कार्यस्थल पर तनाव के कारण थकान और थकावट हो सकती है, जिसके लक्षण थकान, अनिद्रा और बार-बार बीमार पड़ना हो सकते हैं। इस समाचार में बताया गया है कि विशेषज्ञ मदद की ज़रूरत को पहचानने और तनाव को कम करने के लिए कदम उठाने की सलाह देते हैं, जैसे कि हाइड्रेटेड रहना, स्वस्थ भोजन करना और व्यायाम करना। हाल ही में हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि नौकरी के तनाव से एट्रियल फ़िब्रिलेशन विकसित होने का जोखिम बढ़ सकता है।

कार्यस्थल पर थकान और अनिद्रा बर्नआउट के क्या हैं प्रारंभिक संकेत, विशेषज्ञों से जानें

नई दिल्ली, 21 सितंबर 2024: काम के दबाव के कारण पुणे में एक युवा सीए एना सेबेस्टियन पेरायिल (26) की मौत की खबरों के बीच विशेषज्ञों ने कहा है कि थकान, नींद न आना और बार-बार बीमार पड़ना कार्यस्थल पर तनाव के कारण बर्नआउट और थकावट के प्रारंभिक संकेत हैं। इन पर नजर रखनी चाहिए तथा विशेषज्ञों की मदद लेनी चाहिए।

एना सेबेस्टियन पेरायिल की मौत काम के बहुत ज्यादा दबाव के कारण हुई। मृतक की मां अनीता ऑगस्टीन ने चेयरमैन राजीव मेमानी को लिखे पत्र में यह दावा किया है।

पत्र में कहा गया कि पेरायिल ने अकाउंटिंग फर्म में चार महीने तक काम किया। लेकिन, उसके अंतिम संस्कार दौरान भी ऑफिस से कोई मौजूद नहीं था।

इसी तरह इस वर्ष के प्रारंभ में एक अखबार के लिए काम करने वाले मुंबई के वरिष्ठ पत्रकार सतीश नंदगांवकर का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। ईरोप हैं कि दिल का दौरा पड़ने से पहले उन्‍हें कार्यालय में अपमानित किया गया था।

एक अन्य मामले में, एक कंपनी में काम करने वाले 25 वर्षीय सौरभ कुमार लड्ढा ने कथित तौर पर काम के दबाव को झेलने में असमर्थ होने के कारण मुंबई में अपनी इमारत की नौवीं मंजिल से कूदकर जान दे दी थी।

इस सूची में ऐसे ही और भी कई नाम शामिल हो सकते हैं।

कितने प्रतिशत कर्मचारी कार्यस्थल पर तनाव, जलन, चिंता या अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव करते हैं?

बेंगलुरु स्थित एस्टर व्हाइटफील्ड अस्पताल में लीड कंसल्टेंट और एचओडी, इंटरनल मेडिसिन, डॉ. सुचिस्मिता राजमन्या के मुताबिक लगभग हर हफ्ते, "लगभग 6 से 10 मरीज तनाव और थकावट की शिकायत करते हैं।

कार्यस्थल पर बर्नआउट और थकावट के शुरुआती लक्षण क्या हैं?

राजमन्या के मुताबिक, "बर्नआउट और थकावट के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई दे सकते हैं, और शारीरिक रूप से ये लक्षण क्रोनिक थकान, अनिद्रा के साथ-साथ बार-बार बीमार पड़ने के भी हो सकते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि तनाव, झुंझलाहट, भावनात्मक थकावट, खुद की उपस्थिति को बनाए रखने में प्रेरणा में कमी, काम के प्रदर्शन में कमी अनिच्छा के रूप में भी प्रकट हो सकता है। व्यक्ति एकाग्रता और स्मृति समस्याओं से भी जूझ सकते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि महत्वपूर्ण बात यह है कि खुद को 'उस बिंदु तक पहुंचने' से रोकें और इसलिए जब कोई व्यक्ति ऐसा करता है, तो सहायता की आवश्यकता को पहचानें।

कार्यस्थल मूल्यांकन और मान्यता संगठन ग्रेट प्लेस टू वर्क इंडिया (Great Place To Work) की हाल ही में आई रिपोर्ट से पता चला है कि भारतीय कंपनियों में 27% कर्मचारी, विशेषकर महिलाएं, बर्नआउट का सामना कर रही हैं। यानी हर चार में से एक कर्मचारी को कार्यस्थल पर तनाव, बर्नआउट, चिंता या अवसाद जैसे मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों के बारे में बात करने में कठिनाई होती है।

बर्नआउट एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बन गया है। 56 प्रतिशत कर्मचारी इससे प्रभावित हैं। अध्ययनों ने कार्यस्थल पर तनाव के नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों को भी दिखाया है।

बर्नआउट और थकावट के शारीरिक और भावनात्मक लक्षण क्या हैं?

जर्नल ऑफ द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि नौकरी का तनाव असंतुलन (job stress imbalance) एट्रियल फाइब्रिलेशन (atrial fibrillation एएफआईबी) विकसित होने के जोखिम को काफी बढ़ा सकता है।

कार्यस्थल पर बर्नआउट और थकावट से कैसे बचें?

परामर्श मनोवैज्ञानिक दिव्या मोहिंद्रू के मुताबिक भावनात्मक रूप से सोचने के बजाय अधिक व्यावहारिक रूप से सोचना और अपनी भावनाओं और व्यावहारिक जीवन के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कुछ उपाय सुझाए, जो कोई व्यक्ति अपने जीवन में तनाव के प्रभाव को कम करने के लिए उठा सकता है।

मोहिंद्रू के मुताबिक पूरे दिन खुद को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखें, पौष्टिक भोजन खाएं और 45 मिनट का व्यायाम करें। इससे आप खुश और अच्छा महसूस करेंगे।

Workplace stress: Recognize and reduce symptoms of fatigue, burnout and insomnia