राजीव यादव

गोरखपुर साम्प्रदायिक हिंसा 2007 मामला : मुख्य आरोपी योगी आदित्यनाथ वर्तमान CM यूपी ने खुद मुख्यमंत्री और गृह मंत्री रहते हुए, अपने गृह सचिव से अपने ही विरुद्ध मामले में अभियोजन ना मंज़ूरी का आदेश पारित करा दिया जो कि ग़लत है.

न्याय सिद्धान्त के मुताबिक कोई भी आरोपी खुद अपने ही मामले का जज नहीं हो सकता.

क्रिमिनल रिट पिटिशन 21733 सन 2008 Parvez Parwaz और सामाजिक कार्यकर्ता Mohd Asad Hayat साहब ने इसी याचिका में संशोधन करके उस आदेश को चुनौती दी है क्यों कि यह भी निष्पक्ष विवेचना से जुड़ा पहलू है.

आज इलाहबाद हाईकोर्ट कोर्ट नम्बर 21 में जस्टिस कृष्णा मुरारी और जस्टिस अखिलेश चंद्र शर्मा की बेंच के समक्ष फिर सुनवाई होगी।

आखिर इन सवालों जिनको असद साहब ने उठाया है का जवाब क्या सरकार के पास है या फिर बाबा खुद को बचाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं...

1. CBCID ने अभी तक की जांच सही और निष्पक्ष नहीँ की है और उन सभी पहलुओं पर जांच नहीं हुई जो FIR में उल्लेखित है, जो उसको पत्र लिख कर बताये गए.

2. CBCID की जगह किसी अन्य एजेंसी से अग्र विवेचना कराई जाए.

राजीव यादव
राजीव यादव, लेखक स्वतंत्र पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता व राज्य प्रायोजित आतंकवाद के विशेषज्ञ हैं।

3. अपने पद का दुरूपयोग करते हुये योगी ने अपनी सरकार से जो खुद पर मुक़दमा न चलाने का अवैध आदेश पारित कराया, क्यों न उसको निरस्त करते हुए अदालत अभियोजन की मंजूरी दे और विवेचना को मॉनिटर करे.

4. सीडी जिसको फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया वह पिटिशनर्स ने नहीं दी.

5. सीबीसीआईडी ने आपराधिक साजिश के पहलू पर जांच नहीं की और योगी के एक्स्ट्रा जुडिशल कॉन्फेशन के पहलू पर भी जाँच नहीं की.

सामाजिक कार्यकर्ता असद हयात साहब व अन्य साथियों ने ये रिट फेयर इन्वेस्टीगेशन सीबीआई द्वारा कराये जाने को लेकर की. जांच एजेंसी निचली अदालत नहीं बदल सकती, ये आदेश केवल हाइकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ही कर सकती है।

दूसरे न्याय सिद्धान्त के मुताबिक कोई भी आरोपी खुद अपने ही मामले का जज नहीं हो सकता मगर योगी आदित्यनाथ ने खुद मुख्यमंत्री और गृह मंत्री रहते हुए, अपने गृह सचिव से अपने विरुद्ध मामले में अभियोजन ना मंज़ूरी का आदेश पारित करा दिया जो कि ग़लत है. इसी याचिका में संशोधन करके उस आदेश को चुनौती दी है क्यों कि यह भी निष्पक्ष विवेचना से जुड़ा पहलु है.

आज 30 अगस्त से फिर शुरू होगी सुनवाई, जिसके कई दिन लगातार चलने की सम्भावना है. पिछली सुनवाई 9 और 10 अगस्त को हुई थी, पिटीशनर परवेज़ परवाज़ और असद हयात के अधिवक्ता जनाब फ़रमान अहमद नक़वी ने 2 दिन कोर्ट के सामने रखा था अपना पक्ष, जो बहस अधूरी रही थी।