कैसे होगा एक देश एक चुनाव ? वरिष्ठ पत्रकार ने किया दर्द बयां, आरडब्ल्यूए में बेईमानों और गुंडों की मौज
कैसे होगा एक देश एक चुनाव ? वरिष्ठ पत्रकार ने किया दर्द बयां, आरडब्ल्यूए में बेईमानों और गुंडों की मौज
नई दिल्ली, 22 जून 2019 : जिनके सिर पर एक अदद छत नहीं है वो तो परेशान हैं ही, लेकिन जिनको छत नसीब है वे भी कहां चैन से हैं ? इस निजाम में हर तरफ गड़बड़झाले ही गड़बड़झाले हैं। अमिताभ श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार हैं, लंबे समय तक बड़े मीडिया संस्थानों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। उन्होंने अपनी एक एफबी पोस्ट में उत्तर प्रदेश में हाउसिंग सोसायटी में आरडब्ल्यूए (RWA in Housing Society in Uttar Pradesh) के नाम पर चलने वाली दादगीरी पर अपना दर्द बयां किया है।
अमिताभ श्रीवास्तव का कहना है कि आरडब्ल्यूए (RWA) के नाम पर समूचे प्रदेश में गैरकानूनी गतिविधियों, गोरखधंधों, मनमानी, गुंडागर्दी, दबंगई और करोड़ों रुपयों की वित्तीय अनियमितताओं (Financial irregularities in RWA) का लंबा-चौड़ा जाल बिछा हुआ है।
आप भी पढ़ें अमिताभ श्रीवास्तव ने अपनी एफबी पोस्ट में आरडब्ल्यूए (RWA) के नाम पर उत्तर प्रदेश में जारी गड़बड़झाले पर क्या लिखा -
“लोकसभा चुनाव खत्म हुए एक महीना होने को आया, नयी सरकार अपने मोर्चे पर डट चुकी है, लोकसभा का सत्र भी चालू हो गया है। इधर, नोएडा की हमारी छोटी सी हाउसिंग सोसायटी में सालाना आरडब्ल्यूए चुनाव की जो प्रक्रिया मार्च में शुरू हुई थी, वह अब तक पूरी नहीं हो पाई है। 21अप्रैल को वोट पड़ने थे, 20 की रात प्राक्सी वोटिंग के गड़बड़झाले की शिकायत और तमाम गड़बड़ियों की जानकारी के बाद चुनाव स्थगित कर दिए गये। हम कुछ लोग नोएडा अथारिटी गए, जहां से आदेश मिला कि चुनाव नियमानुसार तत्काल संपन्न कराए जाएं। लेकिन ढीठ और बेईमान आरडब्ल्यूए और भ्रष्ट चुनाव अधिकारी ने अथारिटी की बात न मानते हुए प्राक्सी वोटिंग और मेंबरशिप के लिए अभियान शुरू कर दिया। जो चुनाव प्रक्रिया लंबित पड़ी थी, उसे पूरा कराने के बजाय अवैध तरीके से अब एक नया चुनाव कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है जिसके तहत 30 जून को वोट डाले जाएंगे। आज से नये सिरे से नामांकन किया जा रहा है।
इस बीच चुनाव अधिकारी महोदय ने बदमाशी, बदनीयती और दबंगई से एक नयी वोटर लिस्ट निकाल दी है जिसमें दर्जनों पुराने नाम शामिल नहीं हैं। मेरा और मेरी पत्नी का नाम भी सोसायटी की मेंबर लिस्ट से गायब कर दिया गया है। न अब हम वोट दे सकते हैं न चुनाव लड़ सकते हैं। जबकि मेरी पत्नी दो बार सोसायटी की जनरल सेक्रेटरी रह चुकी हैं और मैं भी इस साल अप्रैल में होने वाले चुनाव में उम्मीदवार था। तब मेरा नाम भी वोटर लिस्ट में था। इससे पहले भी हर साल हम चुनाव में वोट डालते रहे हैं ।
यह सब आपबीती का किस्सा मैंने यहां क्यों साझा किया? बित्ते भर की हाउसिंग सोसायटी की पिद्दी सी आरडब्ल्यूए की कहानी इसलिए बताई कि अगर आप उत्तर प्रदेश के किसी शहर के निवासी हैं और किसी मोहल्ला, कालोनी, हाउसिंग सोसायटी, अपार्टमेंट वगैरह में रहते हैं/रहने जा रहे हैं और/अथवा वहां की नागरिक एसोसिएशन के सदस्य हैं/बनने जा रहे हैं तो आपको यूपी अपार्टमेंट एक्ट और उससे संबंधित मॉडल bye-laws की जानकारी और अध्ययन कर लेना चाहिए।
आरडब्ल्यूए के नाम पर समूचे प्रदेश में गैरकानूनी गतिविधियों, गोरखधंधों, मनमानी, गुंडागर्दी, दबंगई और करोड़ों रुपयों की वित्तीय अनियमितताओं का लंबा-चौड़ा जाल बिछा हुआ है।
आरडब्ल्यूए की कल्पना स्वशासी संगठनों के रूप में की गई थी ताकि शहरों में रहने वाले लोग सरकारी संस्थाओं के रोज़ाना के दखल के बिना अपनी हाउसिंग सोसायटी, कालोनी, मोहल्ले वगैरह के रखरखाव और बेहतरी का काम आपसी प्यार मोहब्बत और भाईचारे से कर सकें लेकिन वह सारी भावना दरकिनार हो चुकी है।
सरकारों और अथारिटी, डिप्टी रजिस्ट्रार वगैरह को अपनी रोज़मर्रा की फाइलबाज़ी से फुर्सत नहीं है। मीडिया के लिए इसमें ख़बर तो है और अच्छी खासी जनजुड़ाव वाली ख़बर है लेकिन वहां आरडब्ल्यूए की खबरें लोकल पन्नों पर बस रस्म अदायगी के लिए दिखती हैं। नतीजतन, बेईमानों और गुंडों की मौज है।“
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