खजाना खाली
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के दौरान खुद को चाय वाला कहने वाले नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भले ही आम जनता के बुरे दिन आ गए हों लेकिन भाजपा सांसदों के अच्छे दिन आ गए हैं। भाजपा सरकार के मंत्रियों और सांसदों ने पिछले एक साल में ही होटलों पर 25 करोड़ रुपए फूंक दिए।
हिंदी के बड़े अखबार नवभारत टाइम्स के वेब एडिशन में बेंगलुरु डेटलाइन से एक खबर प्रकाशित हुई है जिसमें बताया गया है कि जहां एक ओर संप्रग सरकार के कार्यकाल में मंत्रियों और सांसदों ने फाइव स्टार होटलों के बिल पर 10 साल में 19.77 करोड़ रुपए खर्च किए वहीं वर्तमान भाजपा सरकार के मंत्रियों और सांसदों ने पिछले एक साल में ही इन पर 25 करोड़ रुपए फूंक दिए।
हालांकि यह खर्च तब हुआ है जब भाजपा सरकार ने पहले ही फाइव स्टार होटल्स में कॉन्फ्रेंस और फर्स्ट क्लास में यात्रा न करने को लेकर अपने मंत्रियों व सांसदों को सख्त हिदायत दे रखी है। इस पूरे मामले पर भाजपा सांसद और हाउस कमिटी के चेयरमैन अर्जुन मेघवाल का अपनी सरकार का बचाव करते हुए वक्तव्य अखबार ने प्रकाशित किया है जिसमें कहा गया है कि, 'वर्तमान लोक सभा में पहली बार 330 सांसद ऐसे हैं जिनका दिल्ली में कोई आवास नहीं है। साथ ही इस बार ऐसे सांसदों की संख्या भी काफी ज्यादा है जो पहली बार संसद पहुंचे हैं। ऐसे में होटल्स के बिल का बढ़ना स्वाभाविक है।'
नियमों के मुताबिक सांसदों को शपथ लेने के दिन से रहने के लिए आवास उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी होती है। अगर आवास न भी उपलब्ध हों तो उन्हें राज्य अतिथिगृहों या फिर अशोका, जनपथ या सम्राट जैसे सरकारी होटलों में ठहराया जाता है।
एक ओर जहां अशोका जैसे फाइव स्टार होटल के कमरों का किराया 10 हजार रुपए तक है वहीं यह सांसदों को सब्सिडी के साथ 7 हजार रुपए में मिलता है।