कोई लौटा दे …
कोई लौटा दे …
जुगनू शारदेय
चलो एक और कलेंडरी साल 2010 खत्म। आज तक यह बात समझ में नहीं आई कि पिक्चर मिस्टर इंडिया में घरेलू नौकर के पात्र का नाम कलेंडर क्यों रखा गया। चलो अब रख दिया तो रख दिया। अब कौन पूछता है घरेलू नौकरों को।
हिंदी पिक्चरों में भी कहां दिखते हैं वह रामू काका वाला पात्र। यह पात्र अपने अलग चेहरों में आज भी दिखता है। बिना रामू काका के काम नहीं चलता किसी का। बड़े मजेदार होते थे रामू काका। मालिक के बचपन के दोस्त। मालिक के बेटे ने उन्हें कभी नौकर नहीं समझा। बीच बीच में रामू काका रुठ भी जाते हैं। मालिक के बेटे को डांट भी देते हैं। रामू काका जो ठहरे। मिली जुली सरकारों में भी रामू काका होते हैं। अभी इस पर शोध कार्य हो रहा है कि देश की बड़ी मिली जुली सरकार में रामू काका कौन हैं।
जो भी हों, अब सरकारें लोकतांत्रिक हैं। अब घरेलू नौकर सरकार में नहीं होते। कुछ लोगों का कहना है कि अब तो सरकार में परिवार होता है या परिवार जैसे लोग ही होते हैं। अब देश के परिवार नुमा रामू काका याद करते हुये गुनगुना रहे हैं कि कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन। उनकी बेसुरी गुनगुनाहट से चिढ़ कर संघ परिवार की दिखाऊ मालकिन ने कहा, चल बैठ संयुक्त संसदीय समिति में – लौटाती हूँ सारे बीते हुये दिन …
कितने अच्छे दिन हैं। इतना बढ़िया खुशनुमा मौसम है कि मत पूछो। गुलजार गुनगुना रहे हैं – बैठे रहेमहँगाई के दिन। मुसाफिर हूँ यारो, भ्रष्टाचार की राह पर जाना है। एक राह मुड़ गयी, दूसरी जुड़ गयी। किस तरफ जाएं। सब तरफ माहौल खुशनुमा है। हवाई तरंग का हाल यह है कि लगता है कि 21वीं सदी के साथ आरम्भ हुआ। अमिताभ बच्चन तब से ढूँढ रहे हैं करोड़पति। यहाँ हैं कि करोड़पति बाजार में सिर में बाल उगाने वाला तेल बेच रहे हैं। अब किसे याद है साहिर जैसे शायर की क्योंकि कभी कभी ही उनके दिल में ख्याल आता था कि भ्रष्टाचार तुमको बनाया गया है रामू काका के लिये। गा ले तू भी रामू काका कि मैं सरकार का साथ निभाता चला गया, हर भ्रष्टाचार को छुपाता गया। सरकार तो डारलिंग ऐसी मुन्नी है कि जबरन बदनाम हो गयी। उससे बेहतर तो शीला की जवानी है जो साफ- साफ कहती है कि लाख संयुक्त संसदीय समिति करो तेरे हाथ नहीं आनी। यह तो सरकार ही है कि तीसमार खां बनी हुई है। रामू काक अब गुनगुना रहे हैं कोई लौटा दे मेरे ईमानदारी भरे दिन …
क्या बात है कि आज करो, कल भरो। यह आय कर का संदेश है कि सावधान हमारे पास सेवा कर की ही नहीं टेप शक्ति भी है। जितना भी कमाना है कमा लो, बस हमारा हिस्सा चुका दो। नहीं चुकाओगे तो मैं टेप बजा दूँगा। रामू काका यहाँ भी गाते हैं, मैं तो एक भूल हूँ तू इस भूल से इनकार न कर – इनकार कर तो कर मेरी नीयत पर बलात्कार न कर। कोई लौटा दे 2010 कामहँगाई भरे, भ्रष्टाचार भरे दिन क्योकि 2011 में बंगाल में माकपा भी गाने वाली है कोई लौटा दे हमारे सरकार के दिन …


