एक सकारात्मक पर प्रतीकात्मक प्रयास रहा कार फ्री डे का आयोजन
एक सकारात्मक पर प्रतीकात्मक प्रयास रहा कार फ्री डे का आयोजन
कार फ्री डे पर ग्रीनपीस ने की वायु गुणवत्ता की जाँच और राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक की समीक्षा
नई दिल्ली। 22 अक्टूबर 2015। जिस तरह विजयादशमी के मौके पर लोग साफ नये कपड़े पहन कर दिन की शुरुआत करते हैं, ठीक उसी तरह आज का दिन दिल्ली की एक सड़क पर स्वच्छ फेफड़ों की उम्मीद से शुरू हुआ।
दिल्ली सरकार ने गुरुवार को पाँच घंटों के लिये इंडिया गेट से लाल किला के बीच के छह किलोमीटर की दूरी को कार फ्री जोन घोषित किया, लेकिन जिस तरह रावण के जलाये जाने तक पूरा आसमान धुआँदार हो, उन स्वच्छ कपड़ों का असर कुछ फीका पड़ जाता है, ठीक उसी तरह पर्यावरण संस्था ग्रीनपीस इंडिया द्वारा जारी एक सर्वेक्षण से ये स्पष्ट हुआ, कि पांच घंटों के लिये कार फ्री जोन घोषित करने का सरकारी प्रयास सिर्फ प्रतीकात्मक साबित हुआ।
ग्रीनपीस इंडिया ने स्वयं एक सर्वेक्षण दो दिन किया : कार फ्री डे के दिन और उससे एक दिन पहले, जिससे कार फ्री डे के प्रभाव का आकलन किया जा सके और केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा जारी आकड़ों की प्रमाणिकता की जाँच हो सके। दिल्ली के प्रथम कार फ्री डे के मौके पर, लाल किला और इंडिया गेट के बीच, ग्रीनपीस इंडिया द्वारा दो दिनों तक हर चार घंटे की गयी वायु गुणवत्ता की जाँच में दिल्ली की वायु गुणवत्ता (पीएम 2.5 एकाग्रता) 21 अक्टूबर को 428 घनमीटर (428µg/m³) और 22 अक्टूबर को कार फ्री डे के दौरान 172 घनमीटर (172µg/m³) दर्ज की गयी।
21 अक्टूबर को दर्ज वायु गुणवत्ता राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों से 7 गुणा और विश्व स्वास्थ्य संगठन से 16 गुणा अधिक है, लेकिन 22 अक्टूबर को दर्ज वायु गुणवत्ता भी राष्ट्रीय मानकों से 3 गुना और विश्व स्वास्थ्य संगठन से 7 गुणा अधिक नज़र आयी।
सर्वेक्षण में यह भी उजागर हुआ है कि कार फ्री जोन के बीच वायु निगरानी स्टेशन के बाहर, पीएम 2.5 और पीएम 10 के आकड़ों को बताया भी नहीं जा रहा है।
यही स्थिति दिल्ली के दूसरे जगहों पर भी पायी गयी। दिल्ली में स्थित 10 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों में से 5 ऐसे हैं जहां तीन महीने पुराने आकंड़े दिखाये जा रहे हैं या फिर पीएम 2.5 और पीएम 10 के आकड़े को दिखाया ही नहीं जा रहा है। सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि कार फ्री जोन के नजदीक मौजूद राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक द्वारा संचालित निगरानी स्टेशन से पुराने आकड़े ही प्रसारित किये जा रहे हैं, जिससे कार फ्री डे के प्रभाव को आंकना मुश्किल है। इससे स्पष्ट रूप से पता चलता है कि राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक अपने मौजूदा रूप में सही आकड़े देने, सूचना को प्रसारित करने, लोगों को एहतियाती सावधानी बरतने में मदद करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर मंडरा रहे खतरे से निपटने में हर तरह से अक्षम है।
ग्रीनपीस इंडिया के कैंपेनर सुनील दहिया ने कहा, “विजयादशमी के दिन कार फ्री डे का आयोजन सरकार द्वारा एक सकारात्मक पर प्रतीकात्मक प्रयास रहा। हालांकि देश में वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्या ने रावण जैसा ही विकराल रूप धारण कर लिया है, इस बुराई के विनाश के लिये बेहद ठोस कदम उठाने की जरुरत है। छह किलोमीटर के बीच कार फ्री डे का आयोजन जैसा छोटा प्रयास बेहद सीमित समाधान प्रस्तुत करता है। तत्काल ये बहुत महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक को सही इरादे से लागू किया जाये ताकि जनता बुरे प्रदुषण वाले दिनों में अपने आप को सुरक्षित रखने के लिये एहतियाती कदम उठा सके और सरकारों पर सही कदम उठाने का दबाव बना सके। साथ ही सरकार को दिल्ली ही नहीं पूरे देश में सुरक्षित वायु प्रदान करने के लिये प्रदूषण के अन्य सभी मूल कारणों पर भी ध्यान देना होगा और गंभीर कदम उठाने होंगे। तभी हम बुराई पर अच्छाई की विजय का सही जश्न मना सकेंगे।”


