लखनऊ, 3 मार्च। किसान संगठनों की आज यहाँ हुयी बैठक में सभी राजनैतिक दलों से अपील की गयी है कि वे लोकसभा चुनाव के लिये जारी अपने घोषणा पत्र में किसान संगठनों की तरफ से बनाया गया 'किसान एजेण्डा 2014' शामिल करें।इससे देश के किसानों के पक्ष में माहौल बनेगा और उन मुद्दों पर भी बहस शुरू होगी जो हाशिए पर जा रहा है।देश में इस समय सबसे बड़ा खतरा खेती और किसानी के साथ लाखों एकड़ उर्वरा खेती की जमीन पर मंडरा रहा है।
हरित स्वराज ,किसान संघर्ष समिति और जल बिरादरी की तरफ से आज लखनऊ के गन्ना संस्थान में आयोजित किसान एजेण्डा की बैठक में किसान संघर्ष समिति, फॉरवर्ड ब्लाक की अग्रगामी किसान सभा, भाकपा माले की किसान सभा, भाकपा की अखिल भारतीय किसान सभा, मध्य प्रदेश की लोक हित समिति, जल-जन जोड़ो अभियान, जल बिरादरी, इन्साफ और हरित स्वराज के प्रतिनिधि शामिल हुये। इस मौके पर किसान एजेण्डा के प्रस्तावित मसौदे पर चर्चा हुयी और उसमें किसानों, आदिवासियों और मछुआरों से सम्बन्धित कई मुद्दों को जोड़ा गया। बाद में 'किसान एजेण्डा-2014' नाम से एक वर्किंग टीम का गठन किया गया जिसमें डॉ. गिरीश, ताहिरा हसन, अरविंद राज स्वरूप, किसान नेता कृष्णा अधिकारी, जल बिरादरी के ईश्वरचंद, विजय प्रताप, अग्रगामी किसान सभा के राम दुलारे यादव और डॉ. सुनीलम आदि को शामिल किया गया। टीम का संयोजक अंबरीश कुमार को बनाया गया है। यह टीम जल्द ही किसान एजंडा के मसविदे को अंतिम रूप देकर सभी दलों को भेजेगी।
बैठक का संचालन करते हुये डॉ. सुनीलम ने राष्ट्रीय फलक पर खेती और किसानी पर मंडरा रहे खतरों के बारे में बताया। देश में बड़े पैमाने पर किसानों की जमीन छीनी जा रही है और सरकार की नीतियों से किसान बदहाल हो रहा है। विदर्भ में बड़ी संख्या में किसान ख़ुदकुशी कर चुके हैं और एक लाख एकड़ खेती की जमीन कारपोरेट घरानों को दी जा रही है जिसके खिलाफ कई जगह आंदोलन चल रहे है। ऐसे में लोकसभा चुनाव में किसानों का सवाल उठाना बहुत जरूरी है।
भाकपा माले की ताहिरा हसन ने गन्ना किसानों के शोषण का मुद्दा उठाते हुये कहा कि किसान जब अपना हक़ माँगता है तो उसे लाठी गोली मिलती है। आगरा से लेकर टप्पल तक यह दोहराया गया।
अग्रगामी किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष राम दुलारे यादव ने कहा कि जिस तरह श्रमिक संगठन दलीय सीमाओं से ऊपर उठकर मजदूरों के सवाल पर एक हो जाते हैं, उसी तरह किसानों को एक बड़ी व्यापक एकता के साथ संघर्ष करना होगा तभी किसानों के सवाल पर दबाव बनेगा।
भाकपा के अरविंद राज स्वरूप ने ड्राफ्ट मसौदे में आदिवासी किसान से लेकर मछुवारों को जोड़ने का प्रस्ताव रखा। बैठक में कृषि क्षेत्र को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दायरे से बाहर रखने की माँग की गयी। बैठक में पेश किसान एजेण्डा में कहा गया है कि कृषि योग्य भूमि के अधिग्रहण पर फ़ौरन रोक लगायी जाये। बहुत जरूरी होने पर ग्राम सभा की सहमति के बाद ही ग्राम सभा की तरफ से तय की गयी दर पर ही अधिग्रहण किया जाये। कृषि आपदा कोष का गठन किया जाये। इसके अलावा किसानों के सभी प्रकार के कर्ज माफ़ किये जायें, नए कर्जे बिना ब्याज के दिये जायें, गाँव को मुख्य प्रशासनिक इकाई बनाया जाये और पंचायती व्यवस्था में ग्राम सभा को विधायिका का अधिकार हो, हर गाँव में स्वालंबी और टिकाऊ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लागू किया जाये, -समुद्र, नदियों और ताल तालाबों के पानी के निजीकरण पर फ़ौरन रोक लगे। साथ ही जल संचय और जल वितरण की नई योजना लागू हो ताकि सभी को सिंचाई और पीने का पर्याप्त पानी मिले। प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल के लिये राष्ट्रीय स्तर का कानून बनाया जाये और खनिजों के निजीकरण को फ़ौरन रोका जाये। नदियों की भूमि पर किसी भी प्रकार का रेत्-पत्थर का उत्खनन् करने पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया जाये।
किसान एजेण्डा में आगे कहा गया है कि कृषि क्षेत्र का प्रबन्धन बाजार केन्द्रित करने की बजाय किसान कल्याण केन्द्रित किये जाने के साथ किसानों को न्यूनतम आय की गारंटी दी जाये। बीज पर विदेशी घुसपैठ बंद की जाये। बीटी बीजों के प्रयोग और इस्तेमाल पर फ़ौरन रोक लगे। किसानों को कुशल कारीगर का दर्ज दिया जाये।