दुष्यंत चौटाला के नाम खुला पत्र

माननीय दुष्यंत चौटाला,

हिसार लोक सभा सांसद, भारत सरकार।

आप हिसार से लोक सभा सांसद हो। भारत में युवा सांसदों में आपकी गिनती की जाती है। आप लोक सभा में समस्या उठाने में सक्रिय रहते हो। आपने हिसार की समस्याओं रेल, बिजली, पानी, पासपोर्ट आदि बहुत से मुद्दे उठाए हैं। अच्छा लगता है जब आपको ये जनता के मुद्दे उठाते देखता हूँ।

अभी कुछ समय पहले आपने लोक सभा में उन 2 लड़कों को सेना में नौकरी लगवाने का मामला उठाया था, जो लड़के रोहतक बस में 2 बहनों के साथ छेड़खानी करने के आरोपी थे, जिनको जिला अदालत ने पिछले ही दिनों बरी कर दिया।

इसलिए अब आपकी नजर में वो लड़के निर्दोष हैं, क्योकि उनको जिला अदालत ने बरी कर दिया है। वो नौकरी से वंचित हो गए थे। इसलिये आपने लोक सभा में मांग उठाई की उनको सेना नौकरी दे। इसके लिए आपने केन्द्रीय रक्षा मंत्री से भी मांग की।

देखा जाये तो आपका ये बहुत अच्छा कदम है और अगर वो निर्दोष हैं तो उनको काबिलियत के अनुसार नौकरी मिलनी भी चाहिए जिससे वो वंचित रह गए थे।

मुझे भी बहुत ख़ुशी हुई कि आप कोर्ट का सम्मान करते हुए संसद में आवाज उठा रहे हो।

लेकिन उस समय बहुत ही दुःख होता है जब आपकी आवाज उन JBT उमीदवारों के लिए नहीं उठती जिनको आपकी पार्टी की सरकार के समय योग्य होते हुए भी नही लिया गया और अयोग्य लोगों को ले लिया गया था।

क्यों कभी आपने लोक सभा में ये मुद्दा नही उठाया की JBT भर्ती घोटाले में सीबीआई कोर्ट का फैसला आ चुका है इसलिए अयोग्य व्यक्ति जो इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) ने लगाए थे, उनको हटाया जाए और जो योग्य रह गए थे उनको लगाया जाये।

अगर आपने ये मुद्दा उठाया होता तो सच में मै आपको सलाम करता व पूरे देश में एक सार्थक संदेश जाता कि पार्टी के बुजर्गो से हुई गलतियों को एक नौजवान नेता सुधार रहा है। लेकिन ये सब आप नहीं कर सके। शायद आप इस काम के लिए इतने मजबूत न हो। लेकिन कोई बात नहीं आप लोक सभा में ये सब नहीं कर सके। लेकिन आप बस इतना तो कर सकते ही थे कि आप उन परिवारों से सार्वजनिक माफ़ी मांग लेते जिनको आपकी पार्टी ने योग्य होते हुए भी नौकरी से बाहर रखा। उनके बच्चों को ठोकरें खाने पर मजबूर किया। उन योग्य उमीदवारों का तो करियर ही खराब हो गया।

समाज में ये सन्देश गया कि योग्यता हासिल करने की कोई जरूरत नहीं है बस किसी भी राजनीतिक पार्टी से सैटिंग कर लो योग्यता आ जायेगी। "योग्यता पर अयोग्यता की जीत"

आप कोर्ट का इतना ही सम्मान करते हो तो क्यों आप आज तक ये मानने के लिए तैयार नहीं हो कि पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और पूर्व सांसद अजय चौटाला भी दोषी हैं, जिनको सीबीआई कोर्ट ने JBT भर्ती घोटाले में सजा सुनाई है।

आप और आपकी पार्टी कहते रहे हैं कि चौटाला साहेब को सजा राजनीतिक साजिश के कारण हुई है।

हरियाणा का सबसे बड़ा राजनीतिक परिवार व हरियाणा के 4 से 5 बार मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला, 2 से 3 बार सांसद रहे अजय चौटाला के खिलाफ अगर साजिश हो सकती है तो एक छोटे से सरकारी कर्मचारी व जातीय अल्पसंख्यक की बेटियों की क्या औकात है। उनके खिलाफ तो सब कुछ हो सकता है और हुआ भी है।

शायद इन लड़कियों का पूरा मामला आपको न मालूम हो तो एक बार मैं दोबारा याद दिला देता हूँ।

दिनांक 28 नवम्बर 2014 को रोहतक बस स्टैंड से हरियाणा रोडवेज की बस सोनीपत के लिए चलती है। रोहतक से 17 km बस चलने के बाद बस में 2 लड़कियों का 3 लड़कों से झगड़ा होता है। लड़किया बैल्ट से लड़कों को मारती हैं। लड़के उनको बस से नीचे फेंक देते हैं। इस लड़ाई में एक व्यक्ति बीच बचाव भी कर रहा है। इस पूरे झगड़े की किसी ने वीडियो भी बना ली। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाती है और पूरे देश में मामला मीडिया के कारण छा जाता है।

सरकार लड़कियों को इनाम और आवार्ड देने की घोषणा कर देती है। अलग-अलग धार्मिक और सामाजिक संस्थाएं लड़कियों को अपने-अपने स्टेज से सम्मानित करती हैं।

लेकिन जैसे ही लड़कों के पक्ष में कुछेक खाप पंचायते आती हैं, वो हरियाणा सरकार पर दबाव डालती हैं। लड़की के पापा पर दबाव डालती हैं।

मामला यहाँ से यू टर्न लेता है। जो मीडिया, सरकार, धार्मिक, सामाजिक संस्थाएं इन लड़कियों को झांसी की रानी बता रही थी, वो एक दम पलटी मार जाती है।

लड़किया जहाँ इस मामले को छेड़खानी का मामला बता रही थीं, वही लड़के इसको बुजर्ग महिला को सीट दिलाने का विवाद बताते हैं। लड़को के पक्ष में 4 गवाह आ जाते हैं, जो afidevt देते है कि वो बस में थे और ये सारा मामला सीट को लेकर था। ये चारों लोग SIT जाँच में झूठे निकलते हैं। जिनमे से एक महिला तो उस समय किसी गाँव में सरकारी ड्यूटी पर थी। उस महिला कर्मचारी ने लड़की के परिवार को लिखित में माफीनामा भी दिया है।

इस लड़ाई में बीच बचाव करने वाला व्यक्ति भी लड़कों के पक्ष में बयान देता है जबकि वो व्यक्ति पिछले बस स्टॉप से ही चढ़ा था।

इन सब को छोड़ भी दें तो सबसे बड़ा सवाल ये भी बनता है कि लड़कियां सीट पर बैठी हैं लड़के किसी बुजर्ग महिला को सीट दिलवाना चाहते हैं। लड़किया सीट से उठने से मना करती हैं, लेकिन लड़के अगले 20 मिनट तक इतनी बकवास करते हैं कि लड़कियों को जवाब देने पर मजबूर होना पड़ता है।

अब सवाल ये है कि लड़के होते कौन हैं सीट दिलवाने वाले। दूसरा इंसानियत के कारण सीट दिलवा रहे हैं तो क्या बस में किसी भी सीट पर लड़के नहीं बैठे थे या लड़कियों वाली सीट ही जरूरी थी।

वीडियो में तो साफ दिखाई दे रहा है बहुत सी सीट्स पर लड़के बैठे हैं। लेकिन ये सीट विवाद था ही नहीं ये विवाद छेड़खानी का ही था, ये विवाद अपनी मर्दानगी दिखाने का था और ये कोई नया विवाद नहीं है हरियाणा के किसी भी गांव से शहर में आती बसों में, collages में, बस स्टैंड्स पर ये आम घटनाएं हैं।

आज हरियाणा की सबसे बड़ी समस्या ही लड़कियों के साथ बढ़ती छेड़खानी है। आज प्रत्येक माँ-बाप को ये चिंता सताती है कि लड़की पढ़ने के लिए, नौकरी के लिए गयी है सुरक्षित आएगी भी या नहीं आएगी। इस डर से कितने ही परिवार अपनी बेटियों को पढ़ाई के लिये शहर ही नहीं भेजते हैं। वही लड़कियां भी छेड़खानी को सहन सिर्फ इसलिए करती रहती हैं कि परिवार को बताया तो पढ़ाई छुड़वा देंगे। लेकिन लड़के इस मजबूरी का नाजायज फायदा उठाते हैं।

अब किसी ने इन मनचलों के खिलाफ, छेड़खानी के खिलाफ आवाज उठाई तो 150 खाप लड़कियों के विरोध में इकट्ठा हो जाती हैं। इन लड़कियों के खिलाफ एडिट किये हुए पोर्न वीडियो बनाये जाते हैं, अश्लील गाने बनाये जाते हैं।

लेकिन हम प्रगतिशील लोग मजबूती से छेड़खानी के खिलाफ खड़े है।

वहीं किसी भी अदालत का फैसला मान्य है लेकिन अदालत का फैसला आखिरी हो ऐसा नही होता। फैसला सुनाने वाली अदालत से ऊपरी अदालत में आपको फैसले के खिलाफ जाने का पूरा अधिकार होता है।

अदालत फैसला सबूतों और गवाहियों के आधार पर सुनाती है। जैसे सबूत पेश किये जायेंगे और जो गवाही दी जायेगी वैसा ही फैसला आएगा।

वैसे हिसार, हरियाणा और पूरे देश में ऐसे मामले भी बहुत हैं जिनको लोक सभा, विधान सभा में आप उठाये तो एक बहुत बड़े तबके को जो हजारों सालों से दबे-कुचले हैं, उनको ख़ुशी होगी, अच्छा होता आप श्रम कानून, नरेगा, स्वामीनाथ आयोग की रिपोर्ट लागू हो, भगाना के उन दलितों के लिए आवाज उठाते जो पिछले 3 सालों से हिसार उपायुक्त कार्यालय पर दलित उत्पीड़न के खिलाफ धरना दिए हुए हैं। दलित उत्पीड़न के लिए पूरे देश में चर्चित मिर्चपुर, भगाना, डाबड़ा का मामला लोकसभा में उठाया जाना चाहिए जो आपकी लोकसभा क्षेत्र में आते है।

आप हवा के रूख को भांपकर बेशक इन लड़कों के पक्ष में पितृसत्ता के पक्ष में खड़े हों, लेकिन हम सभी प्रगतिशील लोग इन लड़कियों के पक्ष में मजबूती से खड़े हैं और अंतिम जीत हमारी ही होगी।

Uday Che