एक और व्यापम की तैयारी... जो बोलेगा उसका जस्टिस लोया की तरह का अंत हो सकता है

एक और 'व्यापम' की तैयारी? MPPSC भर्ती घोटाला! 30 साल पुराने दस्तावेज़ मांगकर युवाओं को क्यों ठगा जा रहा है?

MPPSC असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में अभ्यर्थियों से 30 साल पुराने दस्तावेज़ (10वीं-12वीं की प्रवेश तिथि) माँगकर एक नए घोटाले की तैयारी की जा रही है! जानिए कैसे यह "व्यापम 2.0″ बनने जा रहा है और क्यों जस्टिस लोया जैसी साजिश का डर सता रहा है। सिस्टम के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों को कुचलने की यह क्रूर रणनीति किसके इशारे पर चल रही है? #MPPSCScam #Vyapam2 #JusticeForStudents

  • MPPSC भर्ती: 30 साल पुराने दस्तावेज़ की असंभव शर्त!
  • व्यापम 0? जानिए कैसे बनाई जा रही है नई घोटाले की स्क्रिप्ट
  • "जस्टिस लोया जैसा अंत" – क्यों डर रहे हैं अभ्यर्थी?
  • MPPSC अधिकारियों की गुमराह करने की रणनीति
  • 2014-2016 में भी हुआ था विज्ञापन निरस्त, फिर भी नहीं सुधरी व्यवस्था
  • क्या करें अभ्यर्थी? न्यायालय या जनआंदोलन का रास्ता?

आपको पैदा करने बाली दाई का नाम बताइये

क्रूर और निर्मम भ्रष्ट व्यवस्था के पंजे कितने शक्तिशाली और निर्मम हैं यह mppsc की हाल में जारी हुई असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा के आवेदन करने बाले आवेदकों को पता चला है. तीन दशकों से परीक्षा का इंतजार कर रहे लाखों आवेदक सर पकड़कर बैठ गए जब उन्होंने उक्त परीक्षा का ऑनलाइन आवेदन करना शुरू किया. आवेदन में 20 - 30 साल पहले दी गईं दसवीं और बारहवीं की परीक्षा में प्रवेश की तिथि और T C की तिथि पूछी जा रही है जो कि प्रायः किसी के पास नहीं होती.

महाविद्यालयों में प्रवेश की लंबी प्रक्रिया चलती है और इस तरह के रिकॉर्ड का व्यवस्थित संधारण भी नहीं होता न ही जरूरत होती है. कभी भी किसी भी लोक सेवा आयोग ने इस तरह की जानकारी कभी नहीं मांगी है और न ही mppsc ने कभी इस तरह की कोई जानकारी मांगी है.

वर्ष 2014 और 2016 में mppsc इसी विज्ञापन को जारी कर के निरस्त भी कर चुकी है और उसने भी यह ऊलजलूल जानकारी नहीं मांगी थी. 2016 में तो परीक्षा ठीक परीक्षा तिथि के पहले ही रद्द हो गई थी वरना भर्ती प्रक्रिया अब तक पूरी हो गई होती.

Mppsc के अधिकारी भी इन समस्याओं का कोई संतोषजनक जबाब देने के बजाय अभ्यर्थियों को गुमराह कर रहे हैं. कक्षा 9 वीं से 12वी तक प्रवेश तिथि एक भी हो सकती है और अनेक भी. अगर कोई अभ्यर्थी एक ही कक्षा में एक से अधिक वर्ष अध्ययनरत रहा है तो प्रवेश की कौन सी तिथि मानी जायेगी ? यही नहीं कई अभ्यर्थी प्राइवेट तौर पर भी अध्ययनरत रहते हैं वे ये जानकारी कैसे भरेंगे.

देश भर में हर अभ्यर्थी आम तौर पर अपनी मार्कशीट ही सम्हाल कर रखता है, और उसी का हर जगह उपयोग किया जाता है. मार्कशीट की वैधता का परीक्षण सम्बंधित बोर्ड में किया जा सकता है . मगर प्रवेश या उत्तीर्ण होने की कोई निश्चित तिथि नहीं वरन वर्ष या सत्र ही होता है. ऐसी स्थिति में mppsc मनमाने तरीके से किसी भी अभ्यर्थी की अभ्यर्थिता का अधिकार छीन सकती है या दे सकती है.

ये सब क्यों किया जा रहा है किसी से छुपा नहीं है. जाहिर है एक और व्यापम की स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी है. जब न्यायालयों के न्यायाधीश ही न्याय के लिए जनता की अदालत में आ रहे हों तो ये बेचारे अर्धबुजुर्ग अभ्यर्थी कहाँ जाएँ जिन्हें अपनी पढाई पूरी किये 20 और 30 वर्ष हो गए और कॉलेजों की भर्ती के इंतजार में ये 50 की उम्र पर पहुँच गये हैं. कोई सुनने बाला नहीं कोई बोलने बाला नहीं. और बोलेगा तो जस्टिस लोया की तरह का अंत उसका हो सकता है. प्रार्थना है कि इस धूर्त स्क्रिप्ट को देश भर तक पहुंचाएं की किस तरह एक और व्यापम की तैयारी की जा चुकी है.

वीरेन्द्र जैन