कांचा इलैया को दी जा रही धमकियों के खिलाफ लखनऊ में प्रदर्शन
कांचा इलैया को दी जा रही धमकियों के खिलाफ लखनऊ में प्रदर्शन
लखनऊ, 05अक्टूबर। दलित लेखक-चिंतक कांचा इलैया को दी जा रही धमकियों के खिलाफ जनसंगठनों, लेखकों, साहित्यकारों व बुद्विजीवियों का साझा प्रदर्शन गांधी प्रतिमा, जी0पी0ओं पर हुआ।
वक्ताओं ने संयुक्त स्वर में कहा कि दलित लेखक व चिंतक कांचा इलैया को हिन्दूवादी और जातिवादी ताकतों द्वारा लगातार धमकी दिया जाना और तेलंगाना सरकार द्वारा कोई कार्यवाही न करना दुर्भाग्यपूर्ण है।
सभा में आगे कहा गया कि दलित चिंतक लेखक व चिंतक कांचा इलैया शेफर्ड ने पिछले एक हफ्ते से अपने को हैदराबाद के अपने घर में बंद कर रखा है। कारण है, उनकी किताब ‘पोस्ट-हिन्दू इंडिया’ के एक अध्याय पर आर्य वैश्य समुदाय की आहत भावनाएं। 9 सितम्बर से उन्हें इस आहत समुदाय द्वारा जान की धमकियां मिल रही हैं। तेलुगु देशम पार्टी के एक सांसद टी जी वेंकटेश ने प्रेस कांफ्रेंस करके उन्हें चौराहे पर फांसी देने की बात कही। कुछ दिन पहले उनकी कार पर हमला भी किया गया, जिससे वे बाल-बाल बचकर निकले। तेलंगाना सरकार ने इन तमाम घटनाओं के बावजूद उन्हें अभी तक कोई सरकारी सुरक्षा प्रदान नहीं की है। यह पूरा प्रकरण और इसे लेकर तेलंगाना सरकार का रवैया घोर आपत्तिजनक और निंदनीय है। जनवादी लेखक संघ कांचा इलैया की अभिव्यक्ति की आजादी के पक्ष में खड़ा है और यह मांग करता है कि सरकारी एजेंसियां कांचा इलैया की सुरक्षा, उनकी लिखने बोलने की आजादी की सुरक्षा और धमकियां देने वालों पर उचित कार्रवाई सुनिश्चित करे।
सभा में आगे वक्ताओं ने कहा कि दलित चिंतक कांचा इलैया के लेखन के कारण उनके ऊपर जातिवादी ताकतों द्वारा किये हमले के विरोध में कल कई संगठनों ने मिलकर शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध दर्ज किया।
सभी ने जिस तरह से देश में प्रतिरोध के स्वरों को जबरन दबाया जा रहा है उसपर चिंता जताई। किस तरह से लगातार हम अपने लेखकों और चिंतकों को खो रहे हैं ये एक चिंता का विषय है जिन्हें बचाने के लिए आगे सुनियोजित तरीके से व्यापक तैयारी के साथ बड़ा प्रदर्शन करने का संकल्प भी लिया गया। जंतरमंतर पर जाकर हर बार मन बहुत क्षुब्ध होता है कि लोग किस तरह से अलग अलग समस्याओं के लिए इतनी लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन सरकारें हैं कि उनके सर पर जूँ नहीं रेंगती लेकिन जिन्हें संघर्षों की आदत है जो किसी भी सूरत में लड़ना नहीं छोड़ते, उनके बुलंद हौंसलों और इरादों को सलाम।
आज के प्रदर्शन में प्रमुख रूप से प्रसिद्व आलोचक वीरेन्द्र यादव, लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो0 रूपरेखा वर्मा, इप्टा महासचिव राकेश, जनवादी लेखक संघ से नलिन रंजन सिंह, जागरूक नागरिक मंच से सत्यम वर्मा, राहुल फाउण्डेशन से कात्यायनी, पी0यू0सी0एल0 से वन्दना मिश्रा, लखनऊ चिन्तन मंच से अंशु केडिया, महिला फेडरेशन से आशा मिश्रा, जनवादी महिला समिति से सुमन सिंह, सी0आई0टी0यू0 से राहुल मिश्रा, कलम से रिषी, एस0एफ0आई से प्रवीन पाण्डेय, अनुपम यादव, जिला किसान सभा से छोटेलाल पाल, जनसंस्कृति मंच से कौशल किशोर, आवाम मूवमेंट से रफत फातिमा, प्रसिद्व पत्रकार ओबैद नासिर, प्रगतिशील लेखक संघ से किरन सिंह एवं ऊषा राय, मुस्लिम महिला लीग से नाइस हसन, डायनिमक ऐक्शन ग्रुप से रामकुमार आदि शामिल थे।
हस्तक्षेप मित्रों के सहयोग से संचालित होता है। आप भी मदद करके इस अभियान में सहयोगी बन सकते हैं।


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