गृह मंत्रालय द्वारा ग्रीनपीस को बदनाम करने का अभियान जारी
ग्रीनपीस देगा मंत्रालय को जवाब
नई दिल्ली। जजों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री की न्यायपालिका को घुड़की देने कि क्या न्यायपालिका को फाइव स्टार एक्टिविस्ट चला रहे हैं, के बाद ग्रीनपीस के एफसीआरए पंजीकरण को निलंबित करने और कारण बताओ नोटिस जारी करने की खबरें आ रही हैं। इन खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ग्रीनपीस इंडिया ने कहा कि वैसे उसे गृह मंत्रालय की तरफ से कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है, लेकिन ग्रीनपीस मंत्रालय के वेबसाइट पर मौजूद सूचना पर कानूनी सलाह ले रही है।
ग्रीनपीस इंडिया के कार्यकारी निदेशक समित आईच ने कहा, “यह पूरी तरह साफ है कि हमें बदनाम किया जा रहा है। जब हम केंद्र सरकार के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय गए थे उसी समय ये सारी बातें अदालत के सामने रखी गयी थीं और उसके बाद ही अदालत ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया था। हमारा भारतीय कानून व्यवस्था में अगाध विश्वास है। सरकार असहमति के खिलाफ गैरजरूरी अभियान छेड़ रही है फिर भी हम लोग इससे पीछे नहीं हटेंगे”।
20 जनवरी को दिल्ली उच्च न्यायालय ने गृह मंत्रालय को ग्रीनपीस इंटरनेशनल और क्लाईमेट वर्क फाउंडेशन से मिले फंड को ग्रीनपीस इंडिया के खाते में जमा करने का आदेश देते हुए मंत्रालय के कार्यवाई को मनमाना, गैरकानूनी तथा असंवैधानिक बताया था। हाईकोर्ट का मानना था कि गृह मंत्रालय ने अपने उत्तर में इस बात को स्वीकार किया था कि ग्रीनपीस इंडिया को ग्रीनपीस इंटरनेशनल को छोड़कर सभी विदेशी एजेंसियों से फंड लेने का अधिकार है। गृह मंत्रालाय ने अपनी दलील में कहा था कि ग्रीनपीस इंटरनेशनल को निगरानी सूची में रखा गया है लेकिन अदालत ने सरकार की उस दलील को खारिज करते हुए कहा था कि उनके पास ग्रीनपीस इंटरनेशनल के खिलाफ किसी भी तरह के सबूत नहीं हैं।
समित ने आगे कहा, हम लोग स्वच्छ हवा, स्वच्छ जल और भारत के समावेशी विकास के लिये काम करते रहेंगे, क्योंकि हम मानते हैं कि ऐसा करना प्रत्येक सच्चे भारतीय नागरिक का अधिकार और कर्तव्य है। हमारे काम को लोगों का समर्थन हासिल है और हमें 70 प्रतिशत धन भारतीयों के चंदे से मिलता है।
ग्रीनपीस इंडिया ने इस वित्त वर्ष में 30, 746 नये समर्थकों को जोड़ा है और इस तरह कुल 77,768 समर्थक ग्रीनपीस को आर्थिक मदद देते हैं। 31 मार्च 2015 को समाप्त वित्त वर्ष में ग्रीनपीस को प्राप्त 30,36 करोड़ रुपये में से 20.76 करोड़ रुपये भारतीयों के चंदे के प्राप्त हुआ है।