शिवदास

छत्तीसगढ़ में रायपुर की एक अदालत द्वारा पीयूसीएल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉक्टर विनायक सेन को दी गई आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ पूरे देश में उठ रही आवाज की गूंज बीते दिनों कैमूर की वादियों में भी सुनाई दी। सत्ता द्वारा सूबे के सबसे नक्सल प्रभावित जिले के रूप में नवाजे गए आदिवासी बहुल सोनभद्र में पीयूसीएल के बैनरतले जनवादी संगठनों एवं समाजसेवियों ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार के काले कानूनों के खिलाफ बीती 12 जनवरी को बिगुल फूंका। जनवादियों ने राबर्ट्सगंज नगर स्थित रामलीला मैदान से मार्च निकाला। जनवादियों ने विनायक सेन को रिहा करो, काले कानूनों को रद्द करो सरीखे नारे लगाते हुए राबर्ट्सगंज तहसील परिसर तक मार्च निकाला और राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन तहसीलदार को सौंपा। इस दौरान पीयूसीएल के प्रदेश अध्यक्ष चितरंजन जी ने कहा कि रायपुर की अदालत द्वारा विनायक सेन को दी गई सजा बेबुनियाद है। अदालत ने एकपक्षीय आदेश सुनाया है, जो निंदनीय है। जन संघर्ष के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिनकर कपूर ने विनायक सेन को दी गई सजा को लोकतंत्र की हत्या करार दिया। साथ ही, उन्होंने देश के काले कानूनों को रद्द करने की मांग की। पीयूसीएल के जिला संयोजक एवं अधिवक्ता विकास शाक्य ने कहा कि डॉक्टर विनायक सेन को दी गई सजा संविधान और कानून को नजरअंदाज करके दिया गया है। रायपुर की अदालत के जज बीपी वर्मा ने सुबूतों पर गौर नहीं किया और सजा सुना दी। यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाइटी (जेयूसीएस) के प्रदेश कमेटी के सदस्य शिव दास ने कहा कि रायपुर की अदालत द्वारा विनायक सेन को दी गई सजा लोकतंत्र पर तमाचा है। इससे देश की सड़ चुकी लोकतांत्रिक व्यवस्था की बू आती है। इसके इलाज की जरूरत है। सभी जनवादी ताकतों को मिलकर इसके खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है। अन्यथा वो दिन दूर नहीं, जब गरीबों, मजलूमों, शोषितों, दमितों, आदिवासियों की आवाज उठाने वालों को जेलों में ठूस दिया जाएगा। या फिर उन्हें सुरक्षाकर्मियों की गोली का निशाना होना पड़ेगा। जैसा कि नक्सलवाद को बढ़ावा देने और हिंसा फैलाने के नाम पर सामंतशाही एवं सत्ता की हिटलरशाही के खिलाफ उठने वाली लोकतांत्रिक आवाज को दबाया जा रहा है। विनायक सेन को दी गई सजा से एक बात और प्रमाणित होती है कि भारतीय लोकतंत्र की वर्तमान व्यवस्था आम आदमी के हित में नहीं रह गई है। इसमें सुधार की जरूरत है। इसके लिए सभी जनवादी ताकतों को एक मंच पर आकर सत्ताधारी राजनीतिक पार्टियों की हिटलरशाही नीति को खत्म करने के लिए दबाव बनाना चाहिए। साथ ही विनायक सेन की जल्द से जल्द रिहाई के लिए सरकार को विवश करना चाहिए। युवा छात्र नेता विजयशंकर यादव ने भी सरकार से देश के काले कानूनों को रद्द करने की मांग की।