संसद के संयुक्त अधिवेशन से राज्यसभा में अल्पमत का तोड़ निकालकर ओबामा की खिदमत करेंगे मोदी।
परमाणु समझौते के बाद अब अमेरिकी हितों के मुताबिक अब तमाम कायदे कानून बदले जायेंगे। बिजनेस, इंडस्ट्री जल जंगल जमीन पर्यावरण और अंतरिक्ष अब अमेरिका हवाले है। संसद के संयुक्त अधिवेशन से राज्यसभा में अल्पमत का तोड़ निकालकर ओबामा की खिदमत करेंगे मोदी।

इस राष्ट्रद्रोही धतकरम के खिलाफ बोलने की हिम्मत कर पाते है या नहीं अरविंद केजरीवाल, दिल्ली की जनता वोट देने से पहले देख लें तो तय हो जायेगा एबी टीम का मसला और कारपोरेट राजनीति के खिलाफ खड़े होने का दम छप्पन इंच छाती के खिलाफ।
पलाश विश्वास
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बीच बातचीत के दौरान आज दोनों देशों ने अवरूद्ध असैन्य परमाणु करार के क्रियान्वयन को लेकर एक बड़ी कामयाबी हासिल होने की खबर है। माना जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच चाय के दौरान हुई बातचीत में यह सफलता मिली। चाय के दौरान कुछ देर के लिए सिर्फ ये दोनों ही मौजूद थे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मोदी और ओबामा ने रक्षा, व्यापार और वाणिज्य तथा जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर गहन चर्चा की।

परमाणु जवाबदेही कानून में उत्तरदायित्व के मुददे के चलते ही दोनों देशों के बीच असैन्य परमाणु करार के रास्ते में ठहराव में आ गया था।

साल 2005 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस महत्वपूर्ण करार पर हस्ताक्षर किए थे।

भारतीय उत्तरदायित्व कानून परमाणु दुर्घटना के मामले में सीधे तौर पर आपूर्तिकर्ता को जवाबदेह ठहराता है, जबकि फ्रांस और अमेरिका ने भारत से कहा है कि वह वैश्विक नियमों का पालन करे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मोदी ओबामा में अंतिम सहमति यह जवाबदेही खत्म करने पर हो गयी है।

इस सहमति पर देश भर में तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। युवा पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा है -
ओबामाजी के आगमन का विरोध सिर्फ कम्‍युनिस्‍ट पार्टियों ने किया है। मौके पर एक नारा बनता है जो पिछले साल उछलते-उछलते रह गया था। तो जोर से बोलो....

साम्राज्‍यवाद के तीन दलाल

मोदी, राहुल, केजरीवाल
इल पर वरिष्ठ पत्रकार पलाश विश्वास का कहना है -
समाजवादी और अंबेडकरवादी क्या इस देश के वाशिंदे नहीं हैं और वे हमेशा घुइया छीलते रहेंगे अपनी-अपनी अनंत दुकानों में और जल जंगल जमीन की लड़ाई, आम आदमी की तकलीफों के साथ बिना किसी वास्ता विचारधारा का एटीएम लेकर मारामारी करते रहेंगे, अब इसपर सिलसिलेवार गौर करने की जरुरत है।

फिर वामदलों ने अरसे बाद सड़कों पर उतरने की जहमत उठायी है और ओबामा वापस जाओ का नारा देश जोड़ो देश बचाओ आंदोलन बनाने की उनकी कोई योजना है या नहीं हम नहीं जानते। विरोध का पाखंड हम सात सात दशक से देख रहे हैं और राजनीति फिर वही कारपोरेटहै जो केसरिया भी है और राष्ट्रद्रोही जनविरोधी तो होइबे करै हैं।

अब देखते हैं, इस राष्ट्रद्रोही धतकरम के खिलाफ बोलने की हिम्मत कर पाते है या नहीं अरविंद केजरीवाल, दिल्ली की जनता वोट देने से पहले देख लें तो तय हो जायेगा एबी टीम का मसला और कारपोरेट राजनीति के खिलाफ खड़े होने का दम छप्पन इंच छाती के खिलाफ।

सुबह का आगाज देखकर अंजाम का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।

ओबामा अभी अमेरिका को मंदी के दौर से बाहर नहीं निकाल सके हैं और अमेरिकी अर्थव्यवस्था हथियार उद्योग पर निर्भर है।

गणतंत्र दिवस का परेड देखने वे भारत नहीं आये और उनपर कारपोरेट दबाव भी भारी है। अपने प्रधानमंत्री जिस विकास का दावा कर रहे हैं.जो अच्छे दिन लाने का वायदा वे कर रहे हैं, उसके बाद परंपरा और प्रोटोकाल तोड़कर अमेरिकी राष्ट्रपति की खिदमतमें लाल कार्पेट की तरह उनका बिछते जाने का समीकरण समझना थोड़ा मुश्किल है।

बहरहाल केसरिया कारपोरेटहिंदुत्व का परमाणु धमाका, हो चुका है और मौत और तबाही का सौदा तय कर चुके हैं सुदामा कृष्ण।

बोलो जयश्री राम।

बोलो,जयजयजय हे महाभारत कि गीता महोत्सव का अंजाम भोपाल गैस त्रासदियां हैं और है परमाणु विध्वंस।

परमाणु ईंधन की ट्रेकिंग नहीं होगी कहा जा रहा है।

बायोमेट्रिक डिजिटल देश में सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा अमेरिकी खुफियाए जंसियों के हवाले करके विज्ञान और अनुसंधान, हवा पानी जमीन आसमान अंतरिक्ष के साथ साथ रक्षा उत्पादन तक अमेरिकी कंपनियों और एजंसियों के हवाले करने के बाद, नाटो नासा के सात इसरो के गठजोड़ के बावजूद ट्रेकिंग न होने का दिलासा भी स्थाईभाव देशभक्ति और अंध राष्ट्रवाद का है, जिसका कारोबार संघ परिवार है।

अमेरिकी कंपनियों के हितों के लिए परमाणु उत्तरदायित्व खत्म और भोपाल या फुकोशिमा जैसी दुर्घटनाओं की स्थिति में मुआवजा खातिर भरोसा भारतीयकरदाताओं के पैसे से बनने वाला इंश्योरेंश पुल है।

इसपर जीत का दावा किया जा रहा है।

अमेरिकी कंपनियों को दुर्घटनाओं की जिम्मेदारी से रिहा करना और अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थाई जमानत अपनी आजादी और संप्रभुता की कीमत कर करना अगर विकास है तो कयामत क्या होगी,बता दें हिंदुत्व के झंडेवरदार।

हैदराबाद हाउस की बैठक में मोदी जेटली सुषमा ने इतिहास बनाया है राष्ट्रहित ताक पर रखकर अमेरिकी हितों के मुताबिक विवाद सलटाने का और संयुक्त जो घोषणापत्र है, उसमें आतंक के विरुद्ध पाकिस्तान को कटघरे में खड़ा करने से ही केसरिया उन्माद का जश्न और जलवा तय है।

इसी भारतीय जनता पार्टी ने परमाणु समझौते के विरुद्ध वामदलों के सहयोग से मनमोहन की पहली यूपीए सरकार के खिलाफ पेश अनास्था प्रस्ताव में क्या क्या उद्गार व्यक्त किये थे, तनिक याद कर लीजिये।

अमेरिकी हितों के मुताबिक अब तमाम कायदे कानून बदले जायेंगे। बिजनेस, इंडस्ट्री जल जंगल जमीन पर्यावरण और अंतरिक्ष अब अमेरिका हवाले है। संसद के संयुक्त अधिवेशन से राज्यसभा में अल्पमत का तोड़ निकालकर ओबामा की खिदमत करेंगे मोदी।

भारत के असैन्य परमाणु कार्यक्रम पर निगरानी के लिए अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) को व्यापक सहूलियत देने के लिहाज से पिछली सरकार द्वारा भारत-अमेरिका असैनिक परमाणु समझौते के तहत किए गए अतिरिक्त करार (एडिशनल प्रोटोकॉल) को नई सरकार ने मंजूरी दे दी है।

मीडिया में सूत्रों के हवाले से खबर है कि अतिरिक्त करार को पिछले हफ्ते मंजूरी दी गई थी और इसकी जानकारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परमाणु गतिविधियों पर निगरानी रखने वाली वियना स्थित आईएईए को दे दी गई है।

भारत के असैन्य परमाणु कार्यक्रम को आईएईए के सुरक्षा मानकों के तहत रखने के लिए एजेंसी के साथ किए गए करार के बाद आईएईए ने मार्च, 2009 में अतिरिक्त करार को मंजूरी दी थी।

इस करार ने 45 सदस्यीय परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) को असैन्य परमाणु क्षेत्र में अन्य देशों के साथ व्यावसायिक संबंध रखने के लिए भारत केंद्रित छूट का रास्ता साफ किया।

यह छूट आवश्यक थी, क्योंकि भारत ने परमाणु क्षमता संपन्न देश होने के बाद भी एनपीटी (परमाणु अप्रसार संधि) पर दस्तखत नहीं किए हैं।

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस महीने की शुरुआत में संसद में अपने अभिभाषण में कहा था, "अंतरराष्ट्रीय असैन्य परमाणु समझौतों को लागू किया जाएगा और असैन्य उद्देश्यों से परमाणु ऊर्जा परियोजनाएं विकसित की जाएंगी।" सितंबर, 2008 में विदेश मंत्री के नाते मुखर्जी ने सरकार की ओर से एनएसजी को वायदा किया था कि परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण इस्तेमाल किया जाएगा और भारत को मिलने वाली छूट के लिए यह महत्वपूर्ण था।

भारत ने जुलाई, 2005 में भारत-अमेरिका के क्रियान्वयन के संबंध में संयुक्त बयान के तहत जुलाई, 2008 में आईएईए को भेजे अपने संदेश में कहा था कि वह आईएईए के साथ अपनी असैन्य परमाणु परियोजनाओं के संबंध में घोषणा पत्र जारी करेगा और अपनी असैन्य परमाणु सुविधाओं को आईएईए के सुरक्षा मानकों के तहत लाएगा।

भारत और आईएईए ने 15 मार्च, 2009 को अतिरिक्त करार किया था।
PM Shri @narendramodi giving Media Statement during Joint Press Interaction with US President @BarackObama pic.twitter.com/oSKtfMpNXz

— PIB India (@PIB_India) January 25, 2015

Something tells me next U turn of this Modi sarkar will be on FDI in retail.....after Nuclear deal ironed out that is. 😉 — Priyanka Chaturvedi (@priyankac19) January 25, 2015

With Modi preoccupied with Obama, his lookalike campaigns in Delhi: http://t.co/f7uD7q4b6x — Shujaat Bukhari (@bukharishujaat) January 25, 2015

हम आराम से गप्प मार लेते है, बात कर लेते हैं. ये पर्सनल केमिस्ट्री बहुत मेटर करती है और ये ऐसे ही मौके पर पनपती है और पनपनी चाहिये: मोदी

— Dibang (@dibang) January 25, 2015

US President @BarackObama giving the Media Statement during Joint Press Interaction with PM Shri @narendramodi pic.twitter.com/TmyCrCoW2B

— PIB India (@PIB_India) January 25, 2015

So now modi has Obama blessings for another term! @KanchanGupta @milindkhandekar @abpnewshindi — rasheed kidwai (@rasheedkidwai) January 25, 2015
US President Barack Obama says: Mr. Modi, thank you for hosting me, including our Chai pe charcha #ModiNukePush https://t.co/eeM0qQE3iR — TIMES NOW (@TimesNow) January 25, 2015

Govt’s present stand on the clause of ‘liability of supplier’ in the nuclear deal with US is yet to be seen : Sitaram Yechury CPI(M)

— ANI (@ANI_news) January 25, 2015