ऑनलाइन रेल टिकट – बड़े धोखे हैं इस डिजिटल इंडिया में
ऑनलाइन रेल टिकट – बड़े धोखे हैं इस डिजिटल इंडिया में
ऑनलाइन रेल टिकट – बड़े धोखे हैं इस डिजिटल इंडिया में
नई दिल्ली, 4 दिसंबर। नोटबंदी की घोषणा के बीच रेल यात्रा के टिकट इंटरनेट के जरिए ऑनलाइन बुक करा कर कैशलेस इंडिया बनाने की मुहिम के लिए सर्विस टैक्स में 31 दिसंबर तक की छूट दी गई है, लेकिन इस डिजिटल इंडिया की हकीकत कड़वी है। आपको यह बात हैरान कर सकती है कि ऑनलाइन से रेलयात्रा का टिकट बुक कराने पर सिर्फ सर्विस टैक्स नहीं देना होता, बल्कि कई अन्य तरह से भी जेब कटती है।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नबंवर की रात को राष्ट्र के नाम दिए संदेश में 500-1,000 रुपये के नोटों को अमान्य करने का ऐलान किया था।
कैशलेस को बढ़ावा देने के लिए और यात्रियों को बेहतर सुविधा दिलाने के मकसद से आईआरसीटीसी के जरिए टिकट बुक कराने पर 23 नवंबर से 31 दिसंबर तक सर्विस टैक्स से छूट की घोषणा गई है।
आईआरसीटीसी के जरिए स्लीपर टिकट बुक कराने पर 20 रुपये और वातानुकूलित श्रेणी में 40 रुपये सर्विस टैक्स देना पड़ता है।
प्रतिष्ठित अखबार देशबन्धु में प्रकाशित एक समाचार के मुताबिक ऑनलाइन टिकट बुक कराने पर लगने वाले सरचार्ज को लेकर मध्यप्रदेश के नीमच निवासी सूचना के अधिकार के कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौर ने 21 सितंबर को प्रधानमंत्री कार्यालय पब्लिक ग्रीवंस के जरिए प्रधानमंत्री का ध्यान आकृष्ट किया था।
इसमें चंद्रशेखर गौर ने लिखा था कि एक तरफ सरकार डिजिटल इंडिया या ऑनलाइन लेनदेन को बढ़ावा देने पर अपना जोर लगा रही है, मगर रेलवे का ऑनलाइन टिकट लेनदेन ऑफलाइन (काउंटर से) लेनदेन की तुलना में महंगा है।
गौर ने इसमें जिक्र किया था कि ऑनवार्ड (लंबी दूरी की यात्रा उदाहरण के तौर पर भोपाल से दिल्ली और दूसरी गाड़ी मे दिल्ली से अमृतसर) यात्रा पर ऑफ लाइन टिकट लेने पर एक बार ही आरक्षण शुल्क लगता है, साथ ही टेलिस्कोपिक यात्रा का रियायती लाभ मिलता है, जबकि ऑनलाइन टिकट कराने पर ऑनवार्ड का लाभ नहीं मिलता दो बार टिकट बनाना पड़ता है)।
इसके चलते दो बार आरक्षण शुल्क लगता है, साथ ही टेलिस्कोपिक यात्रा का रियायती लाभ नहीं मिलता।
उन्होंने लिखा कि ऑनलाइन टिकट कराने से सरकार और यात्री दोनों को लाभ हेाता है, एक तरफ रेलवे के संसाधनों पर दवाब नहीं पड़ता है, तो रेलवे केंद्र तक आने जाने के लिए परिवहन की बचत होती है, इससे पर्यावरण पर भी नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। यात्री का जोखिम भी कम होता है, इतना ही नहीं सारा लेन-देन सरकार की निगरानी में होता है। इसलिए ऑफलाइन जैसी ऑनवार्ड यात्रा का लाभ ऑनलाइन में भी दिया जाए।
सेंट्रल पब्लिक ग्रेविएंस रिडेसर एंड मोनीटरिंग सिस्टम (सीपीजीआरएएमएस) के जरिए 17 अक्टूबर को गौर का जो जवाब आया, जिसमें सुझाव को अत्यंत उपयोगी बताते हुए संबंधित कार्यालय इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन को भेजने की बात कहीं गई।
गौर ने कहा कि ऑनलाइन टिकट पर सिर्फ सर्विस चार्ज ही नहीं लगता है, कई बैंकों प्रति ट्रॉन्जेक्शन पर 10 रुपये लेते हैं, वहीं ऑनवर्ड यात्रा का विकल्प तो होता है, मगर दो टिकट लेने होते हैं, परिणामस्वरूप दो बार आरक्षण शुल्क लगता है और टेलिस्कोपिक यात्रा का रियायती लाभ नहीं मिलता।


