गुजराती तो औरंगज़ेब भी था !!!
गुजराती तो औरंगज़ेब भी था !!!
ख़बरों के मुताबिक़ प्रधानमंत्री के निर्देश पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपनी पार्टी के उन नेताओं को चेताया है जिनके सार्वजनिक बयानों से पार्टी और सरकार को परेशानी हो रही है। सवाल है कि ऐसे तत्वों को स्वयं प्रधानमंत्री जी सार्वजनिक रूप से चेतावनी क्यों नहीं देते हैं।
ऐसा होता तो इसका संदेश देश और दुनिया भर में जाता।
मुझे तो लगता है जिन बयानों की चर्चा यहाँ हो रही है, वह तो इन लोगों के ख़ून में हैं। जो ये बोलते हैं, उस पर ये दिल से यक़ीन करते हैं।
याद कीजिए गुजरात के चुनाव में किस अंदाज में नरेन्द्र भाई, मियाँ मुशर्रफ या जेम्स लिंगदोह बोला करते थे। यह भी ध्यान देने योग्य है कि ऐसे लोग नरेन्द्र भाई के प्रिय हैं। जैसे हमारे यहाँ के एक छोटे मंत्री कैसी भाषा का प्रयोग करते थे। विरोधियों को सीधे पाकिस्तान भेजते थे। उसी बोली के बदौलत वे मंत्री बन गए। या फिर मुज़फ़्फ़रनगर दंगा वाले को देखिए। वह भी मंत्रिमंडल में जगह पा गया। एक दूसरा जो विधायक है, वह ज़ेड सिक्योरिटी मे वही काम करता है।
नरेन्द्र भाई के संस्कृति मंत्री ने औरंगज़ेब रोड को कलाम रोड किए जाने पर कहा था कि मुसलमान होने के बावजूद कलाम साहब एक महान राष्ट्रवादी थे। मुसलमानों या इसाईयों के विषय में यही इन लोगों का यकीन है।
उसी बातचीत में उन मंत्री जी ने यह भी कहा था कि औरंगज़ेब से आप किसी प्रकार की प्रेरणा नहीं ले सकते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि औरंगज़ेब से नरेन्द्र भाई और उनके लोग महत्वपूर्ण सीख हासिल कर सकते हैं। अधिकांश इतिहासकारों का मत है कि औरंगज़ेब के बाद मुग़ल साम्राज्य का तेज़ गति से जो पतन हुआ उसकी वजह शासन में उसकी धार्मिक कट्टरता थी। इसलिए नरेन्द्र भाई के लोगों के लिए तो औरंगज़ेब का शासन तो भारी सीख देने वाला है।
यह संयोग है कि औरंगज़ेब भी गुजराती था। गुजरात के दाहोद में ही उसका जन्म हुआ था।
शिवानन्द तिवारी


