चौरासी कोसी परिक्रमा के सहारे हो रही साम्प्रदायिक चुनावी परिक्रमा से सजग रहे अवाम- रिहाई मंच
चौरासी कोसी परिक्रमा के सहारे हो रही साम्प्रदायिक चुनावी परिक्रमा से सजग रहे अवाम- रिहाई मंच
फैजाबाद के शाहगंज के दंगाईयों पर से मुकदमा हटाने की फिराक में सपा- रिहाई मंच
सपा हुकूमत में गुजरात की तर्ज पर हुये दंगों के पीड़ित 29 अगस्त को करेंगे विधासभा मार्च
लखनऊ 23 अगस्त। पांचकोसी परिक्रमा विवाद को सपा व भाजपा के बीच आपसी तालमेल के साथ हिन्दू-मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण कराने का नाटक करार देते हुये रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब ने कहा है कि मुलायम सिंह और उनके बेटे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अशोक सिंघल और विहिप नेताओं से एक साजिश के तहत मिलकर पहले तो परिक्रमा जो कि नई परम्परा डालने की कोशिश थी, को जानबूझ कर हरी झंडी दी और दो दिनों बाद पूर्व नियोजित साजिश के तहत परिक्रमा को रोकने की बात कर दी। ताकि इन दो दिनों में संघ परिवार और विहिप परिक्रमा के लिये माहौल बना ले और बाद में परिक्रमा रोके जाने के विवाद को तूल देकर प्रदेश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकने की कोशिश की जा सके।
मोहम्मद शुऐब ने कहा कि आज जब अखिलेश यादव की सरकार खालिद मुजाहिद की हत्या व आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों की रिहाई के सवाल और सांप्रदायिक दंगों के सवाल पर घिरी है, ऐसे में बाप-बेटे ने मिलकर पंचकोसी परिक्रमा की सांप्रदायिक संजीवनी देकर विहिप को मौका दिया है।
उन्होंने कहा कि मरहूम मौलाना खालिद और तारिक कासमी की बेगुनाही का सुबूत आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट जिसे सरकार ने 31 अगस्त 2012 से दबाकर रखा है और खालिद मुजाहिद की हत्या के बाद 4 जून को स्वीकार किया उस रिपोर्ट को मानसून सत्र में रखने का वादा करके पहले तो अखिलेश ने जितना सम्भव हो सका मानसून सत्र टाला और अब जब मजबूरन मानसून सत्र बुलाना पड़ रहा है तब वो प्रदेश में ऐसा सांप्रदायिकता का माहौल पैदा करना चाहते हैं जिससे आगामी 16 सितंबर से चलने वाले मानसून सत्र में अखिलेश यादव बहाने बाजी करके रिपोर्ट को दबा सकें। प्रदेश में दंगा कराकर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कराकर भाजपा के हिन्दुत्ववादियों को फायदा पहुँचाने वाले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अगर यह मुगालता पाल लिये हों कि वो आगामी मानसून सत्र में आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्यवाई नहीं करेंगे और देशद्रोही दोषी पुलिस अधिकारियों को जेल नहीं भेजेंगे तो उनको यह भ्रम त्याग देना चाहिए क्योंकि अगर सत्र के पहले दिन निमेष कमीशन को ऐक्शन टेकन रिपोर्ट के साथ सदन के पटल पर रखते हुये दोषी आईबी व पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी और तारिक कासमी की रिहाई सुनिश्चित नहीं हुयी तो अवाम यूपी की विधानसभा को घेर लेगी सदन नहीं चलने देगी।
इंडियन नेशनल लीग के हाजी फहीम सिद्दीकी और पत्रकार फैजान मुसन्ना ने कहा कि मुलायम सिंह यादव ने पिछले दिनों यह खुद ही बता दिया था कि उन्हें बाबरी मस्जिद विध्वंस की जानकारी 4 दिसंबर को हो गयी थी, जिससे जनता में उनके धर्मनिरपेक्ष होने का भ्रम दूर हो गया कि चाहे भाजपा, कांग्रेस हो या सपा ये सभी बाबरी मस्जिद के विध्वंस के गुनहगार हैं। ऐसे में मुलायम को अब यह भी बता देना चाहिए कि नया परिक्रमा विवाद खड़ा करने के लिये उनके और सिंघल में क्या समझौते हुये हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शायद शर्म के मारे न बोल पा रहे हों तो अब सपा नेता मुलायम सिंह को खुद ही बता देना चाहिए कि वो खुद और अपने बेटे अखिलेश यादव को आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई से बचाने के लिये मरहूम मौलाना खालिद और तारिक कासमी की बेगुनाही की सबूत आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट को दबाकर दोषी आईबी व पुलिस अधिकारियों को बचाने के लिये मजबूर हैं। इतनी छोटी सी बात के लिये कभी किसी अपने पेड मौलाना और संघी तत्वों के सहारे किसी मस्जिद के सवाल पर विवाद खड़ा करना या फिर परिक्रमा विवाद को खड़ा करके आम जनता की चैन-सुकून को छीनना अच्छी बात नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि जब मिल्लत के राजदार हुकूमत के राजदार हो जायें तब अवाम पर हमले का खतरा और बढ़ जाता है।
मुस्लिम मजलिस के जैद अहमद फारूकी, रिहाई मंच के प्रवक्ताओं शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने कहा कि अखिलेश यादव की हर चिन्ता को हम 29 अगस्त को रिहाई मंच के धरने के सौवें दिन होने वाले विधानसभा मार्च में दूर कर देंगे। सपा हुकूमत में दंगों में लुटे-पिटे लोग जिनके आशियानों को इस हुकूमत ने पहले भाजपाई तत्वों को आगे करके खाक करवा दिया और अब तक कोई इंसाफ नहीं दिया। उनके परिजन जब इंसाफ की माँग को लेकर आवाज बुलन्द करेंगे तो इस हकूमत की चूले हिल जायेंगी कि जिनकी दंगों की मार ने कमर तोड़ दी थी आज वो रीढ़ की हड्डी के बल विधानसभा मार्च कर रहे हैं। कोसी कलां मथुरा, जहाँ पर दो जुड़वा भाईयों को इसी सपा राज में गुजरात की तरह जिंदा जला दिया गया, पिछली 24 अक्टूबर को फैजाबाद की ऐतिहासिक मस्जिद हसन रजा को नेस्तानाबूद करने के लिये तोड़-फोड़ व आगजनी की गयी उस सरकार का प्रवक्ता जब दावा करे कि गुजरात नहीं बनने देंगे तो इससे जनता और भयभीत हो जाती है कि जिस सपा राज में 100 से अधिक सांप्रदायिक हिंसा की वारदातें, आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुसलमानों को जेलों में रहने की लिये मजबूर ही नहीं बल्कि उनकी हत्या भी की जा रही हो वहाँ अभी और क्या होना बाकी है कि सपा को लगता है कि अभी गुजरात नहीं दोहराया जा रहा है।
नेशनल पीस फेडरेशन के डा0 हारिस सिद्दीकी और भारतीय एकता पार्टी के सैयद मोईद अहमद ने कहा कि जिस तरीके से अखिलेश यादव की सरकार में मुसलमानों पर हमले हो रहे हैं वैसा हमले 2005 में इनके पिता मुलायम सिंह यादव के दौर में भी हुये। तब उन्होंने समझौता एक्सप्रेस आतंकी काण्ड की चार्जशीट में दर्ज और आतंकी संगठन अभिनव भारत की हिमानी सावरकर जो सावरकर की पुत्रवधू हैं, के करीबी गोरखपुर के भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ को 2005 में मऊ में मुसलमानों का कत्लेआम करने की खुली छूट दे रखी थी जहाँ लोगों को जिन्दा काटकर जलाया गया और माँ-बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और जिस पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीबीआई जाँच के आदेश देते हुये कड़ी टिप्पणी की थी कि यह गुजरात की जाहिरा शेख से मिलती जुलती घटना है। वही सपा अब कह रही है कि वो यूपी को गुजरात नहीं बनने देगी। यूपी में गुजरात के हालात होने की बात हम नहीं हाई कोर्ट तक ने कहा है और मुलायम उस पर भी नहीं माने और 2007 में गोरखपुर से लेकर पडरौना, कुशीनगर, श्रावस्ती, बस्ती के क्षेत्र में योगी आदित्यनाथ को सांप्रदायिक तांडव करने की खुली छूट दे रखी थी। और अब उनके बेटे अखिलेश यादव की सरकार में योगी के संगठन हिन्दु युवा वाहिनी के लोग नाबालिग लड़कियों का अपहरण करके धर्म परिवर्तन करा रहे हैं। इन हालात में जनता जान चुकी है कि मुलायम और अब उसके बाद अखिलेश यादव और मोदी में टोपी पहनने या न पहनने के अलावा कोई फर्क नहीं है।
अवामी काउंसिल के महासचिव अधिवक्ता असद हयात ने कहा कि फैजाबाद जनपद के शाहगंज कस्बे में दिनांक 24 अक्टूबर 2012 को सांप्रदायिक तत्वों ने भाजपा, बजरंगदल, हिन्दूयुवा वाहिनी समेत अन्य हिन्दुत्वादी संगठनों की शह पर विवाद खड़ा किया था और मूर्ति विसर्जन रोक दिया था। कस्बे के संजय गुप्ता आदि लोगों ने बैठक की और तत्पश्चात मोहल्ला फीलखाना स्थित मुसलमानों के मकानों में लूटमार, पथराव व आगजनी शुरु कर दी तथा इन्हीं लोगों ने मोहम्मद उमर की हत्या कर दी। इस जानलेवा हमले में मोहम्मद उमर के पुत्र मारुफ को भी सिर समेत पूरे शरीर पर गंभीर चोटें आयीं। उसकी तहरीर पर मुकदमा अपराध संख्या 879 सन 2012 अन्तर्गत धारा 147, 148, 149, 427, 436, 397 आईपीसी दर्ज हुआ। विवेचक द्वारा विवेचना निष्पक्ष नहीं की गयी। जाँच में हत्या का स्थल बदल दिया गया जो कभी भी मारुफ और उसके गवाहों ने नहीं बताया था। इनके बयान भी ठीक दर्ज नहीं किये और इतना ही नहीं कई नामजद अभियुक्तों को विवेचक ने क्लीनचिट भी दे दी। 20 से अधिक मुसलमान पीड़ितों की रिपोर्ट दर्ज नहीं की गयी और जब उन्होंने अपने प्रार्थना पत्र वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक को भेजे तो उनके आदेश से अलग मुकदमा कायम करने के बजाए उन्हें मुकदमा अपराध संख्या 879 सन 2012 की विवेचना से जोड़ दिया। परन्तु किसी भी पीड़ित के सही बयान नहीं लिखे। सांप्रदायिक भाजपाई तत्व जिन्हें नामजद अभियुक्त बनाया गया था, उन्होंने स्थानीय सपा विधायक मित्रसेन यादव से सम्पर्क किया जिन्होंने इनका वोट के लालच में तुष्टिकरण करते हुये मुकदमा वापिस करने की सिफारिश सरकार से की जिस पर राज्य सरकार द्वारा जिलाधिकारी से रिपोर्ट माँगी गयी है, पता चला है कि राज्य सरकार मुकदमा वापिस करने की तैयारी कर रही है। राज्य सरकार का दोहरा चरित्र भदरसा में हुयी दुर्गा प्रसाद की हत्या में भी सामने आता है। इस मामले में दुर्गा प्रसाद के पुत्र अनुराग द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराई थी जिसमें अब्दुलहई कुरैशी आदि को नामजद किया गया था, परन्तु इसी घटना के सम्बंध में तौहीद के क्रास वर्जन पर रिपोर्ट दर्ज करने से इनकार कर दिया, जिसमें उसने कहा था कि गुप्पी छुरा लेकर तौहीद को मारने के इरादे से दौड़ा था परन्तु तौहीद पीछे हट गया और छुरा दुर्गा प्रसाद का लगा, जिसमें उसकी मौत हो गयी। सरकार द्वारा अब्दुलहई पर रासुका लगा दी गयी।
कमर सीतापुरी ने 29 अगस्त को धरने के 100 वें दिन अवाम से भारी तादाद में विधान सभा मार्च में शामिल होने की अपील की। उन्होंने कहा कि विधान सभा मार्च के लिये विभिन्न इलाकों में जन सम्पर्क जारी है।
रिहाई मंच के प्रवक्ताओं शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने बताया कि 25 अगस्त को धरने के समर्थन में वेलफेयर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुस्तफा फारुख, महासचिव कासिम रसूल इलियास और कई वरिष्ठ नेता रिहाई मंच के धरने के समर्थन में आएंगे। 27 अगस्त को सीपीएम के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद मोहम्मद सलीम समर्थन में आएंगे।
यूपी की कचहरियों में 2007 में हुये धमाकों में पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने की मांग को लेकर रिहाई मंच का धरना शुक्रवार को 94 वें दिन भी जारी रहा।
धरने का संचालन राजीव यादव ने किया। धरने में कमर सीतापुरी, लेखिका समीना फिरदौस, फैजान मुसन्ना, इरफान शेख, वासिफ शेख, मोहम्मद शमीम, असद हयात, शाहनवाज आलम और राजीव यादव मौजूद रहे।


