गर्भावस्था : होने वाले बच्चे पर भारी पड़ सकता है हाइपरटेंशन
गर्भावस्था : होने वाले बच्चे पर भारी पड़ सकता है हाइपरटेंशन

गुड़गांव, 25 जुलाई 2019. हाइपरटेंशन (Hypertension) यानी कि हाई ब्लड प्रेशर प्रेग्नेंसी की मुश्किलों (Difficulties of high blood pressure and pregnancy) को बढ़ा देता है और बच्चे पर भी खतरा बढ़ जाता है। यह ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को प्रभावित कर रहा है। कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी से पहले हाइपरटेंशन की शिकायत होती है तो कुछ को तब होती है जब वे पहली बार गर्भवती होती हैं।
प्रेगनेंसी में हाइपरटेंशन के दुष्परिणाम The Effects of Hypertension in Pregnancy
प्रेगनेंसी में हाइपरटेंशन के कारण प्लेसेंटा तक खून का प्रवाह कम हो जाता है। यदि खून प्लेसेंटा तक ठीक से नहीं पहुंच पाता है तो बच्चे को कम ऑक्सीजन मिल पाती है और पोषक तत्व भी उस तक ठीक से नहीं पहुंच पाते हैं। परिणामस्वरूप बच्चे की ग्रोथ धीमी हो जाएगी, जन्म के वक्त वजन बहुत कम होगा और प्रीमेच्योर बेबी का जन्म हो सकता है।
बच्चों में न्यूरोडेवलपमेंट विकारों में हालिया वृद्धि के साथ चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि गर्भावस्था के दौरान होने वाली हाइपरटेंशन इसका मुख्य कारण हो सकती है।
प्रेगनेंसी के दौरान हाइपरटेंशन से मां और बच्चे दोनों को खतरा, इसके कोई लक्षण नहीं नजर आते हैं
गुड़गांव के फोर्टिस हॉस्पिटल की गायनोकोलॉजिस्ट, डॉक्टर नूपुर गुप्ता ने एक विज्ञप्ति में बताया कि,
“प्रेगनेंसी के दौरान स्त्री रोग विशेषज्ञ से बार-बार जांच कराना जरूरी है। रुटीन शारीरिक परीक्षणों में ब्लड प्रेशर की जांच करना अनिवार्य होता है क्योंकि हाई ब्लड प्रेशर मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए ब्लड प्रेशर को संतुलन में रखने के लिए हर जरूरी कदम उठाया जाता है जिससे डिलीवरी में कोई परेशानी न आए और बच्चा पूरी तरह स्वस्थ रहे।”
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उन्होंने बताया कि प्रेगनेंसी में हाइपरटेंशन को शरीर में इसके विकास के चरण के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। क्रोनिक हाइपरटेंशन प्रेगनेंसी के 20 हफ्तों पहले विकसित होता है। इसे संतुलित करने के लिए डॉक्टर दवा की डोज दे सकता है और नियमित ब्लड टेस्ट करने की सलाह देता है।
गर्भावधि उच्च रक्तचाप (गेस्टेशनल हाइपरटेंशन - Gestational hypertension) केवल गर्भवती महिलाओं में होता है। यह प्रेगनेंसी के 20 हफ्तों बाद विकसित होता है और बच्चे के जन्म के साथ ही यह गायब हो जाता है।
दवाईयों की सलाह पर इसकी किसी डोज को मिस न करें, प्रीमेच्योर बेबी होने का खतरा
डॉक्टर नुपुर गुप्ता ने आगे बताया कि, “हाइपरटेंशन के साथ प्राक्गर्भाक्षेपक (प्रीक्लेम्पसिया - preeclampsia) भी विकसित हो सकती है। यह शरीर के अन्य अंगों के क्षतिग्रस्त होने के संकेतों से संबंधित होती है, जैसे कि किडनी, लीवर, फेफड़े, खून और मष्तिस्क। यदि इसका इलाज न किया जाए तो यह मां और बच्चा दोनों में खतरे के जोखिम को बढ़ाता है।
उन्होंने बताया कि गर्भावस्था से पहले हाइपरटेंशन से ग्रस्त महिलाओं के लिए यह जरूरी है कि वे एक भी पेरेंटल विजिट को मिस न करें क्योंकि इसमें हाइपरटेंशन के अन्य कारणों की पहचान करना, मेडिकेशन और संभावित खतरे प्रीक्लेम्पसिया के विकसित होने के खतरे के लिए काउंसलिंग शामिल होती है।


