क्या मौसम परिवर्तन से भी अवसाद हो सकता है ?
क्या मौसम परिवर्तन से भी अवसाद हो सकता है ?

क्या मौसम परिवर्तन से भी अवसाद हो सकता है ?
Seasonal Affective Disorder in india
नई दिल्ली, 26 अक्तूबर। अवसाद एक सामान्य मानसिक बीमारी है। यदि व्यक्ति 14 दिन या उससे अधिक समय तक उदासी से घिरा रहता है, उसकी उन गतिविधियों में रुचि नहीं रहती जिनसे वह सामान्य तौर पर आनन्द का अनुभव करता था, तो यह स्थिति अवसाद या डिप्रेशन की है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इसके अलावा, अवसाद वाले लोगों में आमतौर पर निम्नलिखित में से कई लक्षण हो सकते हैं: आंतरिक ऊर्जा का ह्रास; भूख में बदलाव; अधिक या कम सोना; चिंता, कम एकाग्रता; अनिश्चितता; बेचैनी; बेकारता, अपराध, या निराशा की भावनाएं; और आत्म-हानि या आत्महत्या के विचार।
क्या मौसम परिवर्तन से भी अवसाद हो सकता है ?
जी हाँ ऋतु परिवर्तन भी अवसाद का कारण हो सकता है। Seasonal affective disorder in hindi (एसएडी) पतझड़ और सर्दी से जुड़ा अवसाद है और माना जाता है कि यह प्रकाश की कमी के कारण होता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ की एक जानकारी के मुताबिक मौसमी प्रभावकारी विकार (एसएडी) अवसाद का एक प्रकार है जो मौसम के साथ आता है और जाता है, आमतौर पर देर से या सर्दियों की शुरुआत में और वसंत दौरान हो सकता है।
गर्मी में भी अवसाद हो सकता हैं, लेकिन एसएडी के शीतकालीन एपिसोड की तुलना में बहुत कम होता है।
Seasonal Affective Disorder (SAD - एसएडी) के संकेत व लक्षण
एसएडी को एक अलग विकार के रूप में नहीं माना जाता है। यह अवसाद-डिप्रेशन- depression का एक प्रकार है, जो आवर्ती पैटर्न प्रदर्शित करता है।
एसएडी डायग्नोज़ करने के लिए लोगों को कम से कम दो वर्ष तक इसके पूर्ण लक्षण किसी ऋतु विशेष में दिखाई देने चाहिए।
शीतकालीन पैटर्न के एसएडी के लक्षणों में सामान्य अवसाद के अलावा निम्न लक्षण शामिल होते हैं : -
कम ऊर्जा का अनुभव
हाइपरसोम्निया
ज्यादा खाना
वजन बढ़ना
कार्बोहाइड्रेट के लिए मन ललचाना
समाज से अलगाव की भावना (“hibernating” की तरह)
( नोट - यह समाचार किसी भी हालत में चिकित्सकीय परामर्श नहीं है। यह समाचारों में उपलब्ध सामग्री के अध्ययन के आधार पर जागरूकता के उद्देश्य से तैयार की गई रिपोर्ट मात्र है। आप इस समाचार के आधार पर कोई निर्णय कतई नहीं ले सकते। स्वयं डॉक्टर न बनें किसी योग्य चिकित्सक से सलाह लें।)


