कोको कोला को देश निकाला देने वाले उद्योग मंत्री जार्ज फर्नांडीस को याद करने वाले उसी कम्पनी का पानी पी-पी कर जार्ज को याद कर रहे हैं। दीर्घायु हो जार्ज
तीन जून।

लखनऊ में रहे। बुलाया गया था, जार्ज फर्नांडीस के जन्मदिन पर उन्हें याद करने के लिए।

बोलने के बहांने अपने पुरानो से भेंट मुलाक़ात हुयी। रघुथाकुर, राम गोविन्द चौधरी, .......और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक जी। इन सबसे अरसे बाद मिल रहा था। राज्यपाल जी से भी।

जार्ज को याद करते हुए हमने कुल तीन बात कही - एक - जार्ज ने एक पीढ़ी को ' पागल ' बना कर छोड़ दिया। वो पीढ़ी कहीं की नहीं हुयी। समाजवाद के लिए पगलाई युवजनो की यह जमात निर्द्वंद्व, निर्भीक और बेख़ौफ़ लड़ती रही बगैर किसी चाहत के। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के शब्दों में कहें तो - डरो मत। किसी से नहीं। .... गुरू से भी नहीं। नेता और कार्यकर्ता के बीच वह बगैर किसी फासले के चलने की ऐसी ' कुआदत ' इन समाजवादियों ने डाली कि नौजवानों की वह पीढ़ी आज की गणेशी राजनीति में ' मिस फिट ' हो गयी। फाकामस्ती और फकीरी का बुखारा जनता ने ऐसा उतारा कि इ बेचारे संदूक और बन्दूक के सामने हाशिये पर नहीं खांई में जा गिरे।

इसके अलावा हमने अपना दो व्यक्तिगत नुकसान भी गिनवा दिया। एक जार्ज ने हमारा चप्पल लिया और आज तक वापस नहीं किये। यकीन न हो तो मुरली मनोहर जोशी, स्वर्गीय वी पी सिंह, उनकी पत्नी सीता जी, वगैरह-वगैरह से दरियाफ्त कर लीजिए।

हुआ यूँ कि इलाहाबाद में वी पी सिंह चुनाव लड़ रहे थे। गर्मी भी गर्म हो चुकी थी। मई या जून का महीना था। जार्ज बोलने खड़े हुए तो चप्पल निकाल कर मंच पर गए। उन दिनों ऐसा ही होता था, विदेशी जूतों का चलन देसी राजनीति में नहीं आया था। किसी ' गरीब ' को जरूरत थी, उसने जार्ज की चप्पल को गायब कर दिया। तलाश में दोनों नहीं मिले। मुरली मनोहर जोशी जी ने अपनी चप्पल जार्ज की तरफ बढ़ाया। जार्ज ने चप्पल को गौर से देखा और सधन्यवाद वापस कर दिया। वह चप्पल बाटा का था। जार्ज ने हमें बुलाया और बोले अपना चप्पल हमे दे दो। हमने दे दिया। वह टायर का चप्पल था, और उन दिनों तीन रूपये उसकी कीमत थी। जिसे हमारे बाजार सिंग्रामाऊ के कुछ खोजी मोची लोग बनाने लगे थे पुराने टायर को काट कर। वह चप्पल अभी तक वापस नहीं मिली।

हमारा दूसरा नुकसान और निजी। हमारा स्वेटर ले गए। जार्ज अपनी निजी जिंदगी में निहायत ही लापरवाह रहे। इस पर फिर कभी। हमसे बोले चलो एयर पोर्ट। पहुँच गये, तब उन्हें याद आया कि उन्हें तो लेह जाना है और गर्म कोट (आपने देखा होगा तो जार्ज के पास एक तुडी मुडी कोट हुआ करती थी, वही वह पहनते थे ) तो लाये नहीं। हमसे बोले ये स्वेटर उतारो, हमें दो हम लेह जा रहे हैं। वह अभी तक नहीं मिला . ....

आज हम उस जार्ज को याद करने आये हैं, उस जार्ज को नहीं जिसने गिरोह को पंगत में बैठा कर पुराने पाप को तीसरी आवृति दी। हम बोल रहे थे कि अचानक पानी पीने की ललक लगी। सामने देखा तो बोतल बंद पानी। कोको कोला को देश निकाला देने वाले उद्योग मंत्री जार्ज फर्नांडीस को याद करने वाले उसी कम्पनी का पानी पी-पी कर जार्ज को याद कर रहे हैं। दीर्घायु हो जार्ज।
चंचल

चंचल। लेखक वरिष्ठ पत्रकार, चित्रकार व समाजवादी आंदोलन के कर्णधार हैं। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे चंचल जी रेल मंत्रालय के सलाहकार भी रहे हैं।