कब्र खोदने वाले अता मोहम्मद खान के लिए दो मिनट का मौन
कब्र खोदने वाले अता मोहम्मद खान के लिए दो मिनट का मौन
कश्मीर में दफनाई गई त्रासदियां और अतुल्य मोहम्मद खान
कहा गया मेरा बेटा, पाताल में चला गया, या आसमान में हवा हो गया या पानी में विलीन हो गया
सुभाष गाताड़े
एक ‘कब्र खोदनेवाले’ के जनाजे में इतने लोग शायद पहले कभी नहीं जुटे हों। अलबत्ता पिछले दिनों जब 75 साल की उम्र में अतुल्य मोहम्मद खान का इंतख़ाल हुआ, तब यही नजारा दिख रहा था।
उत्तरी कश्मीर के सीमावर्ती शहर उरी के चहल बिम्बयार गांव के निवासी रहे अतुल्य मोहम्मद खान ने अपने घर में ही अंतिम सांस ली थी। लंबे समय से वह अस्थमा से पीड़ित थे। सोचना की बात थी कि ऐसे शख्स के लिए इतने सारे लोग क्यों मातम में थे?
कश्मीर के रक़्त रंजित इतिहास के एक ऐसे साक्षी थे अतुल्य मोहम्मद खान, जिन्होंने अपनी रेखिस्तानी आंखों में बहुत कुछ समेट रखा था।
असल बात यह है कि वह कोई मामूली ‘कब्र खोदनेवाले’ नहीं थे। वह कश्मीर के रक़्त रंजित इतिहास के एक ऐसे साक्षी थे, जिन्होंने अपनी रेखिस्तानी आंखों में बहुत कुछ समेट रखा था। वह कश्मीर की सिविल सोसायटी में चर्चित चेहरे थे, जबसे उन्होंने सूबे में फैली अचिन्हित कब्रों (unmarked graves) को ढूंढने में इन संस्थाओं की सहायता की थी। और जब हुक्मरानों की तरफ से बुलावा आया तो किसी से बिना डरे खुल कर वह सबकुछ बयां किया था। कुछ साल पहले राजधानी से निकलने वाले एक अंग्रेजी अख़बार 'Tragedies buried in Kashmir' में टुडे ने 28 मार्च, 2008 ने जब कश्मीर में दफनाई गई इन...


