कैराना : सपा-भाजपा की मिलीभगत के बड़े खतरे - मायावती
कैराना : सपा-भाजपा की मिलीभगत के बड़े खतरे - मायावती
कैराना : ’’प्रतियोगी यात्राओं’’ के बहाने उप्र में साम्प्रदायिक माहौल ख़राब करके दंगे-फसाद कराने का प्रयास घोर निन्दनीय : बी.एस.पी.
लखनऊ, 17 जून, 2016: बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) की राष्ट्रीय अध्यक्ष, व पूर्व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री, सुश्री मायावती ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ क्षेत्र से ’’कैराना कूच’’ हेतु भाजपा द्वारा ’निर्भय यात्रा’ व उसके जवाब में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी द्वारा ’सदभावना यात्रा’ को आपसी मिलीभगत का परिणाम बताते हुये कहा कि इस प्रकार की ’’प्रतियोगी यात्राओं’’ के बड़े ख़तरे हैं और इनका ख़ास मकसद किसी-ना-किसी बहाने से प्रदेश में साम्प्रदायिक माहौल ख़राब करके यहां हिन्दू-मुस्लिम दंगे-फसाद कराकर उसका चुनावी व राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास है, जिसकी जितनी भी निन्दा की जाये वह कम है।
आज यहां जारी एक बयान में सुश्री मायावती ने कहा कि इस प्रकार के गंभीर व संवेदनशील मामलों में प्रदेश की सपा सरकार को काफी सख़्ती से पेश आना चाहिये और साथ ही ऐसे गै़र-क़ानूनी कार्य करने वालों के विरूद्ध रासुका जैसे सख्त कानून के तहत कार्रवाई करनी चाहिये, वरना उत्तर प्रदेश एक बार फिर साम्प्रदायिक दंगे की आग में जल जायेगा जिसकी पूरी जि़म्मेदारी सपा व उसकी सरकार की होगी।
सुश्री मायावती ने कहा कि वैसे तो कैराना के पलायन के मामले को भाजपा साम्प्रदायिक रंग देने के साथ-साथ उसका गलत राजनीतिक लाभ उठाने हेतु काफी ज़ोर लगाये हुये है, परन्तु यहाँ की सपा सरकार भी भाजपा के साथ लिप्त होकर सरकारी धर्म पूरी तरह से भूल कर वैसे असमाजिक व साम्प्रदायिक तत्वों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करेगी, यह चकित करने वाला है। बी.एस.पी. की माँग है कि दंगा-फसाद भड़काने का काम करने वालों के खिलाफ तत्काल सख्त कानूनी कार्रवई की जाये।
सपा के आपराधिक तत्वों के पक्ष में अधिकारियों का उत्पीड़न ग़लत व अति-निन्दनीय - मायावती
गोरखपुर के एस.एस.पी. के निलम्बन को घोर अनुचित क़दम बताते हुये सुश्री मायावती ने कहा कि सपा सरकार पूरे तौर पर जंगलराज से घिर चुकी है और ऐसे में किसी भी स्तर के अधिकारी को बख़्शने को तैयार नहीं लगती है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि केन्द्र की भाजपा सरकार की तरह ही उत्तर प्रदेश की सपा सरकार भी ग़लत, जातिवादी व पक्षपाती मानसिकता से काम करते हुये उन सभी अधिकारियों को दण्डित करने का काम कर रही है जो कानून के अनुसार निष्पक्षता से काम करने का थोड़ा भी साहस कर रहे हैं।
गोरखपुर जि़ले के पुलिस कप्तान के निलम्बन की तीव्र निन्दा करते हुये बसपा प्रमुख ने कहा कि उस वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का क़सूर केवल इतना था कि उसकी फोर्स ने सपा नेता की गुण्डई व दबंगई को रोकने की कोशिश की थी। क्या इस प्रकार के ग़लत कार्यों से प्रदेश की क़ानून-व्यवस्था कभी भी बेहतर हो पायेगी?
सुश्री मायावती ने कहा कि वास्तव में प्रदेश में जंगलराज का ही यह एक और उदाहरण हैं जहाँ सपा के गुण्डों, बदमाशों, माफियाओं, अराजक, आपराधिक व साम्प्रदायिक तत्वों के आगे अधिकारियों की बिल्कुल भी नहीं चल पा रही है, यह अत्यन्त ही दुःखद स्थिति है, जिसका ख़ामियाज़ा सपा को अवश्य ही आगे आने वाले विधानसभा आमचुनाव में भुगतना पड़ेगा।
इशरत जहाँ मुठभेड़- केन्द्र सरकार की नीयत ठीक नहीं
गुजरात के इशरत जहाँ मुठभेड़ मामले में कुछ फाइलों के ग़ायब होने से सम्बन्धित गृह मंत्रालय की ‘‘जाँच‘‘ के सम्बंध में मीडिया में छपी रिपोर्ट का हवाला देते हुये बी.एस.पी. प्रमुख ने कहा कि इससे भी यह स्पष्ट हो जाता है कि केन्द्र सरकार संवेदनशील मामलों में भी सही नीयत से काम नहीं कर रही है।
उल्लेखनीय है कि संसद में दिनांक 10 मार्च, 2016 को सरकार ने घोषणा की थी कि इशरत जहाँ मुठभेड़ मामले से सम्बन्धित फाइलों के गुम हो जाने की जाँच कराई जायेगी। यह जाँच गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव श्री बी.के. प्रसाद को सौंपी गई और उन्होंने अपनी जाँच रिपोर्ट दो दिन पूर्व सरकार को सौंप दी। परन्तु उनकी रिपोर्ट सौंपने के दिन ही मीडिया ने पर्दाफाश किया कि जाँच सही व निष्पक्ष नहीं हुई है, क्योंकि एक-सदस्यीय जाँचकर्ता ने स्वयं ही गवाहों को बताया कि उससे क्या सवाल किया जायेगा और उसको प्रशिक्षित भी किया कि उसे उस प्रश्न का क्या उत्तर देना है। मीडिया ने दावा किया कि इस सम्बन्ध में उसके पास बातचीत का रिकार्ड है। केन्द्र सरकार इस गम्भीर पक्षपाती रवैये के सम्बन्ध में कोई स्पष्ट स्पष्टीकरण नहीं दे पाई है।
रोहित वेमुला को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा
सुश्री मायावती ने कहा कि केन्द्र में भाजपा सरकार के अन्तर्गत ना केवल विभिन्न सरकारी एजेन्सियाँ बल्किी सरकारी मंत्रालयों में भी किस हद तक ग़लत मानसिकता के तहत काम किये जा रहे हैं, इसका एक उदाहरण हैदराबाद के ’’दलित स्कालर रोहित वेमुला’’ के मामले में भी जग-ज़ाहिर हो चुका है, जिसे इस हद तक प्रताड़ित किया गया कि उसे आत्महत्या तक को मजबूर होना पड़ा, परन्तु उसे इन्साफ आज तक भी नहीं मिल पाया है।
गुजरात के इशरत जहाँ मुठभेड़ मामले में जैसाकि सर्वविदित है कि इस मामले की जाँच सी.बी.आई. ने की थी और इस सम्बन्ध में कई पुलिस अधिकारी दण्डित भी हुये हैं। इस सम्बन्ध में गृह मंत्रालय से कुछ फाइलों का मामला अब गर्माया हुआ है, जिसकी जाँच रिपोर्ट में अब बताया गया है कि फाइलें 18 से 28 सितम्बर, 2009 के बीच गायब हुई हैं जब पी. चिदाम्बरम केन्द्रीय गृहमंत्री थे।
सुश्री मायावती ने कहा कि केन्द्रीय सरकारी एजेन्सियों व मंत्रालयों का राजनीतिक इस्तेमाल ग़लत है और ऐसी द्वेषपूर्ण राजनीति नहीं करनी चाहिये। हालांकि पूर्व में कांग्रेस की सरकार के समय में भी ऐसा ही ग़लत होता रहा है और बी.एस.पी. इसका सख़्त विरोध भी लगातार करती रही है।


