कांग्रेस राज में सड़कों पर एक गांधी !
कांग्रेस राज में सड़कों पर एक गांधी !
अंबरीश कुमार
लखनऊ , जुलाई । राहुल गांधी ने एक बार फिर गाँव का रुख किया है । पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश के गांवों में रात गुजारी थी अब पश्चिम की बारी है । उत्तर प्रदेश क्या देश में कही भी नेता शहर की सड़कों पर भी कम उतरते है ऐसे में राहुल गांधी का गाँव की पगडंडियों पर उतरना सभी के लिए एक सुखद आश्चर्य जरुर है । भट्टा-पारसौल से राहुल गांधी की किसान यात्रा से उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से किसान एजंडा उभरने लगा है । ख़ास बात यह है कि राहुल गांधी की किसान यात्रा से कांग्रेस गायब है । कांग्रेस के एक प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह जरुर साथ है । किसानो के सवाल पर राहुल अकेले चल रहे है । पर इस किसान यात्रा का पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनैतिक दशा और दिशा पर कोई असर पड़ पाएगा यह कहना बहुत मुश्किल है । राहुल गाँधी जहाँ भी जाते है भीड़ उमडती है पर वह कांग्रेस की झोली में वोट बनकर गिरे यह जरुरी नही । पर राहुल गांधी की इस यात्रा से उत्तर प्रदेश में राजनैतिक गर्मी जरुर बढ़ गई है । सत्तारूढ़ दल बहुजन समाज पार्टी से लेकर भाजपा और धुर वामपंथी ताकतों ने जहाँ इसे नौटंकी करार दिया वही किसान संगठनों ने राहुल गाँधी से कई सवाल उठाए है । किसानो के दमन और उत्पीडन वाला भूमि अधिग्रहण कानून १८९४ को केंद्र की सरकार निरस्त क्यों नहीं करती और ऐसे में राहुल गांधी की इस किसान यात्रा से किसानो का कितना भला होगा यह सवाल अधिग्रहण के सवाल पर दादरी आंदोलन छेड़ने वाले वीपी सिंह के किसान मंच का है । ऐसे में राहुल गांधी को पहले अपनी सरकार के खिलाफ पंचायत बुलानी चाहिए जो इस सवाल पर दोहरा मानदंड अपनाए है । यह विरोधी दलों और किसान संगठनों का कहना है ।
आजादी से पहले १२ मार्च १९३० को महात्मा गांधी ने एक मन नमक पर २४० पैसे कर लगाए जाने के खिलाफ साबरमती आश्रम के अपने ७८ सहयोगियों के साथ २४१ मील दूर अरब सागर के दांडी तक की पड़ यात्रा की थी जिसे दांडी यात्रा कहा जाता है । वह यात्रा गांधी ने जब की थी तब अंग्रेजो का राज था । अब अस्सी साल बाद किसानो के सवाल पर कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी किसानो के उत्पीडन ,शोषण ,दमन और उपजाऊ जमीन के मुआवजे का सवाल उठाने के लिए करीब ९० किलोमीटर की किसान संदेश यात्रा कर रहे है । पर अब वे यह कदम अपने ही यानी कांग्रेस के राज उठाने को मजबूर है । वे आज सुबह छह बजे इस अभियान में जुटे और शाम छह बजे तक आधा दर्जन गांवों में अपनी पंचायत लगा चुके थे और एक किसान परिवार में दाल रोटी के बाद छाछ पीकर आगे के लिए उर्जा भी ले चुके थे । पर राहुल गाँधी जब यह यात्रा कर रहे है तो केंद्र में कांग्रेस ही है जो अंग्रेजो का बनाया वह कानून बदल नही रही है जिसकी आड़ लेकर राज्य सरकारे किसानो से उनकी दो से तीन फसली जमीन लेकर भारी मुनाफे के साथ उद्योगपतियों और बिल्डरों को बेच दे रही है । राज्य सरकार बिचौलिये की भूमिका निभा रही है और केंद्र इस कानून को निरस्त करने की बजाए कुछ बदलाव के साथ फिर थोपने की तैयारी में है । महाराष्ट्र ,गुजरात से लेकर पश्चिम बंगाल तक इसी कानून के नाम पर किसानो की जमीन ली जा चुकी है । उत्तर प्रदेश में भी यही सब हर बार दोहराया जाता है और कांग्रेस जल्द कानून बदलने का भरोसा देकर समय ले लेती है ।
यही वजह है कि राहुल गाँधी की इस किसान यात्रा से माहौल तो जरुर बनेगा पर कांग्रेस के दोहरे चरित्र पर भी सवाल खड़ा होगा । भट्टा परसौल हो या फिर टप्पल या आगरा का किसान आंदोलन ,सभी जगह मूल संघर्ष किसानो की जमीन बचाने का है । पर एक तबका इसे मुआवजे की लड़ाई तक सीमित कर दे रहा है । राहुल गाँधी ने आज कई गांवों में कहा कि वे किसानो की समस्याए उनके ही मुंह से सुनना और समझना चाहते है । पर यह वे भी जानते है कि भूमि अधिग्रहण की समस्या के मूल में अंग्रेजों का कानून १८९४ है जिसे बदलने की नही बल्कि पूरी तरह निरस्त करने की जरुरत है । जबतक यह निरस्त नही होगा किसान की जमीन नही बचेगी । किसानो में भी एक तबका है जो फौरी लाभ के लिए ज्यादा मुआवजे से संतुष्ट हो जाएगा पर यह इस समस्या का हल नही है । किसान मंच के संयोजक विनोद सिंह ने कहा -मूल सवाल तो भूमि अधिग्रहण कानून १८९४ को पूरी तरह निरस्त करने का है । राहुल गाँधी को तो भट्टा पारसौल से संसद तक पैदल मार्च कर अपनी सरकार पर यह दबाव बनाना चाहिए । पर उनकी निगाह तो २०१२ के विधान सभा चुनाव पर है । चुनावी यात्रा से किसानो का कोई भला नही होगा । जबकि जन संघर्ष मोर्चा के संयोजक अखिलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा - राहुल गांधी की इस पद यात्रा से उनकी पार्टी को कोई राजनैतिक फायदा जरुर हो जाये पर किसानो का कोई भला नही होने वाला । बेहतर हो राहुल गाँधी अपनी सरकार और पार्टी पर दबाव डालर ताकि १८९४ का कानून निरस्त किया जाए । कांग्रस तो इसे लटकाए हुई है । एक तरफ किसानो के शोषण वाला कानून भी कांग्रस जारी रखे और दूसरी तरफ राहुल गांधी पद यात्रा भी करे इससे क्या संदेश पार्टी देना चाहती है ।
jansatta


