ग्रीनपीस ने स्वच्छ ऊर्जा पर अपनी रिपोर्ट जारी की
ग्रीनपीस ने स्वच्छ ऊर्जा पर अपनी रिपोर्ट जारी की
नई दिल्ली, 10 जून 2015। पर्यावरण समूह ग्रीनपीस ने आज नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (एनआईयूए) के साथ मिलकर स्वच्छ ऊर्जा पर एक रिपोर्ट जारी की है। दिल्ली उच्च न्यायालय से मिली अंतरिम राहत के बाद संस्था ने कहा था कि वह जल्द ही स्वच्छ वायु और स्वच्छ ऊर्जा के लिये अपना अभियान शुरू करेगी।
इस रिपोर्ट में सौर ऊर्जा सिस्टम के इस्तेमाल से दिल्ली की अँधेरी गलियों में रोशनी लाने का सुझाव दिया गया है, जो खासकर महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिये जरुरी है। आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने शहर के अँधेरे जगहों को खत्म करने की योजना को प्राथमिकता देने की बात कही थी। एनआईयूए ने ग्रीनपीस के साथ मिलकर एक खाका तैयार किया है कि कैसे सरकार अपने वादे को पूरा कर सकती है।
ग्रीनपीस की जलवायु व ऊर्जा कैंपेनर पुजारिनी सेन ने कहा, “भारत में विकास संबंधी चुनौतियों का बयानबाजी से नहीं, बल्कि रचनात्मकता से समाधान करने की जरुरत है। ग्रीनपीस द्वारा दीर्घकालिक स्ट्रीट लाईटिंग के लिये पेश प्रस्ताव रचनात्मक एक सुझाव है। यह न सिर्फ महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा मसला है, बल्कि इससे दिल्ली के करदाताओं के पैसे भी बचेंगे और एक गैर-प्रदुषणकारी समाधान भी साबित होगा।”
रिपोर्ट की बारीकियों के बारे में बताते हुए सेन ने कहा, “सभी 700 अँधेरी गलियों को सोलर स्ट्रीट सिस्टम से रौशन करने पर सरकार को सिर्फ 10 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। इसके अलावा इस कार्यक्रम से दिल्ली के अक्षय खरीद दायित्व लक्ष्य को पूरा करने में 6 प्रतिशत मदद मिलेगी, जिसे केन्द्र सरकार के स्मार्ट सिटी योजना में भी लागू किया जा सकता है।
आप सरकार अँधेरे जगहों पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए सुरक्षाबल की तैनाती करके इस समस्या का समाधन करना चाहती है, हालांकि महिलाओं के लिये सुरक्षा बल की तैनाती उचित प्रकाश व्यवस्था के बिना बहुत प्रभावी नहीं हो पायेगी।
2013 में, ग्रीनपीस ने ‘स्वीच ऑन द सन’ नाम से छतों के लिये सोलर योजना शुरू की थी, जिससे दिल्ली के निवासियों से अपार समर्थन हासिल हुआ। इस अभियान का नतीजा था कि डीईआरसी ने सार्वजनिक रूप से नेट मीटरिंग नीति को पिछले साल लागू किया है।
सेन ने कहा, दो लगातार चुनाव और सरकार परिवर्तन की वजह से दिल्ली के छतों पर सोलर लगाने की योजना को पिछले दो सालों से अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है। हम वर्तमान सरकार से उम्मीद करते हैं कि इस योजना को जल्द ही शुरू करेगी।
25 अप्रैल 2015 को ग्रीनपीस ने इस संदर्भ में अपनी रिपोर्ट दिल्ली विकास निगम को सौंपी थी। 9 अप्रैल 2015 को गृह मंत्रालय ने ग्रीनपीस के राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय खातों को बंद कर दिया था तथा उसके एफसीआरए के पंजीकरण को भी छह महीने क लिये निलंबित किया था। केन्द्र सरकार द्वारा लगातार किये जा रहे दमन की वजह से ग्रीनपीस के समावेशी विकास के लिये जारी अभियानों में बाधा पहुंच रही है। हाल ही में हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद ग्रीनपीस इंडिया ने अपने फंड को स्वच्छ बिजली के लिये जारी काम में लगाया है। ग्रीनपीस ने दिल्ली सरकार से मांग की है कि वह अपने घोषणापत्र में जारी चुनावी वादों को पूरा करे।


