नई दिल्ली। ‘इंडिया टुडे‘ चैनल को उन सभी लोगों को संतुष्ट करना चाहिए, जो मौलिक अधिकारों, अभिव्यक्ति, भाषण और आंदोलन के अधिकार सहित मानवाधिकारों में विश्वास करते हैं। पिछले दिन कश्मीर (श्रीनगर) में क्या हुआ कि जब ‘इंडिया टुडे‘ की एक कैमरा टीम ने जबरदस्ती हुर्रियत कांफ्रेंस से जुड़े कश्मीरी नाराज नेता यासीन मलिक के घर में प्रवेश किया।

पैंथर्स पार्टी के सुप्रीमो प्रो. भीम सिंह ने सवाल किया है कि क्या कश्मीर में रहने वालें सभी भारतीय नागरिकों को भारतीय संविधान में नागरिक अधिकार प्राप्त नहीं हैं?

उन्होंने सवाल किया है

“क्या मीडिया टीम या प्रेस रिपोर्टर या टी.वी कैमरामैन किसी भी व्यक्ति के घर में जबर्दस्ती प्रवेश कर सकते हैं?

क्या पुलिसकर्मी मकान मालिक, घर के मालिक या अदालत के वारंट की अनुमति के बिना कश्मीर सहित शेष देश में कहीं भी भारत के नागरिक के एक निजी घर में प्रवेश कर सकता है?

क्या ‘इंडिया टुडे‘ होने का दावा करने वाली एक कैमरा टीम और वास्तव में ‘इंडिया टुडे‘ की टीम को एक स्थानीय कश्मीरी नेता यासीन मलिक के घर में जबरदस्ती प्रवेश करना उचित था?

क्या ‘इंडिया टुडे‘ टीम का बिना किसी अनुमति या बिना पूछे किसी के घर में घुस जाना उचित था? “

प्रो. भीम सिंह ने कहा -

“स्वतंत्रता और गरिमा की भावना के साथ कोई भी व्यक्ति ‘इंडिया टुडे‘ की एक कैमरे टीम की इस कार्रवाई का औचित्य साबित नहीं कर सकता, जिसने जबरन किसी के घर में प्रवेश किया हो। ‘इंडिया टुडे‘ ने अपनी सब कलाओं का इस्तेमाल करते हुए यह साबित कर दिया जो मीडिया, ‘इंडिया टुडे‘ चाहेगा वही होगा, उनके लिए मानवाधिकार या सत्कार की कोई भी गुजाईश नहीं थी। यहां तक कि उनके पास इंटरनेशनल प्रोपेगेंडा करने के लिए टीवी स्टूडियो मौजूद था, जिस पर कोई भी कानूनी या संवैधानिक नियंत्रण नहीं था कि वह किसी कानून के बिना भारतीय नागरिक की निंदा कर सकती है। क्या यह नैतिक या वैध था?

क्या यह भारतीय संविधान की मर्यादाओं के अनुसार था, जो पिछले दिन कश्मीर घाटी में एक नाराज कश्मीरी नेता के घर में नाटक हुआ। कौन सही है और कौन गलत, इसका उत्तर ‘इंडिया टुडे‘ को ही देना होगा।!

क्या ‘इंडिया टुडे‘ को उन तमाम प्रश्नों के उत्तर देने होंगे कि जो उन्होंने पूरा दिन इंडिया टुडे के चैनल में भारत के संविधान के प्रति जो अपमान किया, वह न्यायसंगत था।“

प्रो. भीमसिंह ने कहा कि पूरे देश के बुद्धिजीवियों और मानवाधिकार समर्थक यह जानना चाहेंगे कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को आज तक वह मानवाधिकार प्राप्त क्यों नहीं हैं, जो भारतीय संविधान के अध्याय-3 में शामिल हैं।

प्रो. भीमसिंह ने मीडिया से भी अपील की है कि वे भी जम्मू-कश्मीर में एक रचनात्मक भूमिका अदा करें ताकि जम्मू-कश्मीर में रहने वाले सभी भारतीयों को वे मानवाधिकार मिल सकें, जो पूरे भारत में सभी भारतीयों को प्राप्त हैं।