गाज़ा में गहराती मानवीय पीड़ा, क़ाबिज़ पश्चिमी तट में बढ़ती हिंसा पर चिन्ता
महिला सशक्तिकरण के लिए यूएन संस्था (UN Women) ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि युद्ध के छह महीने बीत चुके हैं. ग़ाज़ा में 10 हज़ार फ़लस्तीनी महिलाओं की मौत हो चुकी है, जिनमें क़रीब छह हज़ार माताएँ हैं. 19 हज़ार बच्चे अनाथ हुए हैं.

ग़ाज़ा पट्टी में छह महीने पहले भड़के युद्ध में अब तक लगभग 10 हज़ार महिलाओं की जान जा चुकी है और हर 10 मिनट में एक बच्चे की या तो मौत हो रही है या वे घायल हो रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने पश्चिमी तट में बढ़ती हिंसा और ईरान द्वारा इसराइल पर हवाई हमलों से क्षेत्र में उपजे तनाव के बीच मंगलवार को यह चेतावनी जारी की है.
महिला सशक्तिकरण के लिए यूएन संस्था (UN Women) ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि युद्ध के छह महीने बीत चुके हैं. ग़ाज़ा में 10 हज़ार फ़लस्तीनी महिलाओं की मौत हो चुकी है, जिनमें क़रीब छह हज़ार माताएँ हैं. 19 हज़ार बच्चे अनाथ हुए हैं.
“ग़ाज़ा में 10 लाख से अधिक महिलाओं व लड़कियों के पास लगभग कुछ भी खाने के लिए नहीं है, ना ही सुरक्षित भोजन, शौचालय, स्नानघर या सैनिट्री पैड की सुलभता है. रहने के लिए अमानवीय परिस्थितियाँ हैं और बीमारियाँ बढ़ रही हैं.”
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इन चिन्ताओं को दोहराते हुए युद्धविराम लागू किए जाने की अपील दोहराई है ताकि ग़ाज़ा में ज़रूरतमन्दों तक मानवीय सहायता पहुँचाई जा सके.
इस क्रम में, अल शिफ़ा समेत अन्य अस्पतालों का पुनर्निर्माण किया जाना अहम होगा, जोकि इसराइली कार्रवाई में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ है.
स्वास्थ्य सेवाएँ ध्वस्त
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार, ग़ाज़ा में 36 अस्पताल हैं, जिनमे से केवल एक-तिहाई में ही काम हो पा रहा है, जिसके मद्देनज़र, स्वास्थ्य प्रणाली को पूरी तरह ढहने से बचाने के लिए क़दम उठाना ज़रूरी है.
स्थानीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि 76 हज़ार से अधिक लोग घायल हुए हैं और विशाल स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता है.
यूएन एजेंसियों ने आगाह किया कि घायल अंग को काटने या ऑपरेशन के ज़रिये प्रसव को बिना बेहोशी की दवा दिए ही करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
बताया गया है कि अक्टूबर 2023 से मार्च 2024 के दौरान, 50 फ़ीसदी से अधिक WHO मिशन के लिए या तो अनुमति नहीं दी गई, उसमें देरी हुई या फिर अवरोधों की वजह से उन्हें स्थगित कर दिया गया.
स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि ग़ाज़ा के कुछ इलाक़ों में अकाल की आशंका के बीच यह ज़रूरी है कि मानवीय सहायताकर्मियों को सुरक्षित, बेरोकटोक मार्ग मुहैया कराया जाए.
फ़लस्तीनियों की व्यथा पर क्षोभ
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने सोमवार को अपने एक वक्तव्य में प्रभुत्वशाली देशों से आग्रह किया था कि ग़ाज़ा में मानवीय संकट और मानवाधिकार हनन की बढ़ती घटनाओं पर रोक लगाने के लिए क़दम उठाए जाने होंगे.
उन्होंने तत्काल युद्धविराम लागू और बंधकों को रिहा किए जाने की अपील दोहराते हुए ध्यान दिलाया कि इसराइल द्वारा मानवीय सहायता के प्रवेश और वितरण पर ग़ैरक़ानूनी पाबन्दियाँ थोपी जा रही हैं.
साथ ही, बड़े पैमाने पर नागरिक प्रतिष्ठानों व बुनियादी ढाँचे का विध्वंस जारी है.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने पश्चिमी तट में भी बढ़ती हिंसा और फ़लस्तीनियों के विरुद्ध हमले की लहर पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है, जिन्हें कथित रूप से इसराइली बस्तियों के निवासियों द्वारा अंजाम दिया जा रहा है, और उन्हें इसराइली सुरक्षा बलों का समर्थन प्राप्त है.
ऐसी ही एक घटना में एक इसराइली परिवार के 14 वर्षीय लड़के को जान से मार दिए जाने के बाद, बदले की भावना से किए गए हमलों में एक बच्चे समेत चार फ़लस्तीनियों की जान गई है और फ़लस्तीनियों की सम्पत्तियों को बर्बाद किया गया है.
क्षेत्रीय स्थिरता पर जोखिम
वहीं, जिनीवा में, संयुक्त राष्ट्र द्वारा क़ाबिज़ पश्चिमी तट के लिए नियुक्त एक स्वतंत्र जाँच आयोग की प्रमुख ने इसराइल और ईरान के बीच सैन्य तनाव पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है, जिससे क्षेत्रीय टकराव का जोखिम पैदा हो सकता है.
जाँच आयोग प्रमुख नवी पिल्लै ने अरब लीग देशों को जानकारी देते हुए बताया कि इसराइल द्वारा ग़ाज़ा में अभूतपूर्व पैमाने पर युद्ध को अंजाम दिया जा रहा है.
ग़ाज़ा में स्वास्थ्य प्रशासन के अनुसार अब तक 33 हज़ार से अधिक लोगों की जान गई है, 40 प्रतिशत स्कूल सीधे तौर पर हमलों में निशाना बने है और 17 लाख लोग अपने घरों से विस्थापन के लिए मजबूर हुए हैं.
उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2023 के बाद से ग़ाज़ा पट्टी की पूर्ण रूप से नाकेबन्दी कर दी गई है, जिससे अकल्पनीय मानवीय आपदा की स्थिति पनपी है. अकाल और भुखमरी वहाँ के आम लोगों के लिए एक वास्तविकत बन गए हैं.
स्वतंत्र जाँच आयोग प्रमुख के अनुसार, सड़कों और बुनियादी ढाँचों को भीषण नुक़सान पहुँचा है, जिससे ज़रूरतमन्द फ़लस्तीनियों तक सहायता पहुँचाने के लिए मानवीय सहायताकर्मियों की क्षमता पर असर हुआ है.
(स्रोत- यूएन न्यूज़ हिन्दी)
#Gaza is facing a water crisis.
1.1 million women and girls lack sufficient safe water for their basic needs. They lack access to food and basic sanitation.
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— UN Women (@UN_Women) April 16, 2024
Deepening humanitarian suffering in Gaza, concern over increasing violence in the occupied West Bank


