कमलजीत अविनाशी
चण्डीगढ़। नेशनल हेरल्ड मामला कोर्ट में जाने के बाद से आजकल कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी की रातों की नींद गायब हो गई लगती है, वहीँ हरियाणा की हुड्डा सरकार भी पिछ्ले कुछ दिनों से इस मामले को लेकर काफी चौकस दिखाई दे रही है। सूत्रों के मुताबिक हरियाणा की हुड्डा सरकार इस मामले को लेकर काफी विचलित है। क्योंकि हुड्डा सरकार ने भी इस अखबार की वित्तीय मदद करने के लिहाज से अपनी सरकार के करोड़ों रूपये के विज्ञापन दिए। कहा तो यहां तक जा रहा है कि हुड्डा सरकार ने इस अखबार को जारी किये जाने वाले सभी डिस्प्ले रंगीन विज्ञापन डी ए वी पी द्वारा निर्धारित रेट की बजाय कई गुना अधिक कमर्शियल रेट पर देकर अंदरखाते भरपूर मदद की थी।
सूत्र बताते हैं कि भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने जब हरियाणा के मुख्यमंत्री का कार्यभार सम्भाला तब नेशनल हेराल्ड के सर्वेसर्वा और कांग्रेस के आला नेता मोती लाल वोरा ने हुड्डा को अपने अखबार की कमजोर वित्तीय स्थिति के बारे में विस्तार से बताया और मुख्यमंत्री होने के नाते अखबार की वित्तीय मदद करने के लिए कहा जिस पर हुड्डा ने एकदम से हामी भर दी। हुड्डा ने तुरंत अपने आला अफसरों को इस अखबार की किसी भी तरीके से भरपूर वित्तीय मदद करने के निर्देश दे दिए। चर्चा है कि हुड्डा ने अफसरों को बताया था कि किस तरह पूर्व स्वर्गीय प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु, स्वर्गीय इंदिरा और राजीव गांधी की इस अखबार के प्रति गहरी दिलचस्पी रही और अब सोनिया गांधी भी इस अखबार के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। इस पर एक अफसर के सुझावों, तर्कों को देखते हुए इस अधिकारी को ही न केवल अखबार की जिम्मेदारी ही दी बल्कि लोक सम्पर्क विभाग का उन्हें मुखिया ही बना दिया।
सूत्र बताते हैं कि यदि रिकार्ड खंगाला जाए तो पता चलते देर नहीं लगेगी कि इस अखबार को तब से दनादन हरियाणा सरकार के सभी विभागों के विज्ञापन मिलने शुरू हो गये। सूत्रों का कहना है कि यदि इस दिशा में व्यापक निष्पक्ष जांच की जाए तो सरकार को कितना चूना लगा यह बात छिपी नहीं रहेगी।
सर्कुलेशन कम होने की वजह से डी ए वी पी द्वारा निर्धारित रेट बहुत ही कम था जिसके कारण इस तेजतर्रार अफसर के मनमाफिक मदद नहीं हो पा रही थी। अब इन जनाब ने इस समस्या का ईलाज भी ढूंढ निकाला। अब इस अफसर द्वारा अखबार को अपने विभाग द्वारा करोड़ों के जारी किये जाने वाले सभी डिस्प्ले रंगीन विज्ञापन डी ए वी पी द्वारा निर्धारित रेट की बजाय शार्ट कट से कई गुना अधिक कमर्शियल रेट पर देकर भरपूर मदद की गई। यह सिलसिला अखबार के बंद होने तक चलता रहा। हुड्डा सरकार द्वारा इतनी मदद के बावजूद यह अखबार नहीं चल सका। परन्तु इस अखबार को कमर्शियल रेट देने के कारण सरकार को राजस्व का भारी नुक्सान होने का अंदेशा है। सूत्रों से पता चला है कि इस मामले की गंभीरता के चलते इसकी सम्भावना है कि इस अखबार से जुड़े रिकार्ड की तमाम फाईलों को खुर्दबुर्द कर दिया जाय।