शेष नारायण सिंह

दंतेवाड़ा। जगदलपुर से जब दंतेवाड़ा के लिये रवाना हुये तो तरह- तरह की चेतावनी दी गयी थी कि बहुत संभल कर जाना, उधर बहुत ज़्यादा संख्या में माओवादी रहते हैं। सड़क पर हर दस क़दम पर सुरक्षा बलों के जवान तैनात थे। यह नेशनल हाइवे है, सड़क पर किसी भी आतंकवादी घटना की संभावना नहीं मानी जाती।

हम और हमारे मित्र राजेन्द्र तिवारी तो माओवादियों से मिलने के चक्कर में ही थे। उन्होंने अपने किसी रिपोर्टर से कह भी रखा था कि अगर कोई मिलने को तैयार हो तो बात कर लो। हमने दंतेवाडा की यात्रा की, दंतेश्वरी देवी के मंदिर में भी गये और देखा कि आदिवासियों की अति आदरणीय देवी के मंदिर में करीब पांच साल पहले रमन सिंह की सरकार ने हनुमान जी की एक बहुत बड़ी प्रतिमा बनवा दी है। आर एस एस की बहुत दिनों से कोशिश चल रही है कि आदिवासियों के प्रतिष्ठित देवी देवताओं के ऊपर उन देवताओं को प्रतिष्ठित किया जाये जिनको विश्व हिन्दू परिषद अपने कार्यक्रमों में आगे इस्तेमाल करता है। हनुमान जी की प्रतिमा भी इसी योजना का हिस्सा लगी।

आज दिन भर ख़ाक छानते रहे लेकिन किसी माओवादी नेता के दर्शन नहीं हुये। हम तो उस सड़क पर भी गये जिस पर करीब दो घंटा कार चलने के दौरान हमारे अलावा और कोई कार नज़र नहीं आयी। बताया गया था कि इस सड़क पर जाना खतरे से खाली नहीं है। लेकिन कोई नहीं मिला। शायद अगली बार मुलाक़ात हो किसी माओवादी नेता से।

गीदम-बारसूर रोड पर भी गये। बत्तीसा मंदिर गये, गणेश मंदिर गये, मामा-भांजा मंदिर गये, लेकिन कहीं कोई नहीं मिला। कहीं भी किसी पार्टी का चुनाव प्रचार नहीं दिखा। बारसूर की नगर पंचायत की प्रमुख से मिले तो वे बोलीं कि वे अपने बेटे के साथ ही किसी से बात करती हैं। जगदलपुर के एक आदरणीय भाजपा नेता ने कहा कि माओवादियों की धमकी के बाद उनकी पार्टी को नुक्सान हो सकता है। बस्तर संभाग की 12 सीटों में से 2008 में भाजपा को 11 सीटें मिली थीं लेकिन इस बार भाजपा का हर नेता कह रहा है कि तस्वीर बिलकुल बदल गयी है।