इंच-इंच समझ लेने की शुरुआत दिनेश त्रिवेदी से हो गयी

चुनाव के बीच नारद स्टिंग में घूस लेते दिखाई दिए तृणमूल सांसदों के खिलाफ कार्रवाई (Action against Trinamool MPs seen taking bribe in Narada sting) करने और सच्चाई बाहर आने तक सभी आरोपियों को चुनावी प्रक्रिया से बाहर करने संबंधी बयान देकर उन्होंने विपक्षी पार्टियों की वाहवाही तो खूब बटोरी, लेकिन तृणमूल सुप्रीमो को एक बार फिर नाराज कर दिया।

दीदी को बहुमत मिला तो फिर सारे ताने बाने सत्ता के फेवीकोल से जुड़ जायेंगे, लेकिन सत्ता में वापसी नहीं हुई तो सत्तादल के बिखर जाने का अंदेशा है।

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पलाश विश्वास

तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार नहीं करने की सजा पूर्व रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी (Former Railway Minister Dinesh Trivedi) को मिल रही है और वे एकदफा फिर आंख की किरकिरी में तब्दील हैं। चुनाव प्रचार के बाद अब संसद की कार्यवाही से दूर रखे जा रहे तृणमूल सांसद दिनेश त्रिवेदी पर पार्टी गाज गिरा सकती है। पार्टी उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई करने पर की प्रक्रिया नोटिस देकर शुरु कर दी है।

2012 में रेल मंत्री रहते तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी से सलाह-मशविरा किए बिना यात्री किराया बढ़ाने के कारण मंत्रालय खोने वाले बैरकपुर से पार्टी सांसद दिनेश त्रिवेदी के खिलाफ एक बार फिर दीदी कार्रवाई कर रही हैं।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बीच नारद स्टिंग में घूस लेते दिखाए गए तृणमूल सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करने और सच्चाई बाहर आने तक सभी आरोपियों को चुनावी प्रक्रिया से बाहर करने संबंधी बयान देकर उन्होंने विपक्षी पार्टियों की वाहवाही तो खूब बटोरी, लेकिन तृणमूल सुप्रीमो को एक बार फिर नाराज कर दिया। वैसे दीदी भी चुनाव प्रचार के दौरान रिश्वतखोरी का खंडन करने के बजाय यह कहकर सबको चौंका चुकी है कि पहले से जानती तो वे टिकट ही नहीं देती। फिर उनने यह भी कहा कि सभी लेते हैं और हमने लिया तो बुराई क्या है। मुकुल राय ने तो दो कदम बढ़कर कहा कि वे जिम्मेदारी लेकर कहते हैं कि जिसने भी पैसे लिये, अपने लिए नहीं लिये।

स्टिंग ऑपरेशन (Sting operation) से ले कर चुनाव में बच्चों पर हमले के मुद्दे पर पार्टी और पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी के विरोध में त्रिवेदी के बयान से पार्टी में नाराजगी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी नेताओं ने बताया कि विधानसभा चुनाव के दौरान दिनेश त्रिवेदी ने दीदी (ममता बनर्जी) के खिलाफ बयान दे कर अनुशासन तोड़ा है और पार्टी को हानि पहुंचाने का काम किया है।

Former railway minister Dinesh Trivedi notice for anti-party activities

शारदा से नारद तक के सफर में साख की संकट से जूझ रही तृणमूल कांग्रेस ने पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए नोटिस जारी कर दिया है।

इन्हीं त्रिवेदी को रेलमंत्री से हटाकर दीदी ने मुकुल राय को रेल मंत्री बनाया था और बीच में मुकुल राय भी बगावत पर उतारु हो गये तो फिर विधानसभा चुनाव के ठीक पहले उन्हें पुनर्वास मिला। तृणमूल के भीतर मचे घमासान का नजारा यह है।

दीदी को बहुमत मिला तो फिर सारे ताने बाने सत्ता के फेवीकोल से जुड़ जायेंगे। लेकिन सत्ता में वापसी नहीं हुई तो सत्तादल के बिखर जाने का अंदेशा है।

मजा यह है कि सार्वजनिक तौर पर चुनाव से पहले तक नारद स्टिंग में फंसे पार्टी के मंत्रियों, सांसदों, मेयरों, विधायकों और नेताओं का अब तक जिन दिनेश त्रिवेदी ने लगातार बचाव किया है, उनके खिलाफ नोटिस जारी करने में उन्हीं सिपाहसालारों का हाथ है।

इसके साथ ही खास गौरतलब नारद स्टिंग कराने वाले मैथ्यू शमशुल का यह बयान है कि रिश्वत के लिए संपर्क साधने पर त्रिवेदी ने उनसे मुलाकात ही नहीं की थी। रिश्वत न लेने के लिए या रिश्वतखोरी के आरोपों में बचे साथियों के बचाव के लिए, किस अपराध में पूर्व रेलमंत्री को फिर ठिकाने लगाने की यह तैयारी है कहना मुश्किल है।

हालत यह है कि सत्ता दल गहरे असुरक्षाबोध का शिकार है और गारंटी के साथ कोई बता ही नहीं सकता कि 19 मई को क्या होना है।

हालांकि जेल में बंद पूर्व मंत्री मदन मित्र बार बार दावा कर रहे हैं कि पार्टी को दो सौ सीटों से ज्यादा बहुमत हासिल होगा और दीदी कांग्रेस और भाजपा को साइन बोर्ड में तब्दील करने की धमकी देते हुए लगातार इंच-इंच समझ लेने की चेतावनी जारी कर रही हैं और सत्तादल का हर दूसरा सिपाहसालार संदिग्ध है।

बहरहाल इंच-इंच समझ लेने की शुरुआत दिनेश त्रिवेदी से हो गयी। हालांकि दिनेश त्रिवेदी का कहना है कि उन्हें पार्टी की बैठक में बुलाया नहीं गया और उन्हें ऐसे किसी फैसले के बारे में जानकारी नहीं है।

रेल मंत्री रहते हुए ममता बनर्जी से नाराजगी मोल लेकर यूपीए सरकार में अपनी कुर्सी गंवाने वाले दिनेश त्रिवेदी इन दिनों 'दीदी' से काफी नाराज हैं।

दरअसल, दिल्ली में कभी ममता की आवाज कहे जाने वाले दिनेश त्रिवेदी की जगह अब राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ले ली है।

सियासी गलियारे में वैसे तो दिनेश की जगह पहले मुकुल राय ने ली थी, लेकिन फिर उनके किनारे होने पर ममता के निर्देश अब सिर्फ डेरेक को मिलते हैं।

दरअसल कुल मामला यह है कि राज्य विधानसभा चुनाव के समाप्त होने से पहले ही बैरकपुर के तृणमूल कांग्रेस सांसद दिनेश त्रिवेदी ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावती तेवर दिखाया है। उनके अनुसार पार्टी में ईमानदार लोगों को सजा तथा असत्य लोग सम्मानित किए जाते हैं।

त्रिवेदी नारदा स्टिंग काण्ड के प्रसारित होने के बाद आरोपी नेताओं के संदर्भ में टिप्पणी कर सुर्खियों में हैं। उन्होंने मामले की जांच नहीं होने तक उक्त नेताओं को घरों में बैठने की सलाह दी थी।

बहरहाल तृणमूल कांग्रेस सांसद और पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी के इस बयान के दो दिन के बाद ही उनकी पार्टी में ईमानदारी को सजा मिल रही है और बेईमानी को पुरस्कृत किया जा रहा है, पश्चिम बंगाल की कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधुरी (Adhir Ranjan Chowdhury) ने उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने का न्योता दिया है।

चौधुरी ने सोमवार को कहा,

"दिनेश त्रिवेदी को हमारा प्रस्ताव है कि वह बेईमानी को पुरस्कृत करने वाली तृणमूल को छोड़कर कांग्रेस में आ जाएं। त्रिवेदी बुनियादी तौर पर कांग्रेस की ही उपज हैं और हममें से कइयों से ज्यादा कांग्रेसी हैं। "

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा कि त्रिवेदी कांग्रेस के नेता रहे हैं, बाद में वह तृणमूल में चले गए। वह कांग्रेस में लौटना चाहें तो उनका स्वागत है। उनके लिए कांग्रेस का दरवाजा खुला हुआ है।

वहीं तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार नहीं करने के सवाल पर त्रिवेदी ने कहा कि इसका जवाब उनकी पार्टी के पास है। उन्होंने कहा कि पार्टी में ईमानदार आदमी को सजा मिलती है व दोषी आदमी को पुरस्कार मिलता है। इस संबंध में तृणमूल कांग्रेस के सांसद व युवा तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष अभिषेक बनर्जी ने कहा कि यह दिनेश त्रिवेदी का व्यक्तिगत बयान है।