कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट : यह भी 70 साल में पहली बार हुआ
कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट : यह भी 70 साल में पहली बार हुआ

यह भी इतिहास में पहली बार हुआ है कि यूएन यानी संयुक्त राष्ट्र ने दोनों तरफ के कश्मीर में मानवाधिकार पर 49 पेज की रिपोर्ट जारी की है। आज, यानि गुरूवार को जारी, इस रिपोर्ट से भारत को जम्मू-कश्मीर के मामले में बड़ा राजनयिक झटका लगा है।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने गुरुवार को कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामले में अपनी तरह की पहली रिपोर्ट जारी की है। साथ ही ऐसे मामलों की अंतरराष्ट्रीय जांच कराए जाने की जरूरत बताई है।
भारत ने कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट पर कड़ी आपत्ति जताई है। विदेश मंत्रालय ने आज संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को ‘भ्रामक, विवादास्पद और प्रेरित' करार दिया।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती है।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपनी रिपोर्ट में भारत के साथ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) को भी शामिल किया है। इसमें दोनों ही क्षेत्रों में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चिंता ज़ताई गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘नियंत्रण रेखा के दोनों तरफ रहने वाले लोग पीड़ित हैं। उन्हें या तो अधिकार दिए ही नहीं जा रहे हैं या फिर बेहद सीमित ही हासिल हो रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र की ह्यूमन राइट बॉडी के चीफ जैद राद अद हुसैन ने कहा है कि जुलाई 2016 से इस क्षेत्र में सभी नागरिकों की हत्या जांच की जानी चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया कि पैलेट गन का उपयोग तुरंत बंद किया जाना चाहिए, जिसका उपयोग अत्यधिक भीड़ नियंत्रण के लिए किया जाता है, क्योंकि इससे लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते इस स्थिति को बदलने के लिए जल्द से जल्द अंतरराष्ट्रीय दख़ल की ज़रूरत है।’
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट मुख्य रूप से जुलाई 2016 से अप्रैल 2018 तक जम्मू-कश्मीर में किए गए गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों पर केंद्रित है। अनुमान है कि सुरक्षा बलों के हाथों 145 नागरिकों की मौत हुई वहीँ आतंकवादियों ने भी 20 नागरिकों को मार डाला
कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच के लिए सीओआई द्वारा एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच शुरू की जाएगी। जांच के आयोग को संयुक्त राष्ट्र ने बड़ी संकट स्थितियों के लिए स्थापित किया है। यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा उच्चतम स्तर की जांच है। इस रिपोर्ट में जीप से बाँध कर एक नागरिक को घुमाने, बुरहान वानी के मारे जाने के बाद की हिंसा, कुछ लोगों के अपरहण और बलात्कार के उदाहरण दिए गए हैं।
दुखद है कि जब कश्मीर में हमारे जवान शहीद हो रहे हैं तब यूएन जैसे संगठन इस तरह की रिपोर्ट जारी कर रहे हैं। रिपोर्ट आते ही मीर वाईज जैसे अलगाववादी और आतंकियों के समर्थक अपने जहरीले बयानों के साथ सामने आ रहे हैं।
First-ever @UNHumanRights report on #Kashmir calls for international inquiry into #humanrights violations and abuses on both sides of the Line of Control: https://t.co/8SeQ9tlhZU pic.twitter.com/P7OSNj6HJl
— UN Human Rights (@UNHumanRights) June 14, 2018
UN report on human rights violations in Kashmir
(पंकज चतुर्वेदी वरिष्ठ पत्रकार हैं, उनकी एफबी टिप्पणी)


