गन्ने की छूँछी भर रह गयी है हिंदी मीडिया
गन्ने की छूँछी भर रह गयी है हिंदी मीडिया
हिंदी मीडिया
(1997 का कोई दिन ....... केंद्र में इंद्र कुमार गुजराल की सरकार .... सरकार को बनाये रखने का मज़ा कांग्रेस अध्य्क्ष सीताराम केसरी अपने हुड़ुक चुल्लू अंदाज़ में ले थे ……देवेगौड़ा की सरकार दुलत्ती झाड़कर कर गिरा चुके थे..... अटल जी अपनी 13 दिनी सरकार के ख़्वाबों में खोये थे.… नरसिम्हाराव जाने को उतारू थे.…… सोनिया जी महुए के पेड़ के नीचे बैठी गीता का कोई सर्ग या पर्व व्यस्त थीं.…नरेन्द्र मोदी, शंकर सिंह वाघेला सरकार पर नज़र रखने को गुजरात में तैनात हो चुके हैं ...आडवाणी जी अपने रथ के पहियों छुड़ाने की morningly कसरत में जुटे हैं . … और अपन दिल्ली के साउथ एक्स के उदयपार्क में बिज़नेस इंडिया टीवी को दुहने की कवायद में लगे थे...जो गाय से साँड़ रूप धारण कर चुकी थी ..... उन्हीं दिनों की ये नौटंकी है, जो bitvians को बखूबी याद होगी)
- राजीव मित्तल
नट और नटी विवाह का वार्षिकोत्सव मनाने जैसलमेर रवाना हो चुके हैं.……छछूंदर दम्पति घर पर काबिज हो चुकी है........ छछून्दरी की हथेलियों में चमेली का तेल है और छछूँदर का सर उसकी गोद में........
दरी ........ हमको ये बताओ …… ये ससुरी हिंदी मीडिया का कल्याण कब होगा
दर.……बुलडोजर चलाने से
दरी.…नासपीटे … मैं तुझसे रोग का इलाज पूछ रही हूँ और तू रोगी को ही मारे डाल रहा है
दर.…एड्स इलाज नहीं
दरी.…मतलब ....लालबुझकड़ी मत झाड़.…साफ़ साफ़ बता
दर.…तेरे सामने जितने ये हिंदी पत्रकारिता के पुरोधा खड़े हैं..... ये सब बगैर निरोध लगाए हिंदी मीडिया से सुडॉमी कर रहे हैं
दरी..... ओये अंगरेजी क्यों पोंक रहा है
दर..... हिंदी में असंसदीय हो जाएगा
दरी.…सीरियसली जवाब दे .…जो पूछ रही हूँ
दर … क्या कुत्ते की दम की तरह सवाल ताने है
दरी..... मुंहझौंसे … कई लोगों की रोजी-रोटी का सवाल है
दर ....उनकी रोजी रोटी जैसे तैसे चल रही है पर हिंदी मीडिया को रखैल सौ ने ही बनाया हुआ है
दरी …… क्या बके जा रहा है
दर … अब तुझे तेरी भाषा में समझाता हूँ
जब गन्ना चूस लिया जाता है तो क्या किया जाता है
दरी … साँड़ के आगे डाल दिया जाता है..... और क्या किया जाता है
दर.… बस तो यही समझले.......हिंदी मीडिया गन्ने की छूँछी भर रह गयी है
दरी ....हिंदी मीडिया का ये हाल करने वालों के साथ किया जाए
दर … जो गुजराल के साथ केसरी कर रहे हैं
दरी …वो ससुर रहे हैं
दरी....हम भी हैं तुम भी हो .... दोनों हैं आमने-सामने
तभी दरवाजा भड़भड़ाता है … छछूंदर-छछून्दरी ताबड़तोड़ भागते हैं …और नक्कारा नटी की पायल तरह छुन-छुन कर उठता है
O- राजीव मित्तल


