कुछ बातें बेमतलब / …कभी नहीं भूलेंगे
कुछ बातें बेमतलब / …कभी नहीं भूलेंगे

भूलना एक बहुत ही अच्छी बात है। यह बीमारी भी है। पर बढ़िया बीमारी है। इस बीमारी का फायदा यह है कि जिनसे भी पैसे उधार लेता हूं , अकसर उन्हें भूल जाता हूं। इसी के डर से दुकानों पर लिखा रहता है – आज नकद, कल उधार। ऐसे में जब कोई भूली बीसरी बात याद आ जाती है और दुकानदार को पैसे वापस लौटाता हूं तो वह कहता है – उधार प्रेम की कैंची है।
दुकानदार को समझाता हूं कि नकदऊ से उद्घाटन हो जाता है। चलो फिर से खेलें आज नकद, कल उधार का खेल। वह इसलिए भी कि भारतीय जनता पार्टी को एक भूली बिसरी बात याद आ गई है। उसी के साथ निर्वहन कुमार को एक नए सत्य का पता चला है।
पहले किसकी बात करें निर्वहन कुमार की या भारतीय जनता पार्टी की।
दोनों में देश के विदेश बिहार में याराना है। बड़ा गहरा दोस्ताना है।
घोषणा कुमार मोदी ने पहले तर्क के साथ कहा कि बिहार में पंचायती चुनाव पार्टी स्तर पर नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (model code of conduct) लागू हो जाता है।
निर्वहन कुमार ने भी इसे अपनी संत शैल में मान लिया कि चुनाव तो पार्टी आधार पर ही होना चाहिए था। इसे कहते हैं ये दोस्ती हम नहीं भूलेंगे।
भाजपा को भी याराना निभाना होता है। अब वह दोस्ताना निभा रही है अपनी ही पार्टी के अनंत कुमार से। जैसे-जैसे अनंत कुमार नीरा राडिया के किस्से सामने आ रहे हैं, भाजपा को कुछ भूली बिसरी बात याद आ रही है।
याद है न आपको जब 2009 में चुनाव के पहले विदेश में जमा भारतीय धन की बात की थी। अब फिर से विदेश में जमा भारतीय धन की याद आ गई है। जैसे निर्वहन कुमार को यह याद आ गया है कि भ्रष्टाचार के लिए प्रधानमंत्री जिम्मेदार हैं। अब यह नहीं पता कि प्रधानमंत्री कौन है।
एक प्रधानमंत्री तो राजपाद के लिए मनमोहन सिंह कहे जाते हैं। बिना राजपाद के राजपाट चलाती हैं सोनिया गांधी – पता नहीं भ्रष्टाचार के लिए कौन जिम्मेदार है।
देश कितनी आसानी से भूल जाता है असली – नकली का फर्क।
दरअसल हमारे देश में नकली को असली और असली को नकली मानने की बड़ी पुरानी परंपरा है। असली वाली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी ही कलम से अपने को भारत रत्न बना दिया था। अब भाजपा चाहती है कि नकली प्रधानमंत्री असली कलम से अटलबिहारी वाजपेयी को भारत रत्न बना दें। कैसा लग रहा है आपको यह समझौता कि एक साथ राष्ट्रपति नाम का शोभा पद अटल बिहारी वाजपेयी और सोनिया गांधी के साथ मनमोहन सिंह को भी भारत रत्न से सम्मानित कर दें।
इसे ही कहा जाएगा कि ये दोस्ती हम नहीं भूलेंगे।
पांच साल राजपाट करने के बाद निर्वहन कुमार को यह बात समझ में आ गई है कि बिहार का सबसे बड़ा रोग भ्रष्टाचार है। सिर्फ बिहार के कुछ अफसरों को छूट है कि यात्रा भत्ता में हेराफेरी कर सकें। उनके ऊपर निर्वहन कुमार की ईमानदारी का कोई असर न पड़ा। पर महालेखाकार ने पकड़ लिया तो जो फालतू का माल लिया था, उसे लौटा देंगे। लेकिन पांच साल राजपाट के बाद मन्नू भाइ मुनीम को यह बात समझ में नहीं आई है।
निर्वहन कुमार कृषि उत्पादकता पर जोर दे रहे हैं। मुनीम जी अपने कृषि मंत्री को पत्र लिख रहे हैं।
इसे ही कहा जाएगा कि आयात – निर्यात की दोस्ती इंडिया कभी नहीं भूलेगा।
भष्टाचार और महंगाई की ये दोस्ती हम इंडिया वाले कभी नहीं भूलेंगे।
जुगनू शारदेय
लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं, फिलहाल दानिश बुक्स के सम्पादकीय सलाहकार


