षम हैं। उन्होंने कहा कि कल विधान सभा मार्च में वरिष्ठ माकपा नेता और पूर्व सांसद सुभाषनी अली, वरिष्ठ पत्रकार सुभाष गताड़े, पीपुल्य यूनीयन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (पीयूडीआर) के परमजीत सिंह, युवा पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव, मध्य प्रदेश के सामाजिक कार्यकर्ता व पत्रकार जाहिद खान, इंडियन नेशनल लीग के एससी मेहरोल, रियाज आतिश, संदीप पांडे, ताहिरा हसन इत्यादि शामिल होंगे।

इस अवसर पर रिहाई मंच आजमगढ़ के प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने निमेष आयोग रिपोर्ट पटल पर रखने का वादा किया है। यह आंदोलन इस बात को सुनिश्चित करने के लिये जारी है कि रिपोर्ट को पटल पर रखने की मात्र औपचारिकता न पूरी की जाय बल्कि उस पर ठोस कार्यवाही भी अमल में आये। इस मामले में विपक्ष का रवैया भी अस्पष्ट और संदेहपूर्ण है। सत्र शुरू होने से पहले छोटे बड़े सभी विपक्षी दल इस मुद्दे पर जनता के सामने अपना पक्ष स्पष्ट करें। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के नाम पर हो रही राजनीति ने हमारे आजमगढ़ से ही दो लड़कों को बाटला हाउस में कत्ल कर दिया गया और सोलह युवकों को गिरफ्तार किया गया तो वहीं पिछले पाँच साल से आठ लड़के गायब कर दिए गये हैं। कल रिहाई मंच का यह धरना सौ दिन ही नहीं पूरे कर रहा है बल्कि आतंकवाद के नाम पर पीडि़त परिजनों की आवाज बन गया है और जब भी मजलूम की आवाज सड़कों पर उठती है तो जालिम हुकूमतें नेस्तनाबूद हो जाती हैं।

धरने को संबोधित करते हुये इंडियन नेशननल लीग के प्रदेश उपाध्यक्ष एडवोकेट मो0 समी, अनिल आजमी और पत्रकार हरेराम मिश्र ने कहा कि आज मुलायम की सलाहकार मंडली में ऐसे चापलूसों की भरमार हो गयी है जो उन्हे आगामी लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री बनने के सपने दिखा रहे हैं। लेकिन जिस प्रदेश के मुस्लिम वोटर बड़ी संख्या में इस पार्टी से नाराज हो चुके हों वहां पर जीत मिलना तो दूर इज्जत बचाने के भी लाले पड़ सकते हैं। आज जरूरत है कि मुलायम अपना चुनावी घोषणापत्र फिर से पढ़ें। लेकिन अफसोस कि मुलायम सिंह अपने स्वार्थ में इतने अंधे हो गये हैं कि देश की सांप्रदायिक ताकतों के आगे उन्होंने घुटने टेक दिये हैं और सांप्रदायिक ताकतों को उत्तर प्रदेश में मजबूत करने में लगे हुये हैं। प्रदेश के अल्पसंख्यकों को अब अपने को मुलायम द्वारा प्रयोग करने के बारे में सावधान रहना ही होगा।

मुस्लिम मजलिस के नेता जैद अहमद फारुकी, वाराणसी के लक्ष्मण प्रसाद और इलाहाबाद के अनिल आजमी कहा कि कल धरने के 100 वें दिन मौलाना खालिद की हत्या की गुनहगार प्रदेश की सपा सरकार के खिलाफ, निमेष आयोग की रिपोर्ट पर तुरंत एक्शन टेकेन रिपोर्ट लाने और आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को जो प्रदेश समेत देश की अनेक जेलों में कैद हैं कि तत्काल रिहाई की मांग को लेकर जनता के साथ विधानसभा मार्च का आयोजन किया गया है। प्रवक्ताओं ने अपील की कि सरकार के इस जन विरोधी रवैये के खिलाफ आम जन ज्यादा से ज्यादा सड़कों पर उतरें और इस सरकार को अपनी माँगों के सामने झुकने को मजबूर कर दें। प्रवक्ताओं ने कहा कि यह समय अवाम की परीक्षा का है अगर अवाम जिंदा है तो उसे सड़क पर उतरकर इंसाफ के लिये चल रही इस जंग में शामिल होना होगा। धरने के 100 वें दिन देश की प्रख्यात शख्सियतें इस मार्च में शामिल होकर रिहाई मंच के इस जज्बे को अपना समर्थन देंगी।

धरने को संबोधित करते हुये भारतीय एकता पार्टी (एम) के सैयद मोईद अहमद डा0 हारिश सिद्दीकी ने कहा कि रिहाई मंच आम जनता के बीच आतंकवाद के सवाल पर एक व्यापक जागरूकता अभियान चला रहा है। इस अभियान में रिहाई मंच आम लोगों के बीच सपा सरकार की सांप्रदायिक नीति के पोषण का पर्दाफाश करते हुये जेलों में कैद बेगुनाह मुसलमानों के पक्ष में खड़ा होने के लिये लामबंद कर रहा है।

धरने का संचालन अनिल आजमी ने किया।