ग्रीनपीस इंडिया का रजिस्ट्रेशन रद्द, असहमति जताने पर गृह मंत्रालय की असहिष्णुता
ग्रीनपीस इंडिया का रजिस्ट्रेशन रद्द, असहमति जताने पर गृह मंत्रालय की असहिष्णुता
नई दिल्ली 6 नवंबर। एक तरफ देश भर में लेखक, साहित्यकार, कलाकार, वैज्ञानिक इतिहासकार व बॉलीवुड की हस्तियां देश में बढ़ती असहिष्णुता के विरोध में पुरस्कार वापसी अभियान चला रहे हैं तो दूसरी ओर सरकार लगातार अपनी असहिष्णुता का परिचय दे रही है। ग्रीनपीस इंडिया सोसाइटी को तमिलनाडु रजिस्टार ऑफ सोसाइटी ने एक नोटिस देकर बताया है कि उसका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है।
अपनी प्रतिक्रिया में ग्रीनपीस इंडिया ने कहा है कि इस वर्ष यूनाइटेड नेशन के महासचिव सहित, दुनिया के अनेक गणमान्य लोगों ने कहा है कि सिविल सोसाइटी लोकतंत्र के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है; लेकिन यह नोटिस भारत सरकार द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाने के अभियान का एक और सबसे हालिया उदाहरण है। पिछले कई महीनों से ग्रीनपीस इंडिया सोसाइटी ने सरकार के विभिन्न महकमें द्वारा लगातार हमले सहे हैं और पुनः कानूनी विकल्प अपनाने पर मजबूर है।
रजिस्ट्रेशन के निरस्तीकरण के बारे में ग्रीनपीस इंडिया की अंतरिम निदेशक विनुता गोपाल का कहना है, “ यह स्पष्ट है कि तमिलनाडु रजिस्ट्रार सोसाइटी पूरी तरह दिल्ली में बैठे गृह मंत्रालय के निर्देश पर काम कर रहा है जो काफी समय से ग्रीनपीस इंडिया को बंद कराने पर तुली हुई है। गृह मंत्रालय द्वारा अभिव्यक्ति की आजादी और असहमति की आवाज को दबाने के यह अदक्ष प्रयास सरकार के लिए न सिर्फ देश में बल्कि विश्व स्तर पर शर्मिंदगी का सबसे बड़ा कारण बन गया है। यह इस बात को दर्शाता है कि सरकार किसी दूसरों की आवाज सुनने को तैयार नहीं है और असहमति के प्रति बहुत ही असिहिष्णु है।”
विनुता ने आगे कहा, “रजिस्ट्रार ने यह फैसला ग्रीनपीस का पक्ष सुने बगैर ही ले लिया। रजिस्ट्रार ने मद्रास हाई कोर्ट के उस फैसले को भी नहीं माना है जिसमें उसे आदेश दिया गया था कि वो ग्रीनपीस द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों और बिंदुओं पर गौर करे। यह कानूनी प्रक्रिया के उल्लधंन का बहुत ही निंदनीय प्रयास है, जिससे कानून के प्रति उनका निरादर प्रतीत होता है। हमारे पास मजबूत कानूनी आधार है जिसे हम मद्रास हाई कोर्ट को अवगत कराएंगे और इस नोटिस पर स्टे करने की मांग करेगें। हमें पूरा विश्वास है कि हमें कोर्ट से एक बार फिर न्याय मिलेगा।”
1 – The United Nations Secretary-General Ban Ki-moon has asserted that the civil society is the oxygen of democracy as it acts as a catalyst for social progress and economic growth. The civil society, the Secretary General continued, ‘plays a critical role in keeping Government accountable, and helps represent the diverse interests of the population, including its most vulnerable groups.’
This was the message of Mr Ban on the observance of the 2015 International Democracy Day. http://lagos.sites.unicnetwork.org/2015/09/23/civil-society-the-oxygen-of-democracy-ban-ki-moon/
2. Greenpeace’s response to the Registrar - http://www.greenpeace.org/india/Global/india/2015/RoS Nov/GP reply to RoS 05.10.2015.pdf
3 – Registrar’s cancellation letter - http://www.greenpeace.org/india/Global/india/2015/RoS Nov/ROS 06-Nov-2015-cancellation.pdf


