उ. प्र. सरकार के दमन के सामने नहीं झुकेगा लोकतंत्र - अखिलेन्द्र
उ. प्र. सरकार के दमन के सामने नहीं झुकेगा लोकतंत्र - अखिलेन्द्र

राजनीतिक व लोकतंत्रपसंद नागरिकों से बातचीत और बैठक के बाद जारी किया बयान
लखनऊ, 31 दिसम्बर 2019, उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी (Former IG S. R. Darapuri) समेत सभी निर्दोष व्यक्तियों की गिरफ्तारी और उनकी रिहाई का मामला लोकतंत्र को बचाने और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा का सवाल है। हर हाल में लोकतंत्र की रक्षा (Defense of democracy) के लिए व निर्दोष लोगों की रिहाई के लिए प्रदेश की जनता से संवाद स्थापित करने, जागरूक करने, जन पहल लेने के लिए लखनऊ में एक बैठक शीघ्र ही आयोजित की जायेगी। उ.प्र. सरकार के दमन के सामने किसी कीमत पर लोकतंत्र नहीं झुकेगा।
यह बयान स्वराज अभियान राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने प्रेस को जारी किया।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार प्रदेश में श्वेत आतंक का वातावरण बनाये हुई है। सरकार की कार्यवाहियों के हर आलोचक और शांतिपूर्ण ढंग से प्रतिवाद करने वाले लोग उसके निशाने पर हैं। आरएसएस की सनक भरी विचारधारा को लागू करने पर आमादा प्रदेश सरकार सूबे को जेलखाने में तब्दील कर रही है। यह सरकार इतनी अमानवीय है और बदले की भावना से ग्रस्त है कि दुधमुंही बच्ची की मानसिक प्रताड़ना पर भी गौर नहीं कर रही है और निहायत शांतिपूर्ण प्रदर्शन में शामिल उसके माता व पिता को रिहा नहीं कर रही है।
स्वराज अभियान नेता ने कहा कि हिन्दू संस्कारों की बात करने वाली प्रदेश सरकार पूरी तौर पर बचपन विरोधी, महिला विरोधी साबित हुई है। गम्भीर बीमारी के दौर से गुजर रहे 77 वर्षीय एस. आर. दारापुरी को जेल में उचित दवा भी नहीं मिल पा रही है।
गौरतलब हो कि किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ में उनकी जांचें कराने के लिए डाक्टर ने लिखा हुआ है लेकिन यह जांचें कराने के लिए भी उन्हें जेल प्रशासन ने अभी तक केजीएमयू नहीं भेजा है। जेल कानून का हवाला देकर उनसे सहज रूप से मिलने भी नहीं दिया जा रहा है। यही हालत जेल में बंद अन्य निर्दोष लोगों के
साथ भी है।
उन्होंने कहा कि यह वाजिब है कि सरकार नागरिकता रजिस्टर व संशोधित नागरिकता कानून का विरोध करने वाले लोगों से मिलने की वैसे ही इजाजत दे जैसे की राजनीतिक आंदोलन में जेल में गए लोगों से मिलने की इजाजत सरकारों द्वारा दी जाती रही है। नागरिक और राजनीतिक आंदोलन के लोगों के ऊपर इस तरह के दमन और आतंक का औचित्य क्या है।


