गौरी लंकेश का कत्ल तर्कवादियों दाभोलकर, पनसारे और कलबुर्गी की हत्याओं की अगली कड़ी
गौरी लंकेश का कत्ल तर्कवादियों दाभोलकर, पनसारे और कलबुर्गी की हत्याओं की अगली कड़ी
जनहस्तक्षेप
फासीवादी मंसूबों के खिलाफ अभियान
प्रेस विज्ञप्ति
नयी दिल्ली
07 सितंबर, 2017
मानवाधिकार और नागरिक अधिकार संगठन जनहस्तक्षेप हिंदुत्ववादी ताकतों से अपने तीखे लेखन के जरिये मुकाबला करने वाली जुझारू पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या की निंदा करते हुए कर्नाटक सरकार से इस अपराध में शामिल व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करता है।
55 वर्षीया सुश्री लंकेश ने हिंदुत्ववादियों की समाज में नफरत फैलाने वाली साम्प्रदायिक गतिविधियों का जीवन भर विरोध किया। उन्हें दक्षिणपंथियों से लगातार धमकियां मिल रही थीं मगर उन्होंने दबावों के आगे घुटने टेकने के बजाय अपने साप्ताहिक ‘लंकेश पत्रिके के जरिये इन ताकतों के खिलाफ मुहिम जारी रखी।
जनहस्तक्षेप सुश्री लंकेश की हत्या के लिये कर्नाटक की कांग्रेस सरकार की हिंदुत्ववादी संगठनों के आपराधिक कार्यकलापों पर रोक लगाने में नाकामी को जिम्मेदार मानता है। तर्कवादी लेखक एमएम कलबुर्गी की हत्या के दो साल बाद भी उनके कातिलों को सजा दिलाने में कर्नाटक सरकार की नाकामी की वजह से राज्य में हिंदुत्ववादी अपराधियों के हौसले बुलंद हैं।
दरअसल, सुश्री लंकेश के कत्ल को तर्कवादियों नरेन्द्र दाभोलकर, गोविंद पनसारे और श्री कलबुर्गी की हत्याओं की अगली कड़ी के रूप में देखा जाना चाहिये। इन हत्याओं के पीछे हिंदुत्ववादी शक्तियों की मंशा प्रगतिशील और तर्कसंगत विचारों का गला घोंट कर समाज में कूपमंडूकता, कट्टरता और फिरकापरस्ती को बढ़ावा देना है ताकि वे अपना राजनीतिक स्वार्थ सिद्ध कर सकें।
जनहस्तक्षेप केन्द्र तथा कर्नाटक और महाराष्ट्र सरकारों से मांग करता है कि वे इन हत्याओं की जांच जल्दी-से-जल्दी पूरी कर गुनहगारों को सजा दिलाने के लिये ठोस कदम उठायें। वह मानवाधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करने वाले सभी व्यक्तियों और संगठनों से जनपक्षीय विचारों के खिलाफ इन खूनी हमलों का एकजुट होकर विरोध करने की अपील करता है।
ईश मिश्र (संयोजक), मोबाइल-
विकास वाजपेयी (सह-संयोजक), मोबाइल-


