एक अकेला राहुल संघ के लिए भय का दूसरा नाम है!
एक अकेला राहुल संघ के लिए भय का दूसरा नाम है!
राहुल गाँधी के आरोप में दम ना होता तो मोदी संसद छोड़ चौराहे पर रोना धोना न शुरू करते
एक अकेला राहुल संघ के लिए भय का दूसरा नाम है।
संदीप वर्मा
राहुल जी के आरोप में दम ना होता तो मोदी जी संसद छोड़ चौराहे पर रोना धोना न शुरू कर देते।
......आखिर कब तक और कहाँ तक दौड़ेंगे साहब ?
संसद लोकतंत्र में बहस विमर्श आरोप और चर्चा का केंद्र है। सदन के नेता हैं आप।
आपका सदन से इस तरह भागना जनता के बीच शक पैदा करता है। आरोपों का सामना कीजिए और अपनी तरफ घूम चुकी शक की सुई को निराधार साबित कीजिए। वरना बस एक गलती।..और इतिहास किसी भी नेता को कूड़ेदान में फेक देता है।
मीडिया में छुपे हुए संघी कारकुनों को पहचानने का तरीका बहुत आसान है। इसके लिए आपको संघ के सबसे बड़े शत्रु को पहचानना होगा।
संघ अगर किसी से डरता है तो वह है इंदिरा और नेहरू की विरासत। इस देश की नींव में नेहरू और इंदिरा जी की परम्परा पड़ी है वह संघ को हजम नहीं हो सकती। संघ गाँधी और आंबेडकर को तो अपना सकता है, मगर नेहरू और इंदिरा जी को हजम नहीं कर सकता।
नेहरू और इंदिरा जी की विरासत जारी रहने का भय है, जो संघ को उसके नष्ट हो जाने का अहसास करा देता है।
कांग्रेस अपने इतिहास में सिर्फ एक बार नेहरू और इंदिरा जी के रास्ते से अलग हुई थी और वह काल संघ के इतिहास में स्वर्णकाल है। संघ अपने उसी स्वर्णकाल को वापस लाने के लिए राहुल जी पर हर तरह से हमले करता है।
नेहरू और इंदिरा जी की विरासत को आगे बढ़ाने का नाम राहुल गांधी है। इसीलिए आधी अधूरी खबरों के साथ मौका मिलते ही राहुल जी पर हमले होते रहते हैं।
एक अकेला राहुल संघ के लिए भय का दूसरा नाम है।
राहुल जी का विरोध या उन्हें राजनीति सिखाने वाले मीडियाकर्मी समय रहते अपनी समझ साफ कर लें यह जरूरी है, वरना जनता उनका भी मोदी बना देगी।
मोदी जी का दस लाख का सूट नीलाम करवाने वाले राहुल गाँधी का कल बेलगाम (कर्नाटक ) में दिया भाषण किसी चैनेल या प्रिंट में तो मिलेगा नहीं, इसलिए पर राहुल जी का भाषण के मुख्य बिंदु आपके लिए पेश हैं।
जैसे अंग्रेजी में कहते है।. मैन मेड डिजास्टर।. उसी तरह नोटबंदी बन गयी है। .मोदी मेड डिजास्टर '.. सौ लोगों से ज्यादा की मृत्यु हुई।
नोटबंदी का निर्णय भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं था। नोट बंदी का निर्णय।....
हिंदुस्तान के ईमानदार लोगों के खिलाफ, हिन्दुस्तान के किसानो के खिलाफ, हिन्दुस्तान के मजदूरों के खिलाफ, हिन्दुस्तान के छोटे दुकानदारों के खिलाफ है। ..सारा का सारा कैश में धन काला धन नहीं है, और सारा का सारा काला धन कैश में नहीं है।
..सरकार का आंकड़ा है कि सिर्फ छः प्रतिशत काला धन कैश में होता है, चौरानबे प्रतिशत काला धन रियल स्टेट में, बड़ी-बड़ी इमारतो में और स्विस बैंक में है।..
ढाई साल से हम सरकार से मांग कर रहे हैं कि स्विट्जरलैंड की सरकार द्वारा दिए गए चोरों के नाम पार्लियामेंट में रखो, ....क्यों नहीं रखे ?
नरेंद्र मोदी जी इन लोगों को क्यों बचा रहे हैं।...
मोदी जी आपने विजय माल्या को बारह सौ करोड़ की टॉफी क्यों खिलाई ?..
शुरुआत काले धन से की।. जब तेरह लाख करोड़ रुपया वापस आ गया.. नरेंद्र मोदी जी काले धन की बात नहीं कर रहे हैं।
..काले धन के खिलाफ निकल कर दौड़े..कहते हैं आतंकवाद के खिलाफ एक्शन लिया। नोटबंदी हमने आतंकवाद के खिलाफ किया।
...जब दो दिन बाद आतंकवादी मिले...उनकी जेब में दो हजार के नए नोट थे....नरेंद्र मोदी जी ने तुरंत बात बदल दी, कैशलेस इकानामी की बात शुरू कर दी। आतंकवाद को भी भूल गए... कहा हम कैशलेस इकानामी लायेंगे।


