कविता कार्यशाला

इन्दौर। म. प्र. प्रगतिशील लेखक संघ की अशोकनगर इकाई ने दिनांक 5-6 अक्टूबर, 2014 को दो दिवसीय कविता कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में नई पीढ़ी के 20 से अधिक कवियों ने भागीदारी की। ये सब ऐसे कवि थे जिनकी कवितायें अभी किसी पत्रिका में प्रकाशित नहीं हुई हैं।

पहले दिन कविता कार्यशाला में भोपाल से आये जाने-माने हिन्दी कवि कुमार अम्बुज ने “कविता की ज़रूरत और कविता के सरोकार“ विषय पर अपना उद्घाटन भाषण दिया। शुरूआत में स्थानीय साथी हरिओम राजोरिया ने शिविर की विस्तृत रूपरेखा पर प्रकाश डाला और पहले सत्र का संचालन भोपाल से आये कवि अनिल करमेले को सौंप दिया। सत्रों की परिकल्पना इस तरह से की गयी थी कि पहले आधार वक्तव्य होता था और उसके बाद नए कवि साथियों के साथ संवाद और बातचीत का सिलसिला शुरू होता था।

पहले दिन के दूसरे सत्र में इंदौर से आये प्रलेसं के प्रदेश महासचिव विनीत तिवारी ने “समकालीन कविता का परिदृष्य" विषय पर अपनी बात कही| इस बीच अनेक सवाल आये और नए कवियों ने बहस में हस्तक्षेप किया।

भोजन के बाद तीसरा सत्र हुआ और इस सत्र में भिलाई से आये कवि नासिर अहमद सिकंदर ने “कविता का कथ्य“ (विषय, विचार, भाव और संवेदना, व्यक्ति चित्र) विषय पर विस्तार से कविताओं के अनेक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए अपना वक्तव्य दिया। इस सत्र का संचालन युवा कवि एवं आलोचक बसंत त्रिपाठी (नागपुर) ने किया।

पहले दिन शाम को अंतिम सत्र में अशोकनगर, गुना, इंदौर, दमोह और बीना से आये युवा साथियों में से खुशी श्रीवास्तव, अरबाज़ खान, समीक्षा दुबे, एकांत पाठक, शिल्पी जैन, महेश श्रीवास्तव, अभिषेक अंशु, उमेश विश्वकर्मा, पुरूषोत्तम रजक और निशांत गंगवानी ने अपनी चुनी हुई कविताओं का पाठ किया। कविता पाठ के बाद कविताओं पर होने वाली बातचीत में कुमार अम्बुज, विनीत तिवारी, हरिओम राजोरिया, बसंत त्रिपाठी और नासिर अहमद सिकंदर आदि ने भाग लिया। पहले दिन होने वाले सभी सत्रों से पहले अशोकनगर इप्टा के किशोर कलाकारों ने जनगीतों की प्रभावी प्रस्तुति दी| गुना से आयी युवा कवयित्री समीक्षा दुबे ने भी इप्टा की परंपरा से जुड़े गीतों का गायन किया। युवा कवियों के कविता पाठ से पहले बीना से आये वरिष्ठ कवि महेश कटारे सुगम ने अपनी बुन्देली बोली में लिखीं ग़ज़लों का पाठ किया।

दूसरे दिन के पहले और अंतिम सत्र में “ कथ्य का निर्वाह काव्य भाषा, बिम्ब, प्रतीक, काव्य मुहावरा, विचार और विचारधारा विषय पर बसंत त्रिपाठी ने आधार वक्तव्य दिया और बसंत त्रिपाठी की बात को नासिर अहमद सिकंदर, कुमार अम्बुज, बसंत सकरगाये, विनीत तिवारी और हरिओम राजोरिया ने आगे बढ़ाया।

कविता कार्यशाला में महेश कटारे सुगम, सत्येन्द्र रघुबंशी, सुरेन्द्र रघुवंशी, मुकेश बिजौले, गिरीश जाटव, उमा, निवेदिता तथा अफरोज आदि की सक्रिय भागीदारी रही। इस कार्यशाला को संभव बनाने में प्रलेस और अशोकनगर इप्टा के साथी पंकज दीक्षित, रामदुलारी शर्मा, विनोद शर्मा, रतनलाल, सीमा, ब्रिजेन्द्र, श्याम बाबू, संजय माथुर, राकेश विश्वकर्मा, अभिषेक और अरबाज़ आदि साथियों की आधार भूमिका रही। पंकज दीक्षित के बनाये अनेक कविता पोस्टर कार्यक्रम स्थल पर लगाए गए थे।

कविता कार्यशाला का समापन जनगीत से ही हुआ। पिछले तीन वर्षों में अशोकनगर प्रगतिशील लेखक संघ की यह चौथी कार्यशाला थी|