जगदीश्वर चतुर्वेदी

इस बार के गुजरात विधानसभा चुनाव की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि गुजरात मॉडल की पोल का खुलना, यह पोल पहले इतने व्यापक स्तर पर नहीं खुली थी।

गुजरात में विकास की हालत हर स्तर पर खराब है। शिक्षा से लेकर रोजगार तक, किसानी से लेकर टैक्सटाइल तक तबाही का मंजर सामने आया है। गुजरात के सच का सामने आना बड़ी जीत है, मोदीजी पहले जितनी बार जीते सच छुपा रहा, लेकिन इस बार सच बाहर आ चुका है।

सच के बाहर आने का अर्थ है नायक की राजनीति के अंत की शुरूआत, लेकिन एकबात ध्यान रहे धर्मनिरपेक्षता के बुनियादी उसूलों को दरकिनार करके आरएसएस के गुजरात मॉडल या मोदी मॉडल को पछाड़ना संभव नहीं है।

हिंदुत्व के तर्कों को नरम हिंदुत्व के जरिए परास्त करना संभव नहीं है। इसके लिए जरूरी है धर्मनिरपेक्ष जनचेतना का निर्माण करना। धर्मनिरपेक्षता को दैनंदिन जीवन के संघर्षो और आचरण से जोड़ना, इसके बिना हिंदुत्व से प्रभावित जनता को बदल नहीं सकते। साथ ही आम जनता और विभिन्न संगठनों को साझा मुद्दों पर एकजुट करना, एक-दूसरे की मदद करना, निहित स्वार्थी नजरिए को त्यागकर धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए एकजुट होना। मोदीजी और आरएसएस ने विकास के नाम पर धर्मनिरपेक्षता और संवैधानिक मान-मर्यादाओं और संस्थाओं को गौण बना दिया है। वे विभिन्न पदों का धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ हमला करने वालों की रक्षा के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। आम जनता के आर्थिक-सांस्कृतिक हितों पर हर रोज नए हमले संगठित कर रहे हैं, चुप रहने को मजबूर कर रहे हैं।

गुजरात में मिली सफलता में भाजपा की बढ़ती लोकप्रियता को कम करके नहीं देखना चाहिए। इसबार भाजपा को 2012 की तुलना में 1 फीसदी अधिक वोट मिले हैं, सन् 2012 में 48 फीसदी वोट मिले थे, इसबार 49.1फीसदी वोट मिले हैं। इसी तरह कांग्रेस को 2012 में 39फीसदी वोट मिले थे इसबार 41. 4फीसदी वोट मिले हैं। तुलनात्मक तौर पर कांग्रेस को ज्यादा लोकप्रिय समर्थन हासिल हुआ है, लेकिन उसे अभी भी 8फीसदी जनता का दिल जीतना है।

भाजपा की सबसे बड़ी मदद अहमदाबाद, बड़ौदा, और सूरत ने की है। अहमदाबाद से उसने 20 में से 15, बडोदरा की 10 में 9 और सूरत की 16 में से 15 सीटें जीती हैं। इसका अर्थ यह है कि व्यापारीवर्ग और उच्चमद्यवर्ग -मध्यवर्ग भाजपा से नाभिनालबद्ध तौर पर जुड़ा है। इस वर्ग के बृहत्तर हिस्से को भाजपा आज भी प्रिय है। इस नजरिए से देखें तो भाजपा और पीएम मोदी सीधे किसानों-नौजवानों-निम्न मद्यवर्ग आदि में अपनी जमीन खो चुके हैं, लेकिन कांग्रेस को गुजरात से सबक लेकर देश के लिए नए महाख्यान को निर्मित करना होगा। नए सपने, नए आख्यान के बिना शासकवर्गों की कतारों में दरार डालना मुश्किल होगा।