खतरे में है इंसानियत और खतरे में कायनात! हम नेपाल को अफगानिस्तान बनाने पर आमादा हैं
खतरे में है इंसानियत और खतरे में कायनात! हम नेपाल को अफगानिस्तान बनाने पर आमादा हैं
पलाश विश्वास
अफगानिस्ताम में सोवियत हस्तक्षेप याद है?
वहींच ओरिजिनल सिन!पिद्दी समझकर महाबलि सोवियत संघ ने जो अफगानिस्तान में हस्तक्षेप कर दिया तो उसकी कोख से कैसे कैसे जिन्न निकले,बोल जमूरे!
अमेरिका को मौका चाहिए था। शीतयुद्ध तेल युद्ध में तब्दील हो गया कि जादू मंतर हो गया और जैसे टूटी सद्दाम की मूर्ति लाइव,वैसे ही टूटि गयो सोवियत संघ।
तालिबान!
अलकायादा!
आइसिस!
हमारे गांव जुआर में कहावत है,पाप ना छोड़े बाप!
तालिबान,अलकायदा और आइसिस का नियोग अमेरिका से जो करवा रहे,उ सोवियत संग है। कर्मफल भी सध गया।
पण जो नर्क रचि दीन्है,दुनिया उसी नर्क में धक धक जल रिया तेलकुंआ है। रूस चीन मिलकर भी भस्मासुर मार ना सकै। उ भस्मासुर इजराइल है। जिसके वध के लिए विष्णु भगवान का चक्र काम ना आई। उ चक्र ससुरा इजराइल भस्मासुर का रक्षाकवच ह।
अमेरिका इजराइल का साझा उपक्रम अरब वसंत अब भारत में वसंत बहार है। हमार कुलो मतलब यहींच।
कल हमने अपने प्रवचन में आर्थिक सुधार के कुलो किस्सा बांचि रहिस। देख लीज्यो। आज इसीलिए मोहलत है। आज प्रवचन नइखै।
1991 में खाड़ी युद्ध में इराक पर जो बमवर्षा हुई रही,वह बमवर्षा इस महादेश के चप्पे चप्पे में हो रही। पाकिस्तानी बिटिया के भखन से हमने पाकिस्तान पेश कर दिया और हिंदुस्तान हमउ वानी।
का मिलल बंटवारे से?
पाकिस्तान में तबाही तो हिंदुस्तान में भी तबाही!
सरहदों के आर पार तबाही और कयामत का मंजर!
सरहदों के आर पार मुहब्बत का कत्लेआम!
सरहदों के आर पार नफरत का अरब वसंत!
सरहदों के आर पार अमेरिकी हितों की बम वर्षा।
सरहदों के आर पार आतंक विरोधी जुध गृहजुध!
सरहदों के आर पार भस्मासुर महाजिन्न जलवा!
सरहदों के आर पार मनुस्मृति शासन घनघोर!
सरहदों के आर पार रंगभेदी वंश वर्चस्व मूसलाधार।
सरहदों के आरपार धर्म के नाम अधर्म अंधकार!
अमेरिका और यूरोप के पाप का घड़ा भर गया है।
आइलान की लाश नहीं थी वह।
वह दरअसल अमन चैन की लाश है।
जो दरअसल लाखोंलाख बह रही हैं समुंदर में ही नहीं,हर मुल्क की सरजमीं पर बह रही हैं लाखोंलाख आइलान की लाशें!
खतरे में है इंसानियत और खतरे में कायनात!
गोर्बाचेव याद हैं!
पेरोस्त्रोइका याद है!
सोवियत संघ की वह हरित क्रांति जिसने वहां कृषि की हत्या कर दी!क्योंकि गोर्बाचेव ने सोवियत संघ को मुक्तबाजार के हवाले कर दिया। अफगानिस्तान में हस्तक्षेप से सोवियत उतना नहीं टूटा जितना ग्लासनोस्त और पेरोस्त्राइका से टूटा।
भारत में फिर वहीं ग्लासनोस्त!
भारत में फिर वहीं पेरोस्त्राइका!
इस पर तुर्रा अरब वसंत हाहाकार।
वीडियो जरुर देख लें।
सबूत विजुअल उसीमें दागे रहे। ग्राफिक ब्यौरे और आंकड़ें, दस्तावेज वहीं हैं क्योंकि आलेख में यह समेटना मुश्किल है।
सबसे खतरनाक यह है कि हम नेपाल को अफगानिस्तान बनाने पर आमादा हैं क्योंकि सवियत हश्र से हमने कुछ सीखा नहीं है। सच से हमारा वास्ता नहीं है और हमारा धर्म मिथक है तो इतिहास भी हमने मिथकीय बना दिया है,जहां ज्ञान विज्ञान सच का निषेध है।
हमने नेपाल चीन के हवाले कर दिया है और तबतक बहुतै देर हो जायेगी जब हमें पता चलेगाकि पूरा महादेश रेगिस्तान है और हमारी भावी पीढ़ियों के लिए न अन्न है और न जल।
हमारे हुक्मरान ने जलयुद्ध में भारत को हरा दिया।
हमारे हुक्मरान हिमालय हार गये।
जुए में हार गये देश हमारे हुक्मरान!
हमारी भावी पीढ़ियों के लिए न अन्न है और न जल।
टिकट ना कटवाया ह, तो कटवा लो प्लीज! पहुंच जाव लखनऊ! कुरुक्षेत्र वहींच बनेला ह! महाभारत के खिलाफो हो जौन, जौन हो धर्मोन्मादी कत्लेआम, आत्मघात के विरुध, जौन ह जाति स्थाई बंदोबस्त के मुक्तबाजारी रंगभेदी वंशवर्चस्व के जाति धरम आउर मजहबी सियासत, सियासती मजहब के विरुध, टिकटवा मिलल कि ना मिलल, पहुंचे जाओ लखनऊ।
सेना हमार भी कम नाही। इत उत भागतड़ा। चरनवाहा कोई नइखे कि मारे डंडा पिछवाड़े कि एइसन पांत में हो जाइ लामबंद फटाक से। तिलिसमवा भी टूटे फिर। अय्यार जो सगरे तलवार भांजे, मू से गू की बरसात करे जौ ससुर,ससुरी,वे तमाम लुंगी उठाइके भागे पिर देखो मदारी का खेल कि जमूरे वाह!
एक सिपाहसालार को आजहुं शुबोशुबो धर लिहिस गरदनवा पकडिके। स्त कलंदर उ आपण यशवंतवा बेधड़क बदमाश! भड़ास पादै रहै जौन खूब। अब जित दखो तित मस्ती खूब कर रिया ह।
गन्ना चूसत ह खेत मा सुसर! हमार करेजा तो धक धक धड़क गियो रे! बाप! का खेल दिखावै हो बाप! हमार बचपन मा दाखिल हुई रहा हमें बतावै बगैर! बदतमीज। ठोंक दिहिस खूब। शुबो सवेरे!
ओ ससुर जो हगैके मूतेकै तमीज भी नइखे, उ सब पाद पादकै गंधा दियो माहौल सगरा आउर हमार अल्टरनेटिव मडिया जहां के तहां!
एफोडीआई का उखाड़ लिहिस! छ महीने जरा वेइट करिके देखो, हमउ उतरैब मैदान मा! फिन देखब तमाशा तो तमासा दिखाइब खूब कि
हमउ देखब सूरजवा की औकात कि काहे ना होब भोर!
कायनात ह तो कबहुं ना टूटब इंसानियत का डोर!
हमउ देखब कौन लाला ललिया घर फूंकन आवै हामर साथ!
हमउ देखब कौन लाला ललिया पकड़े हमार हाथ!
यशवंता वचन दिहिस रहै कि लखनभ पहंचे रहल वानी। सगरे सिपाहसालार पहुंचे रहल वानी। उ कहत रहे, हमउ लड़ब। जान लड़ाये देब। लामबंदी का काफिला ह तइयार। जो ससुरे इत उत भाग रहल वानी गरदन पकिड़ै के हमउ खींचिकै मोरचे पर तान दिब।
हमउ कच्चा खिलाड़ी नाही कहल रहल वानी हमउ के ई चुदुर बुदुर से बदलबे ना कुछो। हमउ तुहार कातिर जो बम एटम बाम बारुद जमा किये रहल वानी,उ फेंके के चाहि ठिकाने पर के हमार भारत,भारत मा हमारे सगरे सगा सगा जो बिरादर तमामो नागरिक ह आम लोग आउर लुगाई जौन,उन तक खबर हो जाई कि जुध ह।
हमउ जो सुर साधल रहल वानी,जो रेयाज तानेरहल वानी,जो गंगा हियां हमार दिल मा बहतड़,दिमाग मा बहतड़ एइसन कि गोमुख होकै गंगासागर तलक गंगास्नान जरुरत ना पड़ी कबहुं।
कह गये संत रैदास कि मन चंगा तो कठौती मा गंगा। उ गंगा हमार दिल मा दिमाग मा। उ कठौती हमउ वानी। उ ससुरी गांगा खतरे मा बा। हिमालय खतरे मा। हम कहत बाड़न कि सुसर पहुंचों लखनऊ के बाद देहरादून। फिन सुंदरलाल बहुगुणा की अंकियन मां झांकेके चाहि। एकच अनंनत इंचरव्यू उनर चिपको आउर हिमालय पर चाहि। हमउ उसका टास्क सार्वनिक कर रहल बाड़न। के हमार दाज्यू राजीव नयन बहुगुणा कुछो कम मस्त कलंदर नइखै। सुर ताल साधेके उ भी संतन कम नइखै। ई कहो कि औघड़ बाबा साक्षात। हमार यशवंत कम नइखे,जानत हो। दुई मिलेकै दक्ष यज्ञ भंग करिकै चाहि आउर बतावेक चाहि के कइसन हिमालय की हत्या रोकेक चाहि ताकि गंगा बहे हमार दिलमा,गंगा बहे हमार दिमागो मा।
हमउ देखब सूरजवा की औकात कि काहे ना होब भोर!
कायनात ह तो कबहुं ना टूटब इंसानियत का डोर!
हमउ देखब कौन लाला ललिया घर फूंकन आवै हामर साथ!
हमउ देखब कौन लाला ललिया पकड़े हमार हाथ!
Amalendu Upadhyaya invited you to Insaaf Abhiyan Uttar Pradesh's event
सेमीनार: असहिष्णुता की चुनौती और सोशल मीडिया hastakshep.com/old के पांच साल पूरे होने व मानवाधिकार दिवस की पूर्व संघ्या पर
Wednesday, December 9 at 3:00am
Going
Maybe
Can't Go
सेमीनार: असहिष्णुता की चुनौती और सोशल मीडिया hastakshep.com/old के पांच साल पूरे होने व मानवाधिकार दिवस की पूर्व संघ्या पर शाम 3 बजे बुद्धवार, 9 दिसंबर 2015 यूपी प्रेस क्लब लखनऊ, उत्तर प्रदेश नागरिक प...


