चार वामपंथी पार्टियों द्वारा जारी संयुक्त बयान
बढ़ती साम्प्रदायिकता व असहिष्णुता के खिलाफ वामपंथ का अभियान कल से
विवेकवान भारत में 'हिन्दू राष्ट्र' का कोई स्थान नहीं हो सकता
रायपुर। बढ़ती सांप्रदायिकता व असहिष्णुता के हमले के खिलाफ वामपंथी पार्टियों द्वारा आहूत देशव्यापी अभियान के तहत छत्तीसगढ़ की चार वामपंथी पार्टियां भी अभियान चलाएंगी, जिसका समापन 6 दिसंबर को जिला स्तर पर धरना, रैली, प्रदर्शन, कन्वेंशन या मानव-श्रृंखला आदि के रूप में होगा. इस अभियान के तहत पूरे प्रदेश में 100 से ज्यादा सभाएं की जायेंगी तथा हजारों पर्चे वितरित किये जायेंगे.
आज यहां जारी एक संयुक्त बयान में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के संजय पराते, भाकपा के आरडीसीपी राव, सीपीआई(एम-एल)-लिबरेशन के बृजेन्द्र तिवारी तथा एसयूसीआई(सी) के विश्वजीत हरोड़े ने कहा है कि भाजपा नीत केन्द्र सरकार के संरक्षण में आरएसएस-भाजपा द्वारा सांप्रदायिक घृणा व असहिष्णुता की जो मुहिम चलाई जा रही है, उससे संविधान के बुनियादी आधारों — धर्मनिरपेक्षता, जनतंत्र व सामाजिक न्याय — पर बुरी तरह चोट पहुंच रही है. ये ताकतें देश के नागरिक अधिकारों व इसकी बहुलतावादी संस्कृति को कुचल कर अपनी कल्पना के घोर असहिष्णु, फासीवादी 'हिन्दू राष्ट्र' की स्थापना करना चाहती हैं.
वामपंथी पार्टियों के नेताओं ने कहा है कि संघ-भाजपा द्वारा बनाए जा रहे विषाक्त माहौल का असर छत्तीसगढ़ पर भी पड़ रहा है. यहां भी अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ रहे हैं तथा विभिन्न त्यौहारों का उपयोग उनकी रोजी-रोटी पर हमलों के लिए हो रहा है. 'सिमी' के नाम पर कई मुस्लिम नौजवानों पर झूठे केस लादे गए हैं. भाजपाई राज में अल्पसंख्यक अपने-आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
वामपंथी नेताओं ने बताया कि सप्ताह-भर के इस अभियान में वे 'गाय पर चर्चा' की जगह 'दाल पर चर्चा' करेंगे तथा 'बाबरी और दादरी'-जैसे घृणित करतूतों के खिलाफ 'बराबरी' की मांग करेंगे. उन्होंने कहा कि वामपंथी ताकतें एक विवेकवान भारत के पक्ष में है, जिसमें 'हिन्दू राष्ट्र' का कोई स्थान नहीं हो सकता, क्योंकि यह बहुसंख्यक हिन्दुओं, दलितों, आदिवासियों व अल्पसंख्यकों को वर्ण-व्यवस्था की जंजीरों में बांधने की ही चाल है.